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डिजिट का हेल्थ इंश्योरेंस दुर्घटना, बीमारी और कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होना कवर करता है।
हेल्थ इंश्योरेंस भारत की आबादी में सबसे ज्यादा मांग वाला प्रॉडक्ट है। साल 1948 में पहली बार सरकार ने कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का प्रयोजन किया। लेकिन यह हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ नीले कॉलर वाले श्रमिकों के लिए ही था। जल्द ही, केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए योजना शुरू की।
बाद के सालों में जब 1973 में जनरल इंश्योरेंस का राष्ट्रीयकरण हुआ, उस समय की सभी चारों कंपनियों ने मेडिक्लेम पॉलिसी शुरू की। धीरे-धीरे यह क्षेत्र, निजी क्षेत्र के इंश्योरेंसकर्ताओं के लिए भी खुला, जिन्होंने स्वास्थ्य उत्पादों की विविधता बढ़ाई।
एक तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी जो इंश्योर किए गए व्यक्ति के चिकित्सा और सर्जरी के खर्च कवर करती है। पॉलिसीधारक कवरेज की सीमा चुनते हैं जिसके लिए वो इंश्योरेंस कंपनी को प्रीमियम का भुगतान करते हैं। क्लेम के समय पॉलिसिधारक की बीमारी या चोट के इलाज में आए खर्च को रीइंबर्स किया जाएगा।
बहुत लोग ये मानते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ बुजुर्ग लोगों के लिए होता है। ऐसा मुख्य तौर पर इसलिए होता है क्योंकि लोग हेल्थ इंश्योरेंस सिर्फ क्रिटिकल इलनेस के लिए लेते हैं। हालांकि, ये सच नहीं है क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस हर तरह के चिकित्सा आपात दुर्घटना की वजह से अस्पताल में भर्ती होने से लेकर, बीमारियों और कुछ मामलों में हेल्थ चेकअप तक को कवर करता है।
इसके अलावा, कम उम्र में लोग अक्सर हेल्थ इंश्योरेंस लेने के फ़ायदे नहीं समझते हैं। हर क्लेम रहित साल के लिए इंश्योर किए गए व्यक्ति को बोनस मिलता है, जो कि संचय होकर जुड़ता है।
लोग मानते हैं उनकी हेल्थ पॉलिसी के शुरू होने के दिन से ही उनको सभी बीमारियों और इलाज के लिए कवर किया जाएगा। लेकिन ये सच नहीं है।
बहुत सारी बीमारियों की प्रतीक्षा अवधि 1 साल, 2, 3, और 4 साल होती है। कुछ ऐसी सूचीबद्ध बीमारियां होती हैं, जिन्हें पॉलिसी के तहत कवर नहीं किया जाता। मोटे तौर पर, पॉलिसी के शुरुआती 30 दिनों तक कोई भी बीमारी कवर नहीं की जाएगी।
ऑफिस या रोजगार देने वालों की तरफ से दी गई ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को लोगों के लिए पर्याप्त माना जाता है। लेकिन, कवर की वास्तविक सीमा ग्रुप के क्लेम के अनुपात के मुताबिक काम करती है।
साथ ही, यह परिवार के सदस्यों को अनिवार्य तौर पर कवर नहीं करती। कर्मचारी मानते हैं है कि इंश्योरेंस कंपनी सभी नुकसानों के लिए भुगतान करेगी और इसके अलावा उनका ऑफिस या काम देने वाले हर चीज का ध्यान रखेंगे।
ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होने के अलावा, अपने लिए एक अलग हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बुद्धिमानी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी में तब तक ही कवर मिलता है जब तक आप कंपनी में काम करते हैं।
अगर आप कंपनी बदलते हैं, तो आप अपने अभी तक के कमाए गए फ़ायदे खो देंगे। लेकिन व्यक्तिगत पॉलिसी के तहत सभी फ़ायदे तब तक जारी रहेंगे जब तक कि आप पॉलिसी को बिना अंतराल दिए समय पर रिन्यू कराते हैं।
यह एक आम मिथक है कि इंश्योरेंस कंपनियां मैटरनिटी कवर बिल्कुल भी नहीं देती। ये सच नहीं है क्योंकि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से मैटरनिटी कवर खरीदा जा सकता है।
सच तो यह है कि मैटरनिटी या प्रेग्नेंसी कवर लगभग 24 महीनों की प्रतीक्षा अवधि के साथ आता है। इसलिए, अगर आप अविभावक बनने की योजना बना रहे हैं तो इस कवर को लेना अच्छा रहेगा।
लोग मानते हैं कि पॉलिसी लेते समय तथ्यों जैसे पहले से मौजूद बीमारी को छिपाना अच्छा रहेगा। वे अपना विवरण छुपाने की कोशिश करते हैं लेकिन इसकी वजह से उन्हें अतिरिक्त पैसा खर्च करना पड़ जाता है। पॉलिसी लेते समय स्वास्थ्य की सही स्थिति बताना हमेशा बेहतर होता है।
आईआरडीए के जनरल रेगुलेशन के मुताबिक कुछ बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि होती है। किसी भी मामले में, आपकी पहले से मौजूद बीमारी का पता डॉक्टर को चल जाएगा। इसलिए, इसके बारे में जानकारी छिपाने का कोई मतलब नहीं है।
हेल्थ इंश्योरेंस की ऑनलाइन बिक्री धीरे-धीरे बढ़ी है। लेकिन लोग सोचते हैं कि ऑनलाइन खरीदने से वो किसी धोखाधड़ी में फंस जाएंगे।
ये सच नहीं है क्योंकि इंश्योरेंस कंपनियों ने पॉलिसी की सुविधाजनक खरीदारी के लिए अपने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं। लोग इंटरनेट पर पॉलिसी की तुलना कर सकते हैं और खरीद सकते हैं। यह बहुत तेज और सुरक्षित होता है।
लोग विश्वास करते हैं कि जो कंपनियां उन्हें कम कीमत में स्वास्थ्य उत्पाद पेश करती हैं, वे प्रामाणिक होती हैं। वे मानते हैं कि वे कम प्रीमियम से हर क्लेम मुक्त साल में पैसे बचाएंगे। लेकिन तथ्य यह है कि ये कम दामों वाली पॉलिसीयां सीमित ऑफर के साथ आ सकती हैं।
हमें उत्पाद को जरूरत मुताबिक कवरेज और ऑफर के आधार पर मूल्यांकन करना चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस उत्पादों की ठीक से तुलना करने से मदद होगी।
लोग आम तौर पर पुराने हेल्थ इंश्योरेंस के दस्तावेज़ संभाल कर नहीं रखते। वे मानते हैं कि अन्य पॉलिसी के उलट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अब किसी काम की नहीं। लेकिन उन्हें ये तथ्य पता होना चाहिए कि ये पुरानी पॉलिसी इस बात का सबूत होंगी की इंश्योरेंस पिछले कई सालों के लगातार जारी है। यह जानकारी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होता है खासकर क्लेम के समय टीपीए के इस्तेमाल किए जाने के लिए।
आज के समय की जीवनशैली और तनाव के स्तर को देखते हुए स्वास्थ्य जोखिम बढ़ गए हैं। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का होना जरूरी है। लेकिन लोगों को अपनी मांग और उत्पाद की उपलब्धता के बारे में अपने विचार स्पष्ट करने चाहिए।
पढ़ें: कोविड 19 इंश्योरेंस पॉलिसी के कवरेज के बारे में और जानें
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अस्वीकरण #1: *ग्राहक बीमा लेते समय विकल्प चुन सकता है। प्रीमियम राशि तदनुसार भिन्न हो सकती है। बीमाधारक को प्रस्ताव फॉर्म में पॉलिसी जारी करने से पहले किसी भी पूर्व-मौजूदा स्थिति या चल रहे उपचार का खुलासा करना आवश्यक है।
अस्वीकरण #2: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए जोड़ी गई है और इंटरनेट पर विभिन्न स्रोतों से एकत्र की गई है। डिजिट इंश्योरेंस यहां किसी भी चीज का प्रचार या सिफारिश नहीं कर रहा है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले जानकारी की पुष्टि करें।
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closeAuthor: Team Digit
Last updated: 08-04-2025
CIN: L66010PN2016PLC167410, IRDAI Reg. No. 158.
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