आप शायद इसलिए यहाँ हैं क्योंकि आपने हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड का नाम सुना या देखा है, पहली बार हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे कई अन्य लोगों की तरह ही आप भी सुनिश्चित नहीं हैं कि इसका क्या मतलब है, और अगर वेटिंग पीरियड नाम की कोई चीज है तो ये कितने समय का होता है और इसमें क्या- क्या शामिल होता है?
खैर, अपने संदेह (डाउट) को दरकिनार करते हुए अपने हेल्थ इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड के बारे में जानने के लिए सभी जरुरी बातों को पढ़ें ।
जैसा कि नाम से पता चलता है, वेटिंग पीरियड वह समय होता है जब आपको इंतजार करने की जरूरत होती है। और एक हेल्थ इंश्योरेंस में यह दर्शाता है कि आपकी पॉलिसी की शुरुआत से, इसके बेनेफ़िट को लेने में सक्षम होने के लिए, आपको कितना इंतजार करने की जरूरत है |
उदाहरण के लिए: सबसे आम प्रकार के वेटिंग पीरियड में से एक वह समय होता है जब आपको स्पेशल बेनेफ़िट जैसे मैटरनिटी कवर का इस्तेमाल करने में सक्षम होने के लिए इंतजार करने की जरूरत होती है; इस मामले में ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां 2 से 4 साल का वेटिंग पीरियड शामिल करती हैं यानी इससे पहले कि आप वास्तव में मैटरनिटी कवर का बेनेफ़िट ले सकें, कम से कम 2 सालों के लिए आपकी पॉलिसी होनी चाहिए (यहाँ समय आपके द्वारा खरीदी गई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर निर्भर करता है)।
हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कई प्रकार के वेटिंग पीरियड मौजूद होते हैं। इनका क्या मतलब है, इस इंडस्ट्री का एवरेज क्या है, आइए, इस पर एक नज़र डालते हैं और इस पर भी कि इन सभी के संदर्भ में डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड क्या हैं।
एक इनिशियल वेटिंग पीरियड, जिसे हेल्थ इंश्योरेंस में कुलिंग पीरियड के रूप में भी जाना जाता है, उस समय को दर्शाता है जब आपको अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का सक्रिय रूप से इस्तेमाल शुरू करने और इससे बेनेफ़िट उठाने के लिए, इसके जारी होने की तारीख से इंतजार करना होता है |
इस इंडस्ट्री में एक मानक (स्टैण्डर्ड) के रूप में, वर्तमान में, सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में कम से कम एक महीने तक का वेटिंग पीरियड होता है।
डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस के लिए इनिशियल वेटिंग पीरियड 30 दिन है। हालांकि, यह ऐक्सीडेंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने से संबंधित किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम पर लागू नहीं होता है।
आम तौर पर, जब आप एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं, तो आपसे प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ के बारे में पूछा जाएगा, और/या कुछ मेडिकल टेस्ट कराने के लिए भी कहा जाएगा जो आपकी बीमारी की पुष्टि (कन्फर्म) करेंगे |
IRDAI के अनुसार, प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ किसी भी ऐसी स्थिति, व्याधि, चोट या बीमारी को संदर्भित (रेफ़र) करती है जिसका निदान (डायग्नोस)आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से 48 महीने पहले तक किया गया हो।
प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ के कुछ उदाहरणों में डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर, थायरॉयड, आदि शामिल हैं। इस तरह, अगर आपको पहले से कोई बीमारी है, तो आपको किसी भी अस्पताल में भर्ती होने या बीमारी से संबंधित किसी भी ईलाज के लिए क्लेम करने से पहले निर्धारित वेटिंग पीरियड का इंतजार करना होगा |
