कार इंश्योरेंस ऑनलाइन खरीदें
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क्या आपको वह समय याद है जब आपके माता-पिता ने आपको पहली साइकिल दिलाई थी? मुझे यकीन है कि यह एक पुरानी बात है, लेकिन सोचकर आपको आज भी खुशी का अहसास हो सकता है।
उस उम्र में हम सब बच्चे और दूसरों पर आश्रित होते हैं। अब जब हम इसके बारे में बात कर रहे हैं, तो हम अपने पैरों पर खड़े हैं और आरामदायक कार खरीदने का निर्णय ले सकते हैं।
लेकिन हर बार नई कार खरीदना हमारे बस में नहीं होता, इसलिए हम सेकंड हैंड कार आजमाते हैं। सेकंड हैंड कार की खरीदारी को प्रभावित करने वाले कुछ कारकों में इसकी कीमत, खासियतें, उम्र, क्लेम या मरम्मत और खरीद का उद्देश्य शामिल हैं।
जब अपने सपनों की कार का आप परीक्षण कर लें तब सबसे जरूरी काम इंश्योरेंस पॉलिसी की जांच करना होगा। आपको कार के मालिक से पूछना चाहिए कि उन्होंने इंश्योरेंस पॉलिसी कराई है या नहीं? इस तरह से आपको कुछ जरूरी बातें पता चलेंगी, जैसे:
कार इंश्योरेंस वह दस्तावेज हैं जिसे भविष्य में किसी भी तरह की दुर्घटना के बाद कानूनी मामलों से बचने के लिए खरीदा जाना चाहिए। इंश्योरेंस पॉलिसी दुर्घटना के बाद आर्थिक जिम्मेदारी से आपकी सुरक्षा करती है। यह अधिकतम सुरक्षा है जो कार और किसी भी दुर्घटनाग्रस्त थर्ड पार्टी दोनों को कवर करती है।
भारत में ओनर-ड्राइवर पर्सनल एक्सीडेंट कवर के साथ थर्ड पार्टी लायबिलिटी पॉलिसी होना अनिवार्य है। कल्पना कीजिए कि आप जो कार खरीद रहे हैं उसमें इंश्योरेंस पॉलिसी पहले से है। इस तरह के मामले में, आपको कार की आरसी के साथ इंश्योरेंस भी हस्तांतरित करना होगा।
आप नहीं जानते हैं कि इंश्योरेंस हस्तांतरित कैसे करना है? इंतजार करें, इंश्योरेंस से पहले आपको सैकंड-हैंड कार की आरसी अपने नाम करानी होगी।
आरसी को अपने नाम पर ट्रांसफर कराने के लिए नजदीकी आरटीओ जाएं और यह निम्न स्टेप अपनाएं।
एक बार जब प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो आरटीओ आपको 15 से 18 दिन के अंदर रसीद दे देगा। आपको सिर्फ 40-45 दिनों के अंदर आरसी की कॉपी मिल जाएगी।
इंश्योरेंस पर वापस आते हैं, चलिए वो तरीके जानते हैं कि जिनके साथ आपके नाम पर इंश्योरेंस ट्रांसफर किया जा सकता है। अगर आपको आपके नाम पर आरसी मिल गई है लेकिन इंश्योरेंस अभी भी पहले मालिक के नाम है, तो यह आपके किसी काम की नहीं है। समय बचाने और सेकंड-हैंड कार को जल्द से जल्द इस्तेमाल करने के लिए, यह अच्छा होगा कि आप इंश्योरेंस ट्रांसफर की प्रक्रिया भी साथ-साथ कराते रहें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैसे किया जाता है?
सेकंड-हैंड कार की इंश्योरेंस पॉलिसी अभी भी है तो आप इसमें नाम बदलवाने का काम कर सकते हैं। विवरण के यह बदलाव इंश्योरेंस कॉपी में किए जाने चाहिए। इंश्योरेंस कंपनी की ओर से मिली फॉर्म 29 और फॉर्म 30 की रसीद के साथ इसको जमा कर दें।
या तो आप इंश्योरेंस कंपनी के ऑफिस जा सकते हैं या फिर किसी इंश्योरेंस एजेंट या ब्रोकर से संपर्क करें। प्रक्रिया कुछ दिनों में ही पूरी हो जाएगी। अब, आपके पास सेकंड-हैंड कार का इंश्योरेंस है।
आपको यह पता होना चाहिए कि क्लेम-फ्री साल के लिए आप नो क्लेम बोनस कमाते हैं। सेकंड-हैंड कार की आरसी ट्रांसफर की जा सकती है, लेकिन एनसीबी नहीं। पॉलिसी की बची हुई अवधि के लिए, सेकंड-हैंड कार के खरीदार को जरूरी बची हुई राशि का भुगतान करना होगा।
यह भी हो सकता है कि जो सेकंड-हैंड कार आप खरीदने की योजना बना रहे हैं उसमें इंश्योरेंस पॉलिसी ही ना हो। तो आप आगे क्या करेंगे?
आपकी कार प्राइवेट हो या कॉमर्शियल, इसके इंश्योरेंस कवर का चुनाव पूरी तरह से मालिक पर निर्भर करता है। मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के मुताबिक थर्ड-पार्टी लायबिलिटी कवर अनिवार्य है लेकिन ओन डैमेज वैकल्पिक है, लेकिन कॉम्प्रेहेंसिव कवर चुनने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें कवरेज थोड़ी ज्यादा मिलती है।
आप कार के लिए सिर्फ थर्ड-पार्टी लायबिलिटी कवर का चुनाव कर सकते हैं जब:
जब सब कुछ हो जाता है और इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ कार आपके नाम पर ट्रांसफर हो जाती है, तो आपको आत्मविश्वास मिल जता है। अब जब आपके पास कार है तो सुरक्षित तरीके से इसे चलाएं और दुनिया जीत लें।