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एक बार आप इसका फुल फॉर्म सुन लेंगे, तो आपको यह बहुत आसान लगेगा! PED का मतलब है ‘प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़’ या ‘प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन’, और यह, हेल्थ इंश्योरेंस के लिए बहुत महत्वपूर्ण फैक्टर है। यह मूल रूप से उन डिज़ीज़ यानि बीमारियों के बारे में है जिनसे आप पॉलिसी लेने के समय पीड़ित थे। और स्पष्ट करने के लिए, इंश्योरेंस में “‘प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़” ऐसी कोई भी डिज़ीज़ होती है जिससे आप पॉलिसी लेने के 48 महीने (या उससे कम समय) पहले पीड़ित थे, और इस अवधि में इसकी पहचान की गई थी। PED का दायरा गंभीर मेडिकल हालात जैसे कैंसर या डाइबटीज़ से लेकर ब्लड प्रेशर या एलर्जी तक विस्तृत है।
अब कल्पना कीजिए कि आपके डॉक्टर ने आपको अस्थमा की दवाइयों का पर्चा लिखा, और आपने एक साल पहले इंश्योरेंस खरीदा है, आपकी हेल्थ कंडीशन यानि अस्थमा एक प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ है।
आप सोच रहे होंगे कि अपनी प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन का पहले ही ब्यौरा देना सही है या नहीं। लेकिन इस स्थिति में, जितनी हो सके उतनी पारदर्शिता रखना ही बेहतर है! यह निश्चित कर लें की जो भी डिज़ीज़ या इलाज जिसे आप कवर कराना चाहते हैं उन सभी को अपनी मेडिकल फाइल के जरिए शामिल कर लिया है। अगर आपने अपनी इंश्योरेंस देने वाली कंपनी से अपनी प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ को छुपाया है, और उन्हें इसके बारे में बाद में पता चलता है, तो वेटिंग पीरियड को भूल जाईए, वे इसको बिल्कुल कवर नहीं करेंगे। इसलिए, कुछ समय का इंतजार करें और PED का ब्यौरा ना देने की बजाय इसे कवर करा लें।
तो, ये वेटिंग पीरियड क्या है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं? दरअसल, इसके कुछ प्रकार हैं, जिनमें से कुछ जो बहुत सामान्य हैं उनके बारे में जानते हैं:
हर पॉलिसी में एक इनिशियल वेटिंग पीरियड होता है, जो साधारणतः लगभग 30 दिन का होता है, लेकिन कभी-कभी 90 दिन तक भी होता है। इस समय के दौरान, कोई भी डिज़ीज़ कवर नहीं होती, चाहे वह प्री-एग्जिस्टिंग है या नहीं। यह वेटिंग पीरियड केवल एक बार तब लागू होता है, जब आपकी पॉलिसी पहली बार शुरू होती है - इसके बाद हर बार जब आप पॉलिसी रिन्यू करवाते हैं यह लागू नहीं होता। कुछ इंश्योरेंस पॉलिसी इस दौरान होने वाले एक्सीडेंट से चोट लगने की घटनाओं को कवर करती है, लेकिन इस दौरान बीमारियां सामान्यतः कवर नहीं होतीं।
बहुत सी पॉलिसी में पहले से मौजूद बीमारियों का इंश्योरेंस शामिल होता है, लेकिन पहले से मौजूद बीमारियों का कवर प्राप्त करने के लिए कुछ वर्षