4. होम लोन के लिए भुगतान किया गया इंटरेस्ट
सेक्शन - 24(बी)
लिमिट – ₹2 लाख
इस सेक्शन के अंतर्गत होम लोन पर भुगतान किया गया इंटरेस्ट इनकम टैक्स की गणना से हटाया जा सकता है। अगर घर में आप खुद रहते हैं तो इंटरेस्ट के रेट पर टैक्स डिडक्शन के तौर पर अधिकतम ₹2 लाख क्लेम किए जा सकते हैं बशर्ते निर्माण लोन अवधि के पांच साल के अंदर पूरा हो जाए।
अगर खरीदी गई संपत्ति को किराए पर दिया गया है तो इंटरेस्ट पर डिडक्शन की कोई लिमिट नहीं होगी।
5. पहली बार घर खरीदने वालों के लिए होम लोन पर दिया किया गया इंटरेस्ट
सेक्शन - 80ईईए
लिमिट – सेक्शन 24(बी) से ₹50,000 से ज्यादा के फ़ायदे
पहली बार घर खरीदने वाले होम लोन ईएमआई पर सेक्शन 24(बी) से ऊपर ₹50,000 तक के अतिरिक्त इंटरेस्ट बेनिफ़िट का क्लेम कर सकते हैं, बशर्ते संपत्ति का मूल्य ₹45 लाख से कम हो।
हालांकि सेक्शन 80ईईए के अंतर्गत ईएमआई भुगतान पर खर्च की गई कुल इनकम पर टैक्स छूट लेने के लिए होम लोन लेते समय आवेदक के नाम पर कोई भी संपत्ति रजिस्टर नहीं होनी चाहिए।
6. लाइफ इंश्योरेंस प्लान की मैच्योरिटी पर सम इंश्योर्ड
सेक्शन - 10(10डी)
लिमिट – मैच्योरिटी की कुल रकम
लाइफ इंश्योरेंस की मैच्योरिटी या इंश्योर्ड व्यक्ति की मृत्यु पर मिला पूरा सम एश्योर्ड सेक्शन 10(10डी) के अंतर्गत टैक्स छूट के लिए क्लेम किया जा सकता है।
हालांकि, अगर इन्हें 1 अप्रैल 2012 के बाद लिया गया है और प्रीमियम शुल्क का कुल मूल्य पूरे सम एश्योर्ड से कम है तो ऐसे डेथ बेनिफ़िट को टैक्स कैलकुलेशन में छूट मिलती है, ।
अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2012 से पहले ली गई है तो सेक्शन10(10डी) के अंतर्गत छूट लेने के लिए प्रीमियम शुल्क कुल सम एश्योर्ड के 20% से कम होना चाहिए।
7. सैलरी ब्रेक-अप के अंतर्गत दिया जाने वाला हाउस रेंट अलाउंस
सेक्शन - 10(13ए)
लिमिट –खास परिस्थितियां
इनकम टैक्स ऐक्ट का यह प्रोविजन हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) के अंतर्गत टैक्स के फ़ायदे देता है, बशर्तें आपकी सैलरी में एचआरए शामिल हो। इस योजना के अंतर्गत दिया गया कुल डिडक्शन निम्न का न्यूनतम मूल्य है:
- दिया गया कुल सालाना एचआरए।
- मेट्रो सिटी में रहने वालों की सालाना सैलरी का 50%
- नॉन-मेट्रो सिटी में रहने वालों की सालाना सैलरी का 40%
- सालाना भुगतान किया गया किराया-बेसिक इनकम का 10%+डीए
8. सैलरी में हाउस रेंट अलाउंस शामिल नहीं है
सेक्शन - 80जीजी
लिमिट –खास परिस्थितियां
अगर आपकी कंपनी ने आपके सैलरी ब्रेक-अप में एचआरए शामिल नहीं किया है तो आप सेक्शन 80 जीजी के माध्यम से कुल टैक्स योग्य इनकम पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। 80सी के अलावा ऐसे टैक्स-बचत वाले इंवेस्टमेंट सूचीबद्ध किए गए पैरामीटर की सबसे कम वैल्यू तक छूट देते हैं:
- ₹5,000 प्रति महीने।
- कुल सालाना इनकम का 25%।
- सालाना किराया-बेसिक सालाना इनकम का 10%।
9. चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन को डोनेशन
सेक्शन - 80जी
लिमिट - कुल इनकम के 10% सीमित
सेक्शन 80जी के अंतर्गत चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन को डोनेशन की गई पूरी इनकम पर टैक्स कैलकुलेशन में छूट मिलती है। इन टैक्स छूट पर कोई लिमिट नहीं लगाई गई है बशर्तें ट्रांसफर बैंक के माध्यम से किया गया हो।
