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बिगड़ा हुआ स्वास्थ्य हमेशा चिंता की वजह होता है। भले ही यह साधारण जुखाम हो या गंभीर स्थिति, बीमारी आपको बहुत से काम करने से रोकती हैं। इसके अलावा अगर आप उच्च शिक्षा या नौकरी से जुड़े हुए हैं तो ये बीमारियां आपको उस तय शेड्यूल में काम न करने को बाध्य करती हैं जो आपके लिए बेहद जरूरी होता है।
इसके अलावा ऐसा भी होता है कि कुछ बीमारियां बहुत गंभीर होती हैं और अपने पीछे गहरा नुकसान (स्वास्थ्य और वित्त दोनों मामलों में) छोड़ जाती हैं। इनको क्रिटिकल इलनेस माना जाता है और अगर आपने सही तैयारी नहीं की है तो ये जिंदगी में तूफ़ान ले आती हैं।
चलिए इनको यहाँ पर गहराई से समझते हैं।
क्रिटिकल इलनेस जानलेवा हो सकती है, स्वास्थ्य बेहद खराब भी सकता है, जिसकी वजह से चिकित्सा पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। आमतौर पर इन बीमरियों का इलाज घर या अस्पताल में लंबे समय तक चलता है।
इसलिए,अन्य बीमारियों के इलाज के मुकाबले क्रिटिकल इलनेस के इलाज का खर्चा आमतौर पर ज्यादा होता है।
अगर आपको कोई जानलेवा बीमारी है तो एक सामान्य हेल्थ प्लान इसमें सुरक्षा देने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। उदाहरण के लिए कैंसर एक क्रिटिकल इलनेस है जिसमें बहुत खर्चा होता है, ये एक सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में इंश्योर की गई रकम से कहीं ज्यादा होता है।
इसलिए, अब जब भारत में बेहतर इलाज काफी महंगा हो चुका है तब सिर्फ गंभीर बीमरियों के लिए ही बनी एक खास इंश्योरेंस पॉलिसी की जरूरत होती है। गंभीर बीमरी के लिए बने ये प्लान छोटी बीमारियों के लिए कवरेज नहीं देते हैं लेकिन तब काम करते हैं, जब आपको गंभीर बीमारियों की लिस्ट में शामिल कोई दिक्कत हुई हो।
सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के साथ आपको इलाज के दौरान हुए खर्चों का रीइंबर्समेंट मिलता है।
हालांकि जब आपको क्रिटिकल इलनेस का पता चलता है तो क्रिटिकल इलनेस के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ आपको वो एकमुश्त रकम मिलती है जो इलाज के खर्चों को कवर कर सकती है।
उदाहरण के लिए पॉलिसी की इंश्योर की गई रकम अगर 25 लाख रुपए है तो इंश्योरेंस करने वाली कंपनी की क्रिटिकल इलनेस वाली सूची के तहत दर्ज जानलेवा क्रिटिकल इलनेस के आधिकारिक तौर पर आपको होने का पता चलते ही आप इस रकम के लिए दावा कर सकते हैं।
निम्नलिखित बीमारियां, गंभीर बीमारियों की सूची में शामिल हैं , ये ऐसी बीमारियां हैं जिनके इलाज का खर्चा सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में इंश्योर की गई रकम से ज्यादा होता है।
मायोकार्डियल रोधगलन या दिल का दौरा |
महाधमनी सर्जरी |
लीवर फेल होने की आखिरी स्टेज |
ओपन चेस्ट सीएबीजी या बायपास सर्जरी |
एपेलिक सिंड्रोम या लगातार रहने वाली निष्क्रिय अवस्था |
कम गंभीर ब्रेन ट्यूमर |
फेफड़े खराब होने की आखिरी अवस्था |
अल्जाइमर रोग |
मोटर न्यूरोन रोग |
एक निश्चित चरण से आगे की स्थिति |
पोलियो |
किसी अंग में स्थाई परैलिसिस |
कोई अंग खोना |
सिर पर गंभीर चोट |
गंभीरता से आगे का कोमा |
मस्क्लयूर डिस्ट्रफी |
स्ट्रोक की वजह से स्थाई विकलांगता |
मेडुलरी सिस्टिक रोग |
एप्लास्टिक एनेमिया |
बड़े या थर्ड डिग्री बर्न |
एंजियोप्लास्टी |
पार्किंसंस रोग |
कार्डियोमायोपैथी या दिल की मांसपेशियों की बीमारी |
अंधापन |
