आज महिलाएं बंदिशों को तोड़ रही हैं और जीवन के हर पहलू में समानता चाह रही हैं। हालांकि, अपने निजी और प्रोफेशनल जीवन में अलग-अलग भूमिकाओं के बीच संतुलन बनाते हुए, वे अपने स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान नहीं दे पातीं।
इसके पीछे एक वजह तो यह है कि महिलाएं या तो अपने पति के हेल्थ इंश्योरेंस में कवर होती हैं या फिर अपनी कंपनी के दिए हए कॉर्पोरेट प्लान का वे हिस्सा बन जाती हैं। हालांकि, फैमिली फ्लोटर प्लान और ग्रुप हेल्थ प्लान दोनों ही उनकी ज़रूरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं होते।
इसलिए, इन सबके अलावा महिलाएं अलग से ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने पर विचार कर सकती हैं जो खास तौर पर उनके लिए बनाया गया हो और जिसमें गर्भावस्था, प्रजनन संबंधी समस्याओं, ओवेरियन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर जैसी ऐसी बीमारियों को कवर किया जाता हो, जो महिलाओं को होती हैं।
खास तौर पर महिलाओं के लिए डिज़ाइन किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान, आपको महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में कवर करने में मदद करेगी। हालांकि, सवाल यह है कि आपको इसकी जरूरत क्यों है?
महिलाओं के लिए तैयार किया गया हेल्थ इंश्योरेंस, महिलाओं की प्रजनन प्रणाली से जुड़ी हर तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कवर करता है। इसमें पुरानी स्थितियां और गर्भाशय फाइब्रॉएड, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस), एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसी बीमारियां शामिल हैं।
दुर्भाग्य से, पुरुषों की तुलना में महिलाएं कई गंभीर बीमारियों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होती हैं, जैसे कि हृदय रोग, स्तन कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग, एनीमिया और गठिया। इसके कई कारण हैं, जैसे कि जेनेटिक और धीमी जीवन शैली।
हालांकि, इससे मेडिकल खर्च ज़्यादा हो सकता है। इसलिए, यह ज़रूरी है कि महिलाओं के पास गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज हो, जो उन्हें ऐसे समय में मदद कर सके।
महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन का कैंसर है, इसके बाद सर्विक्स, ओवेरियन, फेफड़े और पेट के कैंसर होते हैं। वास्तव में, भारत में 28 में से एक महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होने की संभावना होती है।
इस तथ्य को देखते हुए कि अगर इसका पता चला और जल्दी इलाज किया गया, तो महिलाओं के ज़िंदा रहने का प्रतिशत अधिक होने की संभावना है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपकी स्वास्थ्य बीमा योजना बीमारी और उसके उपचार को कवर करती है।
महिलाओं में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। एक सामान्य कारण गर्भावस्था के दौरान होने वाला डायबिटीज है। यह एक प्रकार का डायबिटीज है जो गर्भावस्था के दौरान उन महिलाओं में भी विकसित हो सकता है जिन्हें पहले से यह बीमारी नहीं थी। बच्चे के जन्म के बाद वैसे तो ब्लड शुगर सामान्य हो जाता है, लेकिन इसकी वजह महिलाओं को जीवन में आगे टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का अधिक खतरा होता है।
गर्भावस्था के डायबिटीज से कम से कम 2% से 10% प्रेगनेंसी प्रभावित होती हैं और यह संख्या बढ़ेगी ही क्योंकि महिलाएं देरी से बच्चे पैदा करने का विकल्प चुनती हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्लान डायबिटीज को कवर करता हो।
महिलाएं भी आजकल तनावपूर्ण जीवन जी रही हैं, जिसका अर्थ है कि पुरुषों की तुलना में उन्हें हृदय रोग होने का खतरा अधिक है। वास्तव में, 35 वर्ष से ज़्यादा उम्र की पांच में से तीन महिलाओं (लगभग 69% गृहिणियों और 67% कामकाजी महिलाओं) को हृदय रोगों का खतरा है।
इस प्रकार, जब आप अभी भी युवा और स्वस्थ हैं, एक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना बहुत महत्वपूर्ण है जो इन समस्याओं को कवर करता है ताकि आपका प्रीमियम कम हो।
