वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र
वाहन रजिस्ट्रेशन के ट्रांसफ़र के बारे में ज्यादा जानें: राज्य के अंदर और दूसरे राज्यों में ट्रांसफ़र
ऑनलाइन वेबसाइट पर खरीदार और विक्रेता के लिए मिलने का प्लैटफ़ॉर्म तैयार होने की वजह से, भले ही वाहनों को बेचने की प्रक्रिया पिछले कुछ सालों में काफी आसान हुई हो, लेकिन कुछ औपचारिकताओं को पूरा किया जाना ज़रूरी होता है।
इन सबके बीच वाहन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर मालिक के नाम में बदलाव होना जरूरी है। जब आप वाहन का मालिकाना हक़ किसी और व्यक्ति के नाम ट्रांसफ़र करते हैं, तो जाहिर है कि इसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर आपका नाम नहीं रहेगा।
तो इसके लिए आप क्या करते हैं?जानने के लिए आगे पढ़ें!
वाहन रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र- इसका अर्थ क्या है?
जब आप अपने नाम पर रजिस्टर कार या कोई अन्य वाहन बेचते हैं तो कानून के मुताबिक आप वाहन का मालिकाना हक खरीदार को देने के लिए बाध्य होते हैं। आरसी ट्रांसफ़र की यह प्रकिया काफी जरूरी है, क्योंकि इससे सुनिश्चित होता है कि वाहन और इसकी कानूनी जिम्मेदारी नए मालिक को ट्रांसफर कर दी गई है ।
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करने के लिए निश्चित प्रकिया अपनानी होती है।
हालांकि, रुकिए!
ऐसे कई अलग-अलग मौके होते हैं जिनके तहत वाहन की आरसी ट्रांसफर की जा सकती है। इनको समझने के लिए नीचे की टेबल देखें:
परिस्थिति | विवरण |
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वाहन अगर किसी और ने ख़रीदा, है तो ट्रांसफ़र करें। | ऐसे हालात में वाहन के मालिक के तौर पर पुराने खरीदार की जगह नए खरीदार का नाम आरसी में जोड़ा जाता है। |
रजिस्टर किए हुए मालिक की मृत्यु हो जाने पर ट्रांसफ़र करें। | ● कानूनी उत्तराधिकारी को मालिक की मृत्यु के 30 दिनों के अंदर वाहन को लेकर अपनी योजना पंजीकरण प्राधिकरण को बताना होगा। ● कानूनी उत्तराधिकारी अपने नाम पर रजिस्टर कराए बिना वाहन का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा 3 महीने तक कर सकता है। |
नीलामी में वाहन का ट्रांसफ़र करें। | नीलामी के दौरान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर पहले मालिक के नाम की जगह नए मालिक का नाम लिख दिया जाता है। |
वाहन रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र के प्रकार
आगे वाहन रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र दो प्रकार का हो सकता है:
राज्य के अंदर वाहन रजिस्ट्रेशन का ट्रांसफ़र
एक से दूसरे राज्य में वाहन रजिस्ट्रेशन का ट्रांसफ़र
राज्य के अंदर वाहन रजिस्ट्रेशन का ट्रांसफ़र- प्रक्रिया की पूरी जानकारी
अगर वाहन किसी और ने ख़रीदा है
अगर वाहन रजिस्ट्रेशन का ट्रांसफ़र इसलिए हो रहा है, क्योंकि आपका वाहन किसी और ने ख़रीदा है, तो दोनों पक्षों की जानकारी के साथ फॉर्म 29 सब्मिट करें।
यह फॉर्म 29 उस क्षेत्र के संबंधित पंजीकरण प्राधिकरण में जमा करना होगा जहां दोनों पक्ष रहते हैं।
जिस व्यक्ति के नाम वाहन ट्रांसफ़र हुआ है उसे वाहन ट्रांसफ़र होने के 14 दिनों के अंदर फॉर्म 30 के साथ फॉर्म 1 के तहत, सभी जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।
जिस व्यक्ति के नाम वाहन ट्रांसफ़र हुआ है उसे लागू शुल्कों का भुगतान करना होगा। इन शुल्कों को केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली के नियम 81 के तहत रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण की ओर से लगाया जाता है।
अगर वाहन मालिक की मृत्यु हो जाती है
अगर वाहन के पहले मालिक की मृत्यु हो जाती है तो नए मालिक को जरूरी जानकारी भरकर फॉर्म 31 रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण में जमा करना होगा।
नए मालिक को वाहन का मालिकाना हक लेने की तारीख से 3 महीने के अंदर मालिकाना हक़ ट्रांसफ़र करने का फॉर्म जमा करना होगा।
नए खरीदार को रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण की ओर से केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली के नियम 81 के तहत लगे गए शुल्क का भुगतान करना होगा।
अगर वाहन को नीलामी में खरीदा गया हो
अगर संबंधित वाहन को केंद्र या राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित नीलामी में खरीदा गया है तो इस मालिकाना हक़ का ट्रांसफ़र फॉर्म 32 के माध्यम से ही होगा।
इस फॉर्म को वाहन खरीद से 30 दिनों के अंदर संबंधित रजिस्ट्रेशन प्राधिकरण में जमा करना होगा।
वाहन खरीदने वाले व्यक्ति को केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली के नियम 81 के तहत पंजीकरण प्राधिकारी की ओर से अनिवार्य रूप से लागू किए गए सभी शुल्कों का भुगतान करना होगा।
एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र- प्रक्रिया की पूरी जानकारी
चलिए अब एक राज्य से दूसरे में वाहन के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र की प्रक्रिया समझ लेते हैं । यह प्रक्रिया आपको तब अपनानी होती है जब आप एक शहर से दूसरे शहर में रहने जा रहे हों।
उदाहरण के लिए अगर आप मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हो रहे हैं तो आपको अपने वाहन को दोबारा उस शहर में रजिस्टर करना होगा, जहां आप रहने जा रहे हैं।
जहां आपका वाहन मूल रूप से रजिस्टर है, उस शहर से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिलने के पहले यह प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए।
वाहन के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र को पूरा करने के लिए आपको नीचे बताई है निम्न प्रक्रिया अपनानी होगी:
चरण 1- बैंक से मिला अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) (अगर अपने लोन लिया है तो)
अगर आपने व्हीकल लोन लिया है तो आपको सबसे पहले बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। इसके लिए आपको बैंक जाना होगा और नए शहर का निवास प्रमाणपत्र, ट्रांसफ़र की वजह वगैरह से जुड़े दस्तावेज जमा करने होंगे। बैंक आपके अनुरोध को पूरा करके अनापत्ति प्रमाणपत्र दे देगा।
चरण 2-उस क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट ऑफिस से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लें जहां आपका वाहन रजिस्टर था
ऋणदाता से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद आपको अपने आरटीओ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। उदाहरण के लिए अगर आप मुंबई से दिल्ली रहने जा रहे हैं, तो आपको मुंबई आरटीओ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होगा। इसके लिए आपको फॉर्म 27 और 28 के साथ बैंक से मिली अनापत्ति प्रमाणपत्र की कॉपी भी जमा करनी लेनी होगी।
आपको नीचे बताए गए दस्तावेज भी जमा करने होंगे:
आपके वाहन को एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफ़र के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र का आवेदन।
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस पॉलिसी दस्तावेज, टैक्स दस्तावेज, पीयूसी सर्टिफिकेट कैसे दस्तावेज।
वाहन से चेचिस का प्रिंट।
सीएमवी फॉर्म 28 की कॉपियां।
अपने आरटीओ से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने के बाद आप अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन एक राज्य से नए राज्य में ले जा सकते हैं।
चरण 3-नए शहर में अपने वाहन को दोबारा रजिस्टर कराएं
अपने वाहन को सफलतापूर्वक ट्रांसफ़र करने के बाद आपको नए राज्य में दोबारा रजिस्टर करने के लिए कुछ और कदम भी उठाने होंगे।
देश के ज्यादातर क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट ऑफिस मालिक को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 6 महीने की अवधि देते हैं ।
रजिस्ट्रेशन के लिए आपको सबसे पहले अपने नजदीकी आरटीओ ऑफिस को ढूंढकर निम्न दस्तावेजों के साथ आवेदन पत्र जमा करना होगा:
आपकी आरसी की मूल कॉपी।
आपके वाहन की इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी।
ऋणदाता, पहले वाले आरटीओ वगैरह से पहले ही मिल चुके अनापत्ति प्रमाणपत्र की कॉपी।
आपके वाहन को दोबारा रजिस्टर करने के लिए फॉर्म 29 और फॉर्म 30।
एमिशन टेस्ट करने के लिए प्रमाणपत्र।
पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ।
स्थानीय निवास प्रमाणपत्र।
वाहन ट्रांसफ़र के लिए लागू आरटीओ शुल्क।
दस्सतावेज सफलतापूर्वक जमा करने के बाद आपका आरटीओ आपके आवेदन की प्रक्रिया पूरी करेगा और कुछ ही दिनों में आपको नया सर्टिफिकेट मिल जाएगा।
वाहन के मालिकाना हक़ के ट्रांसफ़र की फीस क्या है?
मोटर कार के मामले में आवेदक को ट्रांसफ़र फीस के तौर पर ₹ 300 और टू व्हीलर होने पर ₹ 200 का भुगतान करना होगा। इसके आलावा ऐसे ट्रांसफ़र में एकमुश्त कर हस्तांतरण कर का 15% भुगतान करना पड़ सकता है।
रोड टैक्स कैसे रिफंड होगा?
अपने पिछले राज्य में आपने जो रोड टैक्स भरा था, तो उसका रिफंड भी आपको मिलेगा। इस रिफंड के लिए आवेदन करना है तो आपको निम्न दस्तावेज जमा करने होंगे:
टैक्स रिफंड एप्लिकेशन।
सेल्फ-अटैस्ड आरटीओ फॉर्म 16
नए मिले रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ आरसी की कॉपी।
पिछले एप्लिकेशन नंबर के साथ आरसी की कॉपी।
नए रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ आपका इंश्योरेंस सर्टिफिकेट पूरा हुआ।
पहचान प्रमाणपत्र।
निवास प्रमाणपत्र।
तो इस तरह से आप एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन रजिस्ट्रेशन का ट्रांसफ़र पूरा कर सकते हैं।
याद रखें:
वाहन के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र के लिए लागू शुल्क वाहन की उम्र के साथ एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग होते हैं। तो ध्यान से अपने राज्य में लागू होने वाले शुल्क की जांच कर लें।
आप “परिवहन सेवा” की साइट पर भी जा सकते हैं और वाहन के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र की प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी कर सकते हैं।
राज्य में ही या एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र का अहम हिस्सा इसके लिए जरूरी दस्तावेजों का ट्रैक रखना है।
तो सभी जरूरी दस्तावेजों को नोट कर लें और उसी के अनुसार प्रकिया पूरी करें!
वाहन आरसी ट्रांसफर से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र की ऑनलाइन प्रक्रिया, ऑफलाइन प्रक्रिया से आसान होती है?
हां, ऑनलाइन प्रक्रिया आसान है क्योंकि आप अपने दस्तावेज आरटीओ ऑफिस को मेल कर सकते हैं. और आपको खुद ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होगी।
वाहन का रजिस्ट्रेशन जरूरी क्यों है ?
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 39 के तहत भारतीय सड़कों पर वाहन चलाने के लिए वाहन का किसी पंजिकरण प्राधिकरण में रजिस्टर किया जाना अनिवार्य है।
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की वैधता क्या होती है?
कार और टी-व्हीलर जैसे वाहनों के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन की तारीख के बाद 15 साल तक वैध रहता है।