ऊपर बताए गए प्रोवीजन उन खास बचत की झलक पेश करते हैं जिनका इनकम टैक्स लायबिलिटी पर क्लेम किया जा सकता है।
फिर भी आपको लागू सेक्शन के साथ वह नियम और शर्तें समझ लेनी चाहिए, जिनके अंतर्गत ऐसी बचत मिलती होती हैं:
1. सेक्शन 80सी (होम लोन मूल पुनर्भुगतान पर डिडक्शन)
टैक्सपेयर किसी खास फाइनेंशियल ईयर में ₹1.5 लाख की अधिकतम डिडक्शन सीमा के साथ सिर्फ एक बार ही इस लाभ के लिए क्लेम कर सकते हैं।
हालांकि, मूल पुनर्भुगतान रकम के अलावा, इस खास लाभ की गणना में संबंधित संपत्ति से जुड़ी अन्य लागत जैसे स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज को भी शामिल किया जाता है।
2. सेक्शन 24 (होम लोन के इंटरेस्ट भुगतान पर डिडक्शन)
अपने घर की संपत्ति के लिए होम लोन के इंटरेस्ट भुगतान के आधार पर आप अपनी इनकम टैक्स लायबिलिटी पर ₹2 लाख तक के अधिकतम डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं। किराए पर दी गई घर की संपत्ति पर डिडक्शन के लिए ऐसी कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
हालांकि, इसका क्लेम करने के लिए, विचारधीन इमारत का निर्माण 5 साल के अंदर हो जाना चाहिए। ऐसा न कर पाने पर टैक्सपेयर के लिए बचत की संभावना घटकर ₹30000 तक कम हो जाएगी।
3. सेक्शन 80 ईई (पहली बार संपत्ति खरीदने के लिए होम लोन के इंटरेस्ट पर टैक्स डिडक्शन)
अगर आपके नाम पर अन्य कोई संपत्ति ना हो, यह सेक्शन तब ही लागू होता है। इस अतिरिक्त लाभ का क्लेम करने के लिए जिन अन्य शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए, वह हैं:
- होम लोन की मूल रकम ₹35 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- संपत्ति की वैल्यू ₹50 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- लोन 1 अप्रैल 2016 और 31 मार्च 2017 के बीच स्वीकृत होना चाहिए।
- इन प्रोविजन के अलावा, किफायती घर के मामले में सेक्शन 80ईईए के अंतर्गत आपको टैक्स डिडक्शन मिल सकता है।
इसके अंतर्गत, सेक्शन 24 के तहत इंटरेस्ट संबंधित छूट के अलावा टैक्सपेयर होम लोन के इंटरेस्ट भुगतान पर ₹1.5 लाख की अतिरिक्त टैक्स बचत का क्लेम कर सकते हैं। आप पूरा पुनर्भुगतान ना हो जाने तक इस फ़ायदे के लिए क्लेम करते रह सकते हैं।
ध्यान देने वाली शर्त यह है कि इनमें से ज्यादातर टैक्स डिडक्शन संपत्ति का निर्माण पूरा हो जाने के बाद ही लागू होते हैं। अगर आप बिल्कुल तैयार संपत्ति खरीद रहे हैं तो यह फ़ायदे शुरू से ही मिलने लगेंगे।
इसके अलावा, यदि आप अधिग्रहण के 5 साल के भीतर संबंधित संपत्ति को बेचने का निर्णय लेते हैं, तो उस बिंदु तक आपके क्लेम किए गए टैक्स फ़ायदे शून्य माने जाते हैं। अगले फाइनेंशियल ईयर के दौरान यह आपकी टैक्स योग्य इनकम में जुड़ जाएगा।
जैसा कि आप देख सकते हैं कि होम लोन पर इनकम टैक्स छूट से बड़ी बचत की जा सकती है।
लेकिन ज्वाइंट होम लोन के मामले में क्या होता है। ऐसे मामलों में किस तरह के उधार लेने वाले इनकम टैक्स डिडक्शन का क्लेम करने के उत्तरदायी होते हैं?