हाइपरटेंशन एक और गंभीर समस्या है जिसे अक्सर महिलाओं में अनदेखा कर दिया जाता है। हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर, दक्षिण एशिया में हर साल लगभग 15 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार होते है।
यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में शहरी क्षेत्रों में 20-40% लोग हाइपरटेंश से पीड़ित हैं और उन्हें अन्य कई परेशानियां हो सकती हैं, खासकर गर्भावस्था के दौरान।
जीवन में तनाव और चिंता के बढ़ने के कारण महिलाएं अवसाद जैसे कई मानसिक बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं।
जबकि आईआरडीएआई ने यह अनिवार्य किया है कि सभी मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मानसिक बीमारियों के उपचार को कवर करते हैं, ऐसे इंश्योरेंस की तलाश करना महत्वपूर्ण है जो इसके लिए पर्याप्त कवरेज प्रदान करता हो। जब आपको अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत होती है, तो अधिकांश मेंटल हेल्थ कवर आपके खर्चों को मैनेज करते हैं। केवल कुछ इंश्योरेंस कंपनियां, कंसल्टेशन जैसे बाह्य रोगी देखभाल के खर्चों को कवर करती हैं।
सेहत की देखभाल के बढ़ते खर्चों के साथ, गर्भावस्था और मदरहुड के खर्च भी बहुत बढ़ गए हैं। आमतौर पर, मदरहुड के फायदे किसी व्यक्तिगत या फै़मिली के हेल्थ इंश्योरेंस में ऐड-ऑन कवर के रूप में दिए जाते हैं। इसमें प्रसव के खर्च से लेकर गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं के साथ-साथ अस्पताल के खर्च तक सब कुछ शामिल है।
इसलिए, भविष्य में दो बच्चों की चाह रखने वाली हर महिला को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास यह कवर हो और यह आपके सभी आवश्यक खर्चों को कवर करेगा। एक ऐसी पॉलिसी चुनने की कोशिश करें, जिसमें इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट, या चिकित्सकीय रूप से आवश्यक टर्मिनेशन जैसी एक्स्ट्रा चीज़ें भी शामिल हों।
एक अन्य महत्वपूर्ण कारक ध्यान में रखना है कि हेल्थ इंश्योरेंस एक महिला के नवजात शिशु (आमतौर पर पहले 90 दिनों तक) की हेल्थकेयर को कवर कर सकता हो, जो मेडिकल जटिलताओं, या जन्मजात अक्षमताओं के मामलों में एक बड़ा वरदान हो सकता है।
अक्सर इसे मेटरनिटी कवर के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आपने ऐसी पॉलिसी चुनी हो जिसमें यह भी शामिल हो।
कई महिलाएं दर्द या बेचैनी जैसे छोटे संकेतों और लक्षणों को अनदेखा करते हुए यह सोचकर कि यह इतनी बड़ी बात नहीं है, डॉक्टर के पास तब ही जाती हैं जब पहले से ही कोई परेशानी होती है।
हालांकि, नियमित सालाना चेक-अप कराने से आपकी पूरी सेहत की देखबाल करने और किसी भी ऐसी बीमारी का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है जो अंदर बढ़ रही हो। डायबिटीज़ को रोकने के लिए ब्लड शुगर के स्तर, स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राम, या सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर के मामले में यह बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।
रोगों की इन शुरुआती पहचानों के साथ, आप कई बीमारियों को रोकने, उनका इलाज करने और उन्हें ठीक कर पाएंगी, जो भविष्य में सेहत की देखभाल में होने वाले खर्च में बड़ी बचत कर सकता है।
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे महिलाओं के लिए डिज़ाइन किए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में निवेश करना फ़ायदेमंद हो सकता है:
महिलाओं के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखना और उसे प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है। हेल्थ इंश्योरेंस के बिना, इन मुद्दों से निपटने से आर्थिक तनाव हो सकता है और आपकी बचत में कमी आ सकती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप एक ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की तलाश करें जो विशेष रूप से आपकी मेडिकल समस्याओं को पूरा करती हो। यह जरूरत के समय आपको वित्तीय मदद करेगा।