₹2,000 तक की किसी भी कैश डोनेशन पर टैक्स कैलकुलेशन में छूट मिलती है। हालांकि, ऐसे डोनेशन चैरिटेबल ऑर्गनाइजेशन में जरूर रजिस्टर होने चाहिए।
10. साइंटिफिक रिसर्च और रूरल डेवलेपमेंट में किए गए डोनेशन
सेक्शन - 80जीजीए
लिमिट - कोई लिमिट नहीं
अगर डोनेशन साइंटिफिक रिसर्च और रूरल डेवलेपमेंट में किया गया है तो इन पर टैक्स की छूट सेक्शन 80जीजीए के अंतर्गत क्लेम की जा सकती है।
खर्च की 100% इनकम ऐसे डिडक्शन के योग्य होती है बशर्ते ट्रांजेक्शन बैंक अकाउंट के माध्यम से किया गया हो और डॉक्युमेंटेड हो।
11. राजनीतिक पार्टियों को दिया गया डोनेशन
सेक्शन - 80जीजीसी
लिमिट – कोई लिमिट नहीं
सेक्शन 80 सी के अलावा राजनीतिक पार्टियों को किया गया डोनेशन टैक्स बचाने का माध्यम है। टैक्स का कैलकुलेशन में पूरे योगदान पर छूट मिलती है, बशर्तें इसे वायर्ड बैंक ट्रांसफर के माध्यम से किया गया हो।
इसके साथ वो राजनीतिक पार्टी जिसको यह योगदान किया गया है, उसे 1951 के लोक रिप्रजेंटेशन ऑफ़ पीपल ऐक्ट (आरपीए) के सेक्शन 29ए के अंतर्गत रजिस्टर होना चाहिए।
12. डिसेबल्ड व्यक्ति के इलाज पर हुआ खर्च
सेक्शन - 80डीडी
लिमिट:
- 40%-80% डिसेबिलिटी के लिए ₹75,000
- 80% डिसेबिलिटी के लिए ₹1,25,000
परिवार के डिसेबल्ड सदस्य के इलाज और रखरखाव का भुगतान करने वाले व्यक्ति और हिन्दू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) सेक्शन 80 डीडी के अंतर्गत ऐसे खर्चों पर इस्तेमाल हुई इनकम पर छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
डिसेबिलिटी के प्रतिशत के आधार पर कवरेज लिमिट निर्धारित की जाती है, जहां 40-80% डिसेबिलिटी वाले लोग ₹75,000 तक डिडक्शन के योग्य होते हैं।
80% से ज्यादा डिसेबिलिटी वाले व्यक्ति का ध्यान रखने वाले परिवार सभी संबंधित खर्चों सहित ₹1.25 लाख तक क्लेम कर सकते हैं। ऐसे क्लेम केवल ऐसे आश्रित व्यक्तियों को ही दिए जाते हैं।
13. डिसेबल्ड व्यक्तियों के लिए बढ़ाए गए इनकम टैक्स के फ़ायदे
सेक्शन - 80यू
लिमिट:
- 40%-80% डिसेबिलिटी के लिए ₹75,000
- 80% डिसेबिलिटी के लिए ₹1,25,000
डिसेबल्ड व्यक्ति सेक्शन 80यू के अंतर्गत टैक्स छूट के रूप में मुआवजा क्लेम कर सकते हैं। ऎसी डिसेबिलिटी को रजिस्टर मेडिकल अथॉरिटी की ओर से कम से कम 40% क्षति के साथ सत्यापित किया जाना चाहिए।
40-80% डिसेबिलिटी वाले व्यक्ति ₹75,000 का क्लेम कर सकते हैं, जबकि 80% से ज्यादा डिसेबिलिटी वाले लोग टैक्स बेनिफ़िट के माध्यम से अधिकतम ₹1.25 लाख लेने के हक़दार होते हैं ।
14. किसी खास बीमारी या डिसेबिलिटी वाले व्यक्तियों के इलाज पर हुए खर्चे
सेक्शन - 80डीडीबी
लिमिट - ₹40,000 (सीनियर सिटीजन के लिए ₹1,00,000)
किसी खास बीमारी वाले परिवार के आश्रित सदस्य के इलाज का खर्चा उठाने वाले लोग खर्च हुई इनकम को बाद में टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
ऐसे मामलों में 60 साल से कम उम्र के लोगों अधिकतम ₹40,000 दिए जाते हैं। ऐसी छूट सीनियर सिटीजन (60-80 साल) और सुपर सीनियर सिटीजन (80 साल से ज्यादा) के लिए बढ़कर ₹1 लाख तक हो जाते हैं।
[स्रोत]