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2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1.3 अरब नागरिकों में से सिर्फ लगभग 4.72 करोड़ व्यक्तियों के पास वैध हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज है।
इस तरह, आधी आबादी के पास मेडिकल खर्चों के लिए कोई कवरेज नहीं है। इसमें वास्तविक गरीबी दर जोड़ें, और आप समझ सकते हैं कि समाज का एक बड़ा वर्ग गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं का खर्च नहीं उठा सकता है।
तो, भारतीय जनता के लिए मुख्य मेडिकल सेवाएं कैसे ज्यादा सुलभ हो सकती हैं?
इसका उत्तर है भारत सरकार की शुरू की गई नई और मददगार हेल्थ इंश्योरेंस योजनाएं
यहां कुछ सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं पर विचार किया गया है, जिसने लाखों भारतीयों को जरूरत पड़ने पर गुणवत्ता वाला इलाज और मेडिकल प्रक्रियाओं को करने में सक्षम बनाया है।
पीएम-जय इसका मतलब एक विशेष हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से है, जो भारत के आर्थिक तौर पर अक्षम सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
ऐसा परिवार हर साल 30 रुपए के प्रीमियम का भुगतान करके हर साल 5 लाख रुपए तक के मेडिकल इंश्योरेंस कवरेज का क्लेम कर सकता है।
इस मेडिकल कवरेज के अलावा, इस योजना ने पूरे देश में लगभग 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र भी बनवाए हैं।
2017 में केरल सरकार की शुरू की गई यह विशेष इंश्योरेंस पॉलिसी केरल में बिना मेडिकल कवरेज वाले अंतर-राज्यीय मजदूरों के लिए बनाई है।
मेडिकल आपात स्थिति के दौरान वित्तीय सहायता के अलावा, यह योजना पॉलिसी धारक के परिवार के सदस्यों को मृत्यु लाभ सुविधा भी देती है।
इस प्लान से आप 15000 रुपए तक का मेडिकल कवरेज क्लेम कर सकते हैं। इसका मृत्यु लाभ पॉलिसी धारक की मौत के बाद परिवार के जीवित सदस्यों को 2 लाख रुपए का भुगतान देता है।
हालांकि, यह सुविधा सिर्फ 18 से 60 साल की उम्र के मजदूरों के लिए ही उपलब्ध है। इसलिए, वरिष्ठ नागरिक इस कवरेज के लिए योग्य नहीं होते हैं।
भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना राजस्थान के ग्रामीण निवासियों को स्वास्थ्य सेवा कवरेज देने की एक खास पहल है।
वे लोग जो राष्ट्रीय हेल्थ इंश्योरेंस योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के फ़ायदों का क्लेम करने के पात्र हैं, वे भी इस योजना का विकल्प चुन सकते हैं।
याद रखने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस योजना में पॉलिसी धारक के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
यूनाइटेड इंडिया इन्शुरर, तमिलनाडु, के सहयोग से राज्य में जरूरतमंद लोगों को यह प्रभावशाली फ़ैमिली फ़्लोटर मेडिकल इंश्योरेंस देता है।
सालाना 75000 रुपए से कम आय वाले लोग खास तौर पर इस योजना के लिए पात्र हैं। अगर आप इस ऑफर का फ़ायदा लेते हैं, तो आप चुनिंदा सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती होने के खर्च के तौर पर रु. 5 लाख तक का क्लेम कर सकते हैं।
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मामूली दामों पर एक और बहुत उपयोगी हेल्थ इंश्योरेंस योजना है आम आदमी इंश्योरेंस योजना या आबी। हालांकि, यह सिर्फ चुनिंदा व्यवसायों में काम कर रहे व्यक्तियों के लिए उपलब्ध है।
यह योजना 48 अलग-अलग व्यवसायों के कामगारों को मदद करती है, जो ज्यादातर कपड़ा बुनने, बढ़ईगीरी, मछली पकड़ने और अन्य कामों से जुड़े हैं।
इनमें से एक व्यवसायिक पेशे में लगे होने के अलावा आवेदक को परिवार का कमाऊ मुखिया भी होना चाहिए।
पॉलिसी धारक 200 रुपए के सालाना प्रीमियम का भुगतान करके इस योजना से कवरेज के रूप में 30000 रुपए तक का क्लेम कर सकते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से चलने वाली इस इंश्योरेंस योजना का उद्देश्य सिर्फ केंद्र सरकार के कर्मचारियों को कवर करना है।
भारतीय रेलवे के पदों पर काम करने वाले कर्मचारी, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और केंद्र सरकार के अधीन ऐसे अन्य महत्वपूर्ण कर्मचारी इस योजना का फ़ायदा उठा सकते हैं।
यह अस्पताल में भर्ती होने के फ़ायदे के साथ-साथ घरेलू इलाज कवरेज भी देती है। इसके अलावा, आप ऐसी पॉलिसी से होम्योपैथी और प्राकृतिक मेडिकल खर्च भी पा सकते हैं।
सीजीएचएस वर्तमान में, 71 भारतीय शहरों में उपलब्ध है। लेकिन, उम्मीद है कि इस सूची में बाद में और शहरों को जोड़ा जाएगा।
करुणा स्वास्थ्य योजना केरल सरकार की एक और लोकप्रिय पहल है। करुणा स्वास्थ्य योजना समाज के आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों के व्यक्तियों को क्रिटिकल इलनेस कवरेज देती है।
कैंसर से लेकर दिल के रोगों तक, सभी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर इंश्योरेंसरियों के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। ध्यान रखें कि अधिकांश स्टैंडर्ड पॉलिसी के तहत गंभीर इंश्योरेंसरियों के लिए वित्तीय कवरेज सीमित है।
यह योजना लेने के लिए आपको अपने आधार कार्ड की कॉपी के साथ अपना आय प्रमाण पत्र जमा करना होगा।
अगर आप एक फैक्ट्री कर्मचारी हैं, तो सरकार की यह पहल आपके सलामती से जुड़ी है। देश की आजादी के बाद भारतीय कारखानों में होने वाली मौतों और विकलांगों की संख्या को कम करने के लिए सरकार ने कारखाने के कर्मचारियों के लिए यह इंश्योरेंस सुविधा शुरू की है।
हालांकि, यह योजना शुरू में केवल कानपुर और दिल्ली के कारखानों तक ही सीमित थी, लेकिन अब इसे पूरे भारत में 7 लाख से ज्यादा कारखानों के लिए अपग्रेड किया गया है।
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भारत सरकार ने देश में मेडिकल क्षेत्र में कवर व्यक्तियों की संख्या बढ़ाने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री सुरक्षा इंश्योरेंस योजना इसी दिशा में एक कदम है, जो पॉलिसी धारकों को आकस्मिक मृत्यु और विकलांगता लाभ देती है।
आंशिक विकलांगता से पीड़ित लोग इस योजना से 1 लाख रुपए तक का क्लेम कर सकते हैं, जबकि पूर्ण विकलांगता/मृत्यु की स्थिति में लोग 2 लाख रुपए तक के फ़ायदे का विकल्प चुन सकते हैं। इस कवरेज पाने के लिए आपको 12 रुपए के सालाना प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
किसी भी बैंक में बचत खाता रखने वाले 18 से 70 साल की उम्र के आवेदक योजना से जुड़े फ़ायदे लेने के पात्र हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्तियों के लिए यह हेल्थ इंश्योरेंस योजना शुरू की है।
लेकिन, सिर्फ चुनिंदा जिलों के निवासी ही आवेदन कर सकते हैं। पॉलिसी धारक कवरेज के पहले दिन से इंश्योरेंसरियों, चिह्नित समावेशन के लिए वित्तीय फ़ायदे का क्लेम कर सकते हैं। ज्यादा से ज्यादा कवरेज राशि 1.5 लाख रुपए तक है।
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अकेली योजना होने के बजाय यह एक छत्र योजना है, जिसमें आंध्र प्रदेश के निवासियों के लिए चार अलग-अलग तरह की पॉलिसी शामिल हैं।
एक गरीबों को फ़ायदे पहुंचाती है, जबकि दूसरी गरीबी रेखा से ऊपर के व्यक्तियों के लिए है। तीसरी पत्रकारों के लिए है और यह कैशलेस इलाज की सुविधा देती है। इस छत्र योजना का एक आखिरी हिस्सा सिर्फ राज्य कर्मचारियों को कवर करता है।
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मुख्यमंत्री अमृतम योजना विशिष्ट योजना है जिसे 2012 में गुजरात सरकार की पहल के तहत शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य राज्य के निम्न मध्यम वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे के नागरिकों की मदद करना है।
फ़ैमिली फ़्लोटर पॉलिसी के हिस्से के रूप में लाभार्थियों को 3 लाख रुपए की इंश्योर की गई राशि मिलती है। आप ट्रस्ट-आधारित अस्पतालों, सार्वजनिक और निजी अस्पतालों सहित अलग-अलग तरह के अस्पतालों में इलाज करवा सकते हैं।
मजदूरों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों के पास अक्सर कोई भी हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज नहीं होता है। हालांकि, दूसरों की तरह इन लोगों को भी इंश्योरेंसरियों और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए, मेडिकल कवरेज की जरूरत उनके लिए उतनी ही है जितनी दूसरों के लिए।
श्रम और रोजगार मंत्रालय असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और उनके परिवारों (5 लोगों तक) को ऐसी पॉलिसी की पेशकश करता है।
पश्चिम बंगाल राज्य सरकार के कर्मचारी इस खास मेडिकल इंश्योरेंस योजना का फ़ायदा ले सकते हैं। इसे 2008 में पेश किया गया था और यह कर्मचारी और उसके परिवार के सदस्यों को 1 लाख रुपए इंश्योर की गई राशि देता करता है। योजना कुछ मामलों में सर्जरी खर्च के साथ ही ओपीडी इलाज को भी कवर करती है।
याद रखने वाली एक अन्य महत्वपूर्ण बात, वर्तमान कर्मचारियों के अलावा इस योजना में पेंशनभोगियों के लिए भी समान प्रावधान हैं।
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यह भारत सरकार की सबसे सस्ती सरकारी हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में से एक है। 5 से 70 साल की उम्र के आवेदक इस तरह के कवरेज का विकल्प चुन सकते हैं।
साथ ही, जिन व्यक्तियों को गरीबी रेखा से नीचे के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, वे जरूरी दस्तावेज़ जमा करने के बाद इसका फ़ायदा उठा सकते हैं।
इस पॉलिसी के तहत पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन, आकस्मिक विकलांगता और बहुत कुछ शामिल हैं। हालांकि, पॉलिसी प्रीमियम आपके परिवार के आकार और कवर किए गए व्यक्तियों की संख्या पर निर्भर करता है।
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सहकारी समिति से जुड़े कर्नाटक के किसान इस योजना से वित्तीय फ़ायदा ले सकते हैं।
ये लोग अलग-अलग मेडिकल क्षेत्रों में 800 से ज्यादा प्रक्रियाओं के लिए मेडिकल कवरेज पा सकते हैं।
हालांकि, लाभार्थियों को इलाज के दौरान जरूरी वित्तीय मदद पाने के लिए केवल नेटवर्क अस्पतालों पर जाना चाहिए।
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तेलंगाना राज्य सरकार अपने एम्प्लोयी और जर्नलिस्ट को कॉमप्रिहेंसिव मेडिकल कवरेज देती है। मौजूदा कर्मचारियों के अलावा, यह पॉलिसी सेवानिवृत्त या पूर्व कर्मचारियों को भी कवर करती है।
इस योजना का प्राथमिक फ़ायदा कैशलेस इलाज है, जिससे पॉलिसी धारक वित्तीय परेशानियों का सामना किए बिना इलाज कराने में सक्षम होते हैं।
सरकारी हेल्थ इंश्योरेंस योजनाएं खास तौर पर वांछनीय हैं, क्योंकि वे सामान्य योजनाओं की तुलना में बेहद ही कम कीमत पर उपलब्ध हैं।
ऊपर सूचीबद्ध विकल्प असमर्थ लोगों के लिए उपलब्ध, सरकार की चलाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय मेडिकल कवरेज सुविधाओं में से कुछ हैं।