आपकी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी और आपने किस प्रकार का हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुना है उसके आधार पर, प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ के लिए वेटिंग पीरियड औसतन तीन से चार साल होता है।
डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस के साथ, प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ वेटिंग पीरियड 4 साल तक है।
यहाँ शायद टाईटल में उसका मतलब साफ़ झलकता है, यानी स्पेसिफ़िक डिज़ीज़ के लिए वेटिंग पीरियड का मतलब है कि स्पेसिफ़िक डिज़ीज़ की सूची से संबंधित ईलाज और अस्पताल में भर्ती होने का क्लेम करने के लिए आपको तय समय का इंतजार करना होगा |
इसके लिए औसतन वेटिंग पीरियड दो से चार साल तक होता है।
डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस में, स्पेसिफ़िक डिज़ीज़ के लिए वेटिंग पीरियड 2 साल तक है।
जिन बीमारियों पर यह लागू होता है, उनकी विशिष्ट सूची नीचे दी गई है।
• गैर-संक्रामक गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस (यदि उम्र से संबंधित हो), सिस्टेमिक कनेक्टिव टिश्यू डिसॉर्डर, डोर्सोपैथिस, स्पोंडिलोपैथिस, इंफ्लेमेटरी पॉलीआर्थ्रोपैथी, आर्थ्रोसिस और इंटरवर्टेब्रल डिसॉर्डर (जब तक कारण ऐक्सीडेंट न हो)।
• अग्नाशयशोथ (पैंक्रियाटिटिस), पित्ताशय / पित्त पथ और मूत्रजननांगी प्रणाली संबंधी पथरी की बीमारियां , गैस्ट्रिक और ग्रहणी संबंधी क्षरण/अल्सर, जीआई ट्रैक्ट के वराइसेस, लीवर का सिरोसिस, रेक्टल प्रोलैप्स।
• मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और रेटिना के विकार।
• प्रोस्टेट का हाइपरप्लासिया, यूरेथ्रल स्ट्रिक्चर्स, हाइड्रोसील/वेरिकोसेले और स्पर्मेटोसेले।
• सभी असामान्य प्रकार की युटेरो-वेज़िनल ब्लीडिंग, फ़िमेल जेनिटल प्रोलेप्स, एंडोमेट्रियोसिस / एडेनोमायोसिस, फाइब्रॉएड, ओवेरियन सिस्ट, इंपेल्विक फ्लेमेटरी डिज़ीज़।
• बवासीर, फ़िशर, फ़िस्टुला और पाइलोनाइडल साइनस / सिस्ट और फ़िस्टुला।
• सभी अंगों का हर्निया।
• हाथ-पांव के निचले छोरों की वैरिकाज़ वेंस।
• मध्य कान और मास्टॉयड की बीमारी जिसमें ओटिटिस मीडिया, कोलेस्टीटोमा, टाइम्पेनिक मेम्ब्रेन का परफोरेशन, साइनसाइटिस, टॉन्सिलिटिस, एडेनोइड हाइपरट्रॉफी, नेसल सेप्टम डेविएशन, टर्बाइनेट हाइपरट्रॉफी, नेसल पॉलीप, मास्टोइडाइटिस, नेसल कोंच बुलोसा शामिल हैं।
• सभी आंतरिक और बाहरी बिनाईन या इन सीटू नियोप्लाज्म/ट्यूमर, सिस्ट, साइनस, पॉलीप, नोड्यूल्स, सूजन, मास (Mass) या गांठ (Lump) सहित स्तन में गांठ (किसी भी प्रकार का जब तक कि जानलेवा न हो) ।
• आंतरिक जन्मजात विसंगति (इंटरनल कंजेनिटल एनोमेली)।
• मानसिक रोग और विकार जैसे कि सिज़ोफ्रेनिया, स्किज़ोटाइपल और भ्रम संबंधी विकार, मनोदशा [भावात्मक] विकार, विक्षिप्त, तनाव-संबंधी और सोमैटोफ़ॉर्म डिसॅार्डर और अनिर्दिष्ट मानसिक विकार।
• न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसॅार्डर जिनमें अल्जाइमर रोग और पार्किंसन रोग शामिल हैं, लेकिन ये इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।
व्यक्तियों और परिवारों के लिए ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के हिस्से के रूप में, जल्द ही बच्चा पैदा करने का प्लान बनाने वालों के लिए मैटरनिटी बेनेफ़िट और न्यूबॉर्न बेबी ऐड-ऑन को शामिल करने का एक विकल्प होता है और बच्चा पैदा करने का प्लान बनाने के अलावा, प्रसव के दौरान और इसके बाद होने वाले खर्चों के लिए आर्थिक योजना बनाना भी समझदारी भरा काम है।