फेफड़ों की पुरानी बीमारी |
फेफड़ों की पुरानी बीमारी बोन मैरो का ट्रांसप्लांट |
मल्टीपल स्केलेरोसिस से संबंधित लगातार दिखने वाले लक्षण |
दिल के वॉल्व की सर्जरी |
किडनी फेल होना |
अंग प्रत्यारोपण |
ब्रेन सर्जरी |
स्वतंत्र अस्तित्व का नुकसान |
बहरापन |
बोल न पाना |
हालांकि क्रिटिकल इलनेस के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर होने वाली बीमारियों की संख्या हर इंश्योरेंस कंपनी में अलग-अलग हो सकती है। अतिरिक्त जानकारी के लिए आप इंश्योरेंस देने वाली कंपनी से परामर्श ले सकते हैं।
कंपनी ऐसे खास प्लान के तहत सहायता प्राप्त गंभीर बीमारियों की पूरी सूची दे सकती है।
अब जब आप क्रिटिकल इलनेस की सूची के बारे में जानते हैं तो आपको कवर खरीदने की प्रक्रिया को भी सीख लेना चाहिए। क्रिटिकल इलनेस कवर लेने के लिए आपके पास दो विकल्प हैं।
जिन लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं है, उनको स्टैंडअलोन पॉलिसी खरीने की सलाह दी जाती है ।
स्वास्थ्य खराब हो तो स्वास्थ्य देखभाल की लागत में लगातार हो रही वृद्धि भी तनाव की एक वजह बन जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018-19 के दौरान स्वास्थ्य संबंधी मुद्रास्फीति करीब 7.4% थी जो देश में 3.4% की कुल मुद्रास्फीति दर के दोगुने से भी ज्यादा है। (1)
जब आपका नियमित मेडिकल इंश्योरेंस प्लान क्रिटिकल इलनेस के खर्चों के लिए जरूरी सुरक्षा नहीं दे पाता है, तब क्रिटिकल इलनेस की पॉलिसी अतिरिक्त वित्तीय सहायता कर सकती है।
इस प्रकार, देश में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के बारे में आपकी चिंता गलत नहीं है।
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेकर ऐसी बीमारियों की वजह से होने वाली देनदारियों के समय आपकी आंशिक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो जाती है। अगर आपको खास बीमारी का पता चलता है तो इन प्लान में अस्पताल में भर्ती करने का शुल्क, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद की लागत, मेडिकल खर्चे वगैरह के साथ इलाज का खर्चा रीइंबर्स हो जाता है।
तो अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदते हैं तो आप सुरक्षित हैं, न? गलत!
मानक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान सिर्फ खास बीमारी और इसके इलाज की वजह से हुई वित्तीय देनदारियों के लिए ही सुरक्षा देते हैं। सबसे जरूरी बात जो समझी जानी चाहिए वो है कि आपकी आम मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी में कई सामान्य लेकिन गंभीर बीमारियों के इलाज को कवर करने के लिए जरूरी इंश्योर की हुई रकम नहीं मिलती है।
उदाहरण के लिए अगर आपको कैंसर, दिल की बीमारी का पता चला है या अंग प्रत्यारोपण की आपको जरूरत है तो आपकी मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी ऐसे इलाज के खर्चों के लिए पर्याप्त नहीं होगी। इन परिस्थितियों में खुद को वित्तीय तौर पर सुरक्षित रखने के लिए आपको क्रिटिकल इलनेस के लिए कवर लेना जरूरी होगा ।
क्रिटिकल इलनेस के लिए पॉलिसी लेने के फायदों का निर्धारण करते हुए आपको नीचे बताए गए चार तथ्यों को जान लेना चाहिए।
क्रिटिकल इलनेस उतनी ही सामान्य और जानी-मानी है जितनी कोई और स्स्थिति। अगर आपने मानक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की जरूरत को समझ लिया है तो आपको ये भी समझना होगा कि क्रिटिकल इलनेस के लिए प्लान लेना क्यों जरूरी है।