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एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर बसना किसी भी व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन यह चुनौती तब और बढ़ जाती है जब आपको आपके रजिस्टर्ड वाहन को भी ट्रांसफर करना हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें कई चीजें करनी पड़ती हैं। इस लेख में, हम वे बातें बताएंगे जो आपके वाहन को ट्रांसफर करते समय आपको सोचने की ज़रूरत होती है। ज़्यादा जानने के लिए पढ़े।
वाहन को नए राज्य में ट्रांसफर करने से पहले और बाद में, नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना चाहिए:
अगर आप अपने वाहन को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना ज़रूरी है। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि जब आप उस राज्य में वाहन के री-रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करते हैं, जहां आपको इसे ले जाना है, तो आपको अन्य दस्तावेजों के साथ यह भी जमा करना होगा।
इसके अलावा, आपको यह सुनिश्चित करने के लिए लोकल पुलिस स्टेशन और यातायात विभाग से भी एनओसी लेने की ज़रूरत होगी कि कहीं आपके खिलाफ कोई ओपन केस तो दर्ज नहीं हैं और यातायात उल्लंघन का चालान तो बकाया नहीं हैं।
जब आप नए राज्य में वाहन ले जाते हैं, तो वाहन का नए आरटीओ में री-रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके लिए आपको संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे, ज़रूरी फ़ीस का भुगतान करना होगा और वाहन का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
ट्रांसफर के बारे में इंश्योरेंस कंपनी को बताना ज़रूरी है क्योंकि अधिकांश इंश्योरेंस कंपनी उस स्थान के आधार पर वाहन के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम को कैलकुलेट करती हैं, जहां आप वर्तमान में रहते हैं। टियर 2 या टियर 3 शहर से मेट्रोपोलिटन शहर में जाने से प्रीमियम बढ़ सकता है।
एक और बात जिस पर विचार करने की ज़रूरत है, वह है रोड टैक्स रिफंड, अगर योग्य हो। मेट्रोपोलिटन सिटी की तुलना में, टियर 2 या 3 शहरों में रोड टैक्स कम है। अगर आप दिल्ली से लखनऊ ट्रांसफर हो रहे हैं, तो आप संभवतः रोड टैक्स रिफंड के पात्र होंगे। फ़ायदा उठाने के लिए, आपको इससे जुड़े दस्तावेज जमा करके आरटीओ में आवेदन करना होगा जहां वाहन रजिस्टर्ड था।
जब किसी वाहन को किसी नए शहर या राज्य में ले जाने की बात आती है, तो इसे कैसे किया जा सकता है, इसके कई तरीके हैं। आइए उन पर एक नजर डालते हैं:
परिवहन एजेंसी से संपर्क करें - अग़र शहरों या राज्यों के बीच की दूरी काफी है, तो वाहन को ट्रांसफर करने का सबसे अच्छा तरीका परिवहन एजेंसी को काम सौंपना है। रूट, लागत, सुरक्षा और रिव्यूज जैसे फैक्टर्स पर विचार करने के बाद आप किसी एजेंसी को शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं।
एक प्रोफेशनल ड्राइवर को हायर करें - वाहन को ट्रांसफर करने का दूसरा तरीका एक पेशेवर ड्राइवर को किराए पर लेना है और उसे अपने वहां नई जगह तक ले जाने दें। ट्रांसफर की बात आने पर परिवहन एजेंसी को हायर करने की तुलना में यह थोड़ा महंगा विकल्प है।
इसे खुद ड्राइव करें - अग़र आप लंबे समय तक ड्राइविंग कर लेते हैं, तो आप नए राज्य में वाहन को खुद ड्राइव करने का तरीका चुन सकते हैं। हालांकि यह समय लेने वाला और थकाऊ हो सकता है, पर आपके पास रास्ते में नए स्थानों को एक्स्प्लोर करने का विकल्प होगा। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करता है कि आपका हर समय वाहन पर पूरा कंट्रोल हो।
री-रजिस्ट्रेशन के अलावा, व्यक्ति को पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कार इंश्योरेंस को ट्रांसफर करने की भी ज़रूरत होती है। यह नीचे दिए गए पॉइंट्स को फॉलो करके किया जा सकता है:
पॉलिसी अपग्रेड - नए शहर या राज्य में ट्रांसफर होने पर आप अपनी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी पर नजर डाल सकते हैं। अगर आप एक बड़े शहर में जा रहे हैं, तो आप कॉम्प्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की सोच सकते हैं, अगर आपने पहले से इसका फायदा नहीं लिया है।
इंश्योरेंस कंपनी को बताएं - इंश्योरेंस कंपनी को आपके स्थान बदलने के बारे में बताने की ज़रूरत है। इसमें आपकी व्यक्तिगत जानकारी को अपडेट करना और पॉलिसी में पता अपडेट करना शामिल है ताकि आप इंश्योरेंस पॉलिसी को लेकर महत्वपूर्ण कम्युनिकेशन से चूक न जाएं।
ट्रांसफर नो क्लेम बोनस (एनसीबी) - आप नो क्लेम बोनस (एनसीबी) ट्रांसफर करवाने का तरीका भी चुन सकते हैं। यह सुनिश्चित करेगा कि आप क्लेमलेस वर्ष का रिवॉर्ड ले सकें।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी वाहन को नए राज्य में ले जाने की प्रक्रिया तनावपूर्ण होती है और इसके अपने जोखिम भी होते हैं। जोखिमों की बात करें तो, वाहन को नुकसान इनमें से प्रमुख होना ही है। ऐसी परिस्थिति में अगर वाहन का इंश्योरेंस है. तो वाहन का ओनर इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर सकता है। अगर नुकसान कवर किया जाता है, तो क्लेम स्वीकार किया जाएगा और इंश्योरेंस कंपनी खर्चों को वहन कर सकती है या वाहन के ओनर को इसका खर्च रीइंबर्स कर सकता है।
अपने वाहन को दूसरी जगह ले जाते समय, इंश्योरेंस महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, क्योंकि दोपहिया या चार पहिया वाहन को ट्रांसपोर्ट करने के दौरान नुकसान होने का खतरा होता है। अगर आपने इंश्योरेंस कंपनी से कॉम्प्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी है, तो आप किसी भी नुकसान के मामले में क्लेम डाल सकते हैं। अगर नुकसान ट्रांसपोर्टर की लापरवाही के कारण होता है, तो वह आपको क्षतिपूर्ति देने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
अपने वाहन को दूसरी जगह ले जाते समय पैसे बचाने के लिए, आप नीचे बताए गए कुछ सुझावों को आजमा सकते हैं
सही से रिसर्च करें - जब पैसे बचाने के नुस्खों की बात आती है, तो सही से की गई रिसर्च बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसा करने के लिए, आप परिवहन कंपनी की रेटिंग देख सकते हैं, ऑनलाइन रीव्यूज पढ़ सकते हैं
कोटेशन मांगे - आप कैरियर सर्विस प्रोवाइडर से फ्री कोटेशन के लिए पूछ सकते हैं। यह वाहन को दूसरी जगह ट्रांसफर करने में होने वाले खर्चे को चेक करने में मददगर होगा।
परिवहन के विभिन्न तरीकों पर विचार करें - जब किसी वाहन को ले जाने की बात आती है, तो विभिन्न तरीके उपलब्ध होते हैं। व्यक्ति सड़क, रेल या समुद्र के ज़रिए ट्रांसफर पर विचार कर सकता है। इन तरीको को तलाशने से यह साफ हो जाएगा कि इसकी लागत कितनी आएगी। आप अपने बजट के आधार पर इस्तेमाल किए जाने वाले परिवहन मोड के बारे में फैसला ले सकते हैं।
ऑफर की गई कीमतों की तुलना करें - अगली बात, व्यक्ति यह कर सकता है कि कुछ भी फाइनल करने से पहले विभिन्न एजेंसियों से कोट ले। ऐसा करने से आपको वाहन को ट्रांसफर करने के लिए बेस्ट कीमत मिलने में मदद मिलेगी।
री-रजिस्ट्रेशन की परेशानी को दूर करने के लिए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने पिछले साल वाहनों के री-रजिस्ट्रेशन की प्रणाली को सेंट्रलाइज़ करने के लिए एक नियम बनाया था। यह कदम प्राइवेट वाहनों की आसान आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था, अगर वाहन मालिक प्रोफेशनल कारणों से किसी नए राज्य में ट्रांसफर हो जाता है। ड्राफ्ट रूल के अनुसार, यह केवल सरकारी कर्मचारियों, रक्षा कर्मियों और अन्य लोगों के लिए विशिष्ट प्रकार के वाहनों पर लागू होना था जो अपने वाहनों को री-रजिस्ट्रेशन करने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहे थे। यह ऐसे सभी वाहनों को 'आईएन' सीरीज नामक एक नई कैटिगरी में मार्किंग करके वाहन रजिस्ट्रेशन की नई प्रणाली का भी प्रस्ताव करता है।