आमतौर पर, ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के साथ वेटिंग पीरियड एक साल से चार साल तक होता है।
डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ मैटरनिटी कवर के लिए वेटिंग पीरियड 2 साल है।
इसका मतलब है कि आप अपनी पॉलिसी के दो साल पूरे करने के बाद ही मैटरनिटी से जुड़े खर्चों के लिए क्लेम कर सकते हैं।
इसलिए, अगर आप जल्द ही बच्चा पैदा करने की योजना बना रहे हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी इसके लिए कवर करती है या नहीं, तो ध्यान रखें कि आपके दो साल के वेटिंग पीरियड को पूरा करने के लिए उसमें गर्भावस्था अवधि के 9 महीनों के साथ-साथ बाकी बचे 15 महीने भी शामिल होंगे।
मैटरनिटी बेनेफ़िट ऐड-ऑन, डिलीवरी के खर्चों और पहले 90 दिनों के लिए बच्चे के खर्चों जिसमें बच्चे के लिए जरुरी टीकाकरण और अन्य जरुरी मेडिकल केयर शामिल है, को कवर करते हैं |
इसके बारे में और जानें:
वर्तमान में कुछ हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में एक बेरिएट्रिक सर्जरी शामिल होती है। यह मोटापे से संबंधित ज्यादा समस्याओं वाले किसी इन्सान की मदद करने के लिए पेट और/या आंतों की सर्जरी से जुड़ी है।
यह आमतौर पर सिर्फ 40 से ऊपर बीएमआई वाले लोगों के लिए ही है, और साथ ही उनके लिए जो इसके कारण दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर रहे हैं।
यह बिना किसी एडिशनल कॉस्ट के डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल है, बेरिएट्रिक सर्जरी का वेटिंग पीरियड 2 साल है।
ऐक्सीडेंट सबसे अप्रत्याशित (अनएक्सपेक्टेड) चोटों और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य परेशानियों का कारण बन सकते हैं। इसलिए, ऐक्सीडेंट की प्रकृति को देखते हुए; जब ऐक्सीडेंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने की बात आती है तो डिजिट के साथ-साथ सभी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां किसी वेटिंग पीरियड को हिसाब में नहीं लेती हैं।
इसका मतलब है कोई भी अपनी नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के केवल कुछ ही दिनों में ऐक्सीडेंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर क्लेम कर सकता है। ऐसी स्थिति में कोई भी इनिशियल वेटिंग पीरियड लागू नहीं होता है।
आपने देखा होगा कि डिजिट के साथ-साथ कुछ अन्य हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां भी आपके हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के हिस्से के रूप में आपको बिना किसी खर्च के ऐन्यूअल हेल्थ चेक अप की सुविधा प्रदान करती हैं।
हालांकि, इसके लिए भी एक छोटे वेटिंग पीरियड की जरूरत होती है और यह हर इंश्योरेंस कंपनी के लिए अलग-अलग हो सकता है।
डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस के साथ, ऐन्यूअल हेल्थ चेक अप का बेनेफ़िट उठाने का वेटिंग पीरियड सिर्फ 1 साल है।
इसका मतलब है कि आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के दूसरे साल से इस सुविधा का बेनेफ़िट उठा सकते हैं।
भारत में अब भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, आज ज्यादातर लोगों का हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियां खरीदने का मकसद सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि अगर वो या उनके परिवार के सदस्य इस वायरस की चपेट में आते हैं तो वे इस पॉलिसी के तहत कवर होते हैं |
एक मानक (स्टैण्डर्ड) के रूप में, और कोरोनावायरस को कवर करने वाले डिजिट हेल्थ इंश्योरेंस सहित; कोरोनावायरस से संबंधित ईलाज और अस्पताल में भर्ती होने का वेटिंग पीरियड 30 दिनों तक का है।
इसके बारे में और जानें: