हेल्थ इंश्योरेंस कैलकुलेटर के बारे में पूरी जानकारी
इंडिया टुडे में हाल ही में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018-19 में भारत में रिटेल हेल्थ केयर की कीमतों में औसतन 7.14% की बढ़ोतरी हुई। ये पिछले की 4.39% की बढ़ोतरी से कई ज्यादा है। मतलब ये कि हेल्थ केयर प्रोडक्ट्स की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।(1)
इस माहौल में हेल्थ केयर इंश्योरेंस पॉलिसी एक सावधानी ही नहीं रही बल्कि एक जरूरत बन चुकी है ताकि मेडिकल पर आए फाइनेंशियल नुकसान से बचा जा सके।
अब, जब आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने जा रहे हैं तो आपको सबसे पहले क्या जानना चाहिए?
जाहिर है इसकी प्रीमियम राशि!
आगे पढ़ें कि आप किस तरह अपना हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेट कर सकते हैं, इसे क्या बातें प्रभावित करती हैं और इसे कैसे कम किया जा सकता है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर क्या है?
तकनीक के दौर में कई इंश्योरेंस कंपनियां ऑनलाइन काम कर रही हैं। ग्राहकों की सुविधा के लिए ये कई तरह के ऑनलाइन टूल्स भी लाती रहती हैं!
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर ऐसा ही एक टूल है जिससे आप आसानी से अपने इंश्योरेंस की प्रीमियम राशि को कैलकुलेट कर सकते हैं!
क्योंकि प्रीमियम की राशि को कैलकुलेट करना थोड़ा कठिन काम है, इसलिए ज्यादातर लोग इंश्योरेंस कंपनी द्वारा बताई गई राशि का ही भुगतान करते हैं। लेकिन ऑनलाइन कैलकुलेटर की मदद से, कुछ जानकारी देने पर ही प्रीमियम राशि मिनटों में कैलकुलेट की जा सकती है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम क्यों कैलकुलेट करें?
इससे समय और संसाधनों की बचत होती है। साथ ही ये एक कठिन काम को आपके लिए आसान बना देता है।
जटिल नियम और शर्तों के कारण इंश्योरेंस पॉलिसी को कभी-कभी समझना कठिन हो जाता है। कई बार लोगों को कुछ शर्तों के बारे में सही से जानकारी नहीं होती और वो ज्यादा प्रीमियम दे देते हैं। ऑनलाइन प्रीमियम कैलकुलेट करने से आपको अपने इंश्योरेंस प्लान के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम की जानकारी पहले ही हो जाती है।
साथ ही, सही जानकारी देने पर ये आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को कैलकुलेट करने में किसी भी गलती की संभावना को खत्म कर देता है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर के 5 फायदे
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम कैलकुलेटर के इस्तेमाल से आपको ढेरों लाभ मिलते हैं। अगर आप अपनी प्रीमियम की राशि को ऑनलाइन हेल्थ इंश्योरेंस कैलकुलेटर की मदद से कैलकुलेट करते हैं तो आपको ये लाभ होते हैं:
- फाइनेंशियल प्लानिंग को आसान बनाता है- इस कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके आपको पॉलिसी खरीदने से पहले उसकी प्रीमियम राशि की सही जानकारी मिल जाएगी। इस तरह से आप भविष्य में अपने फाइनेंस को बेहतर प्लान कर सकते हैं।
- प्रीमियम पेमेंट में डिफॉल्ट के खतरे को कम करता है- पहले से ही प्रीमियम की राशि जान लेने से भविष्य में प्रीमियम के भुगतान में डिफॉल्ट की संभावना कम हो जाती है। इसकी मदद से आप वो पॉलिसी चुन पाएंगे जिसकी प्रीमियम राशि का भुगतान आप आसानी से कर सकें।
- अपनी जरूरत के हिसाब से इंश्योरेंस प्लान ले पाएंगे- हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर की मदद से आप तमाम मांगों को अपने हिसाब से कम-ज्यादा कर सकते हैं। इससे आप ऐसा प्लान चुन पाएंगे जो आपकी जरूरतों के हिसाब से हो और उसकी प्रीमियम राशि आप आसानी से दे पाएं।
- ऐड-ऑन को चुनना आसान बनाता है- मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के सभी तरह के ऐड-ऑन कवर की जानकारी देता है जो आपकी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करते हैं। यह ऐड-ऑन कवर चुनने पर आपके द्वारा दिए जाने वाले प्रीमियम को कैलकुलेट करता है।
- आपको सबसे अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने में मदद करता है- प्रीमियम कैलकुलेटर अलग अलग इंश्योरेंस कंपनियों की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी दिखाता है जिससे आप आसानी से उनमें तुलना कर सकते हैं। इससे आपको अपने लिए बेहतर इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने में मदद मिलती है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर का इस्तेमाल कैसे करें?
ऑनलाइन इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते हुए अपनी प्रीमियम राशि जानना बेहद आसान है।
आपको बस कुछ स्टेप्स फॉलो करने की जरूरत है। आपको केवल सही जानकारी देनी होगी आपको आपके हेल्थ इंश्योरेंस कवर के प्रीमियम की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए आप डिजिट इंश्योरेंस की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी देख रहे हैं तो आप अपनी प्रीमियम राशि को आसानी से कैलकुलेट कर सकते हैं।
यहां जानें!
आपके चुने विकल्पों के आधार पर, आपको सालाना प्रीमियम की भुगतान राशि बता दी जाएगी, इसे अदा करके आप हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीद सकते हैं।
जी हां, ये इतना आसान है!
न कोई कीमत, न कोई समस्या- आप कुछ मिनटों में ही जान जाएंगे कि आपको अपने इंश्योरेंस प्लान के लिए कितने प्रीमियम का भुगतान करना है।
क्या बातें आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करती हैं?
अब जब आप ये जान चुके हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम की राशि को किस तरह कैलकुलेट करना है, तो अब आप ये भी जान लें कि आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को कौन सी बातें प्रभावित करती हैं-
1. मार्केटिंग और एडमिनिस्ट्रेशन में शामिल खर्च
इंश्योरेंस कंपनी अपने कामकाज और प्रोडक्ट की मार्केटिंग पर भारी खर्च करती हैं। ये कीमत पॉलिसी होल्डर से वसूली जाती है और उनकी प्रीमियम राशि को प्रभावित करती हैं।
2. आप किस तरह का प्लान ले रहे हैं
आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि आप किस तरह का प्लान ले रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान फैमिली फ्लोटर प्लान से ज्यादा महंगे होते हैं और इनमें आपको ज्यादा प्रीमियम भरना होता है।
इनके बारे में अधिक जानें:
- इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस
- फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस
- सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस
- मैटरनिटी कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस
- ओपीडी कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस
3. को पेमेंट के नियम और डिडक्टिबल्स
कुछ हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी अनिवार्य या स्वैच्छिक सह-भुगतान (को-पेमेंट) और डिडक्टिबल क्लॉज के साथ आती हैं। डिडक्टिबल्स के साथ, पॉलिसी धारक को इंश्योरेंस पॉलिसी लागू होने से पहले इलाज के खर्च का एक हिस्सा खुद उठाना पड़ता है।
को-पेमेंट नियम के साथ आपको इलाज के कुल खर्च का एक प्रतिशत कवर करना होगा जबकि बाकी इंश्योरेंस प्रोवाइडर द्वारा कवर किया जाएगा। लेकिन सह भुगतान और डिडक्टिबल्स के साथ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए प्रीमियम भुगतान काफी हद तक कम हो जाता है। इस तरह कुछ कारक हैं जो आपके इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करते हैं।
को-पेमेंट, को इंश्योरेंस और डिडक्टिबल्स के अंतर के बारे में और जानें
4. एड-ऑन कवर
ऐड-ऑन कवर उन मानकों में से एक है जो आपके प्रीमियम को कैलकुलेट करते वक्त हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर में भरने होते हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि जब आप किसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के मौजूदा लाभों पर ऐड-ऑन कवर का विकल्प चुनते हैं तो पॉलिसी के लिए आपका प्रीमियम भुगतान खुद-ब-खुद बढ़ जाता है।
5. निवेश और बचत
ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां अपनी पूंजी अलग-अलग पब्लिक सेक्टर कंपनियों में निवेश करती हैं। भविष्य में कभी कंपलाइंस की कोई समस्या न हो इसलिए यह निवेश IRDA के निर्देशों का पालन करते हैं।
इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए आपको जिस प्रीमियम का भुगतान करना होगा वह एक हद तक इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा अपने निवेश से प्राप्त लाभ पर निर्भर करता है।
6. ब्रोकर से इंश्योरेंस खरीदना
भले ही ये आपके प्रीमियम के भुगतान को बढ़ाता नहीं है लेकिन इससे आपकी पॉलिसी की कुल राशि बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको ब्रोकर की सेवा का भुगतान भी करना होता है।
7. पहले से मौजूद बीमारी का क्रेज
अगर आप ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चाहते हैं जिसमें पहले से मौजूद बीमारी को कवर किया जाए तो आपको आम तौर पर एक वेटिंग पीरियड दिया जाता है जिसके बाद ही आप पॉलिसी के लाभ उठा सकते हैं।
लेकिन इस वेटिंग पीरियड को कम करने का एक तरीका भी है- आपको थोड़ी अधिक प्रीमियम राशि देनी होगी। इसलिए आपको प्रीमियम पेमेंट इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप पहले से मौजूद बीमारी को अपने प्लान में शामिल करना चाहते हैं या नहीं।
8. मृत्यु दर
प्रीमियम का भुगतान इस बात पर भी निर्भर करता है कि मृत्यु की संभावना कितनी है। क्योंकि किसी ग्राहक की मृत्यु होने पर ये खर्च इंश्योरेंस कंपनी को ही उठाना पड़ता है।
इसी कारण, अलग अलग उम्र के हिसाब से प्रीमियम भुगतान बदलता रहता है। सीनियर या सुपर सीनियर सिटीजन के लिए ये आम तौर पर ज्यादा होता है।
9. मेडिकल अंडर राइटिंग
हर इंश्योरेंस कंपनी कुछ खास तरह के प्रोडक्ट पेश करती है जैसे इंडिविजुअल पॉलिसी, ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी, फैमिली फ्लोटर पॉलिसी आदि।
इन पॉलिसी की अंडर राइटिंग कुछ इस तरह की जाती है जिससे सभी पॉलिसी के जोखिम को अच्छी तरह से बैलेंस किया जा सके और इंश्योरेंस कंपनी की लायबिलिटी को आसानी से मैनेज किया जा सके।
इसलिए, इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम इस बात पर भी निर्भर करता है कि व्यक्ति की मेडिकल जानकारी के आधार पर, वो एक पॉलिसी होल्डर के तौर पर कितना बड़ा रिस्क है।
10. बेस रेट
इंश्योरेंस कंपनी कुछ खास बातों जैसे उम्र, लिंग, परिवार का आकार, क्षेत्र, व्यवसाय आदि के आधार पर व्यक्तियों के समूहों के लिए बेस रेट तय करते हैं।
उदाहरण के तौर पर, बेस रेट कुछ इस तरह सेट किया जाता है कि 40 और 50 साल की उम्र के लोगों को 25-35 साल की उम्र के लोगों की तुलना में ज्यादा प्रीमियम देना होता है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को कैसे कम करें?
ऐसे कुछ तरीके हैं जिनसे आप ये आसानी से कर सकते हैं।
1. कम उम्र में पॉलिसी लें
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि पॉलिसी कम उम्र में ली जाए।
ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियों में, व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ इंश्योरेंस प्रीमियम की भुगतान राशि भी बढ़ती जाती है क्योंकि ज्यादा उम्र के व्यक्तियों में बीमार पड़ने की संभावना भी ज्यादा होती है। इसलिए बेहतर रहता है कि आप कम उम्र में ही पॉलिसी लें जब आप स्वस्थ होते हैं।
साथ ही माता-पिता के लिए पॉलिसी खरीदते वक्त भी ध्यान रखें कि आप उनके 60 साल के होने से पहले पॉलिसी ले लें। ऐसा इसलिए क्योंकि सीनियर सिटीजन के लिए पॉलिसी प्रीमियम की राशि ज्यादा होती है।
2. को पेमेंट और डिडक्टिबल्स लें
को पेमेंट और डिडक्टिबल्स लेने से आप अपनी प्रीमियम की राशि को कम कर सकते हैं। को पेमेंट और डिडक्टिबल्स से आपके उपचार के खर्च का कुछ हिस्सा कवर किया जाता है जिससे आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम कम हो जाता है।
3. टॉप-अप प्लान चुनें
अगर आप हाई कवरेज राशि चाहते हैं तो आपको ज्यादा प्रीमियम भरना होगा, इसलिए प्रीमियम कम करने के लिए आप कम कवरेज वाली पॉलिसी ले सकते हैं।
बाद में, अगर आप चाहते हैं कि उपचार में कम खर्च हो तो आप अपने इंश्योरेंस प्लान में टॉप अप ले सकते हैं। ये तब काम करता है जब आपकी इंश्योरेंस की मूल राशि खत्म हो जाती है।
4. एड-ऑन कवर चलाते वक्त सावधानी बरतें
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर आपको ज्यादा खर्च न करना पड़े इसके लिए आपको अपने एड ऑन कवर को सावधानी से चुनना होगा।
जिन कवर की आपको जरूरत नहीं है उन्हें चुनने पर आपको ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
5. सीधे इंश्योरेंस कंपनी से खरीदें
ब्रोकर से इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने पर उसकी कीमत बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपको ब्रोकर की सेवा राशि का भुगतान भी करना पड़ता है। इससे बचने के लिए आप सीधा इंश्योरेंस प्रोवाइडर से पॉलिसी खरीद सकते हैं।
6. अपने क्षेत्र के हिसाब से प्लान चुनें
मान लीजिए आप जॉन सी वाले शहर में रहते हैं जहां जोन ए या जोन बी की तुलना में उपचार खर्च कम होता है। ऐसे में जॉन सी वाले शहर में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रीमियम राशि भी बाकी दो जोन से कम होनी चाहिए।
इसलिए अगर आप अपने शहर में उपचार कराना चाहते हैं तो आप ऐसा प्लान चुनें जिससे आपका भुगतान कम हो सके।
7. नो क्लेम बोनस पॉलिसी देखें
पॉलिसी वर्ष में आपने क्लेम नहीं किया? आपको बोनस मिलता है- सेहतमंद और क्लेम फ़्री बने रहने के लिए आपकी इंश्योरेंस की कुल राशि में आपको अतिरिक्त राशि मिलेगी।
यह बोनस जिसे क्यूमिलेटिव बोनस भी कहते हैं, हर क्लेम मुक्त वर्ष में इंश्योरेंस की मूल राशि का कुछ प्रतिशत मिलने वाला धन है।
डिजिट में, आपके प्लान के आधार पर, यह 10% या 50% से लेकर अधिकतम 100% तक होता है। नतीजतन, आपकी इंश्योरेंस की कुल राशि बढ़ जाती है। हालांकि, अगर आप इंश्योरेंस एक्सपायर होने पर उसे रिन्यू करवाना भूल जाते हैं, तो यह राशि समाप्त हो जाती है।
8. फैमिली फ्लोटर प्लान अपनाएं
इंडिविजुअल प्लान की तुलना में फैमिली फ्लोटर प्लान लेने से प्लान की कीमत कम हो जाती है। ऐसे प्लान में परिवार के दो या ज्यादा लोग कवर किए जाते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस टैक्स बेनिफिट
आप इनकम टैक्स एक्ट, 1961, के सेक्शन 80 डी के तहत अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं।
नीचे दी गई टेबल बताती है कि आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर कितना टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं :
योग्यता | छूट की लिमिट |
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अपने और परिवार के लिए (जीवन साथी, आश्रित बच्चे) | 25,000 रुपए तक |
अपने, परिवार+ माता पिता के लिए (60 साल उम्र से कम) | 25,000 रुपए+25,000 रुपए = 50,000 रुपए तक |
अपने और परिवार के लिए (जहां परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति की उम्र 60 साल से कम हो)+ (माता पिता 60 साल से ज्यादा) | 25,000 रुपए+50,000 रुपए = 75,000 रुपए तक |
अपने और परिवार के लिए (जहां परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति की उम्र 60 साल से ज्यादा हो)+(माता पिता 60 साल से ज्यादा) | 50,000 रुपए+50,000 रुपए = 1,00,000 रुपए तक |
इसलिए अगर आप अभी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने को टाल रहे हैं तो अब ऐसा न करें, पॉलिसी आज ही खरीदें।
लेकिन कवर लेने से पहले मेडिक्लेम इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके प्रीमियम की राशि कैलकुलेट करना न भूलें।
इनके बारे में अधिक जानें :
हेल्थ इंश्योरेंस कैलकुलेटर से संबंधित सवाल
डिडक्टिबल्स क्या हैं?
डिडक्टिबल्स उपचार खर्च का वो हिस्सा होता है जिसे पॉलिसी होल्डर को अपनी जेब से भरना पड़ता है जिसके बाद इंश्योरेंस कवर काम करना शुरू करता है।
क्या हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में जीएसटी देना पड़ता है?
हां, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% जीएसटी जीएसटी देना होता है।
क्या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम अलग अलग इंश्योरेंस प्रोवाइडर के हिसाब से अलग अलग होता है?
हां, अलग अलग इंश्योरेंस प्रोवाइडर के हिसाब से प्रीमियम की राशि बदलती जाती है।