इंश्योरेंस उद्योग में इस्तेमाल किए जाने वाले तकनीकी शब्दों को समझना कठिन होता है, लेकिन आप उन्हें पूरी तरह से अनदेखा नहीं कर सकते। नजरअंदाज करने से कोई फायदा नहीं। आपके पास जितनी ज्यादा जानकारी होगी, आप अपने लिए बुद्धिमानी भर निर्णय लेने की उतनी ही बेहतर स्थिति में होंगे।
डिडक्टिबल हेल्थ इंश्योरेंस में इस्तेमाल किया जाने वाला ऐसा ही एक शब्द है। अगर आप भ्रमित हैं, तो चिंता न करें। यहां आपके लिए इसे समझाने और सरल बनाने के लिए हैं।
डिजिट में हम ग्राहकों के लिए तकनीकि शब्दावली को सरल बनाने में विश्वास करते हैं, जिससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है और पारदर्शिता हम सबको चाहिए, है ना?
डिडक्टिबल वह राशि होती है जिसका भुगतान इंश्योर्ड व्यक्ति को क्लेम करते समय क्लेम के हिस्से के तौर पर करना पड़ता है, और बकाया राशि का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी करती है। उदाहरण की जरूरत है? आगे पढ़ें।
यह कैसे काम करता है - अगर आपके प्लान की डिडक्टिबल राशि 10,000 रुपए और स्वास्थ्य देखभाल का क्लेम 35,000 रुपए है, तो आपकी इंश्योरेंस कंपनी 35000-10000 = 25,000 रुपए का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगी। 10,000 रुपए का भुगतान आपकी जेब से किया जाएगा, क्योंकि यह आपकी पॉलिसी प्लान की डिडक्टिबल राशि है।
या, उदाहरण के लिए मान लें कि आपका स्वास्थ्य देखभाल क्लेम 15,000 रुपए का है और आपके प्लान की डिडक्टिबल राशि 20,000 रुपए है, तो आपकी इंश्योरेंस कंपनी कुछ भी भुगतान नहीं करेगी क्योंकि क्लेम राशि डिडक्टिबल राशि से कम है।
आपकी इंश्योरेंस कंपनी भुगतान करने के लिए सिर्फ तभी उत्तरदायी होगी, जब यह राशि डिडक्टिबल राशि के ज्यादा होती है।
अब भी ठीक से नहीं समझ आया? इस तरह से समझें:
अगर किसी छोटी लड़की को कोई खिलौना दिया जाए और कहा जाए कि अगर यह खराब हो गया तो उसे अपने गुल्लक से कुछ रकम चुकानी होगी। आपको क्या लगता है? क्या वह खिलौने से खेलते समय सावधान नहीं होगी।
बेशक होगी, वह सावधान रहेगी क्योंकि वह जानती है कि अगर खिलौना खराब हो गया तो उसकी गुल्लक से उसकी बचत खत्म हो जाएगी। वह जो पैसा अपनी गुल्लक से देगी, वही डिडक्टिबल राशि है। आसान है, ना?
ऐसा सभी बीमा कंपनियां इसलिए करती हैं ताकि इंश्योरेंस धारकों को छोटे-छोटे क्लेम करने से रोका जा सके और एक तरह से उन्हें पहले ही बता दिया जाए कि कुल राशि का एक हिस्सा का भुगतान उन्हें करना होगा।
इस तरह, सिर्फ सही क्लेम ही किए जाते हैं। कोई खास पॉलिसी खरीदने से पहले हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के डिडक्टिबल की संरचना को समझना जरूरी है।
इसके बारे और में जानें:
कंपल्सरी डिडक्टिबल |
वॉलेंटरी डिडक्टिबल |
यह इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से तय की गई राशि है जिसका भुगतान इंश्योरेंस धारक को क्लेम करने पर करना होगा। |
यह इंश्योरेंस धारक की चुनी गई राशि है, जहां इंश्योरेंस धारक को ये राशि चुनने का मौका मिलता है, और जब कोई क्लेम की स्थिति आएगी, तो इस राशि का भुगतान वह अपनी जेब से करेगा। चुनी गई राशि पॉलिसीधारकों के लिए अलग-अलग होती है क्योंकि यह वित्तीय सामर्थ्य और चिकित्सा खर्च के मुताबिक तय होती है। |
कंपल्सरी डिडक्टिबल राशि के आधार पर प्रीमियम में कोई कमी नहीं आती, प्रीमियम वही रहता है। |
आपकी डिडक्टिबल राशि जितनी ज्यादा होगी, आपका प्रीमियम उतना ही कम होगा। |
यहां क्लेम के मामले में, इंश्योरेंस धारक सिर्फ इंश्योरेंस कंपनी के तय कंपल्सरी डिडक्टिबल राशि का भुगतान करेगा। |
यहां क्लेम के मामले में, इंश्योरेंस धारक सिर्फ इंश्योरेंस कंपनी के तय कंपल्सरी डिडक्टिबल राशि का भुगतान करेगा। |
तो, अब सोचिए कि क्लेम किए गए पैसे के एक हिस्से का भुगतान आपकी जेब से किया जाएगा, तो आप अनावश्यक क्लेम करने से पहले क्या दो बार नहीं सोचेंगे? आप निश्चित तौर पर सोचेंगे और हम पर विश्वास करेंगे, यह हर तरह से आपके फ़ायदे के लिए है।
यह आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और ऊपर बताए गए अलग-अलग कारकों को ध्यान में रखते हुए सावधानी से प्लान करना चाहिए। अगर वॉलेंटरी डिडक्टिबल का विकल्प चुनते हैं, तो कम प्रीमियम इस निर्णय का सिर्फ कारक ही नहीं होना चाहिए, आपको अपनी स्वास्थ्य समस्याओं और संभावित क्लेम करने की संख्या पर विचार करना चाहिए। कम अपेक्षित चिकित्सा खर्च वाले लोगों के लिए एक ज्यादा डिडक्टिबल वाला प्लान उपयुक्त हो सकता है। अगर आप क्लेम के समय अतिरिक्त पैसे का भुगतान करने से बचना चाहते हैं, तो या तो वॉलेंटरी डिडक्टिबल चुनने से बचें या बहुत कम राशि का विकल्प चुनें। आप वॉलेंटरी डिडक्टिबल तभी चुन सकते हैं जब आपको विश्वास हो कि जो राशि आप चुन रहे हैं वह आपकी पहुंच के भीतर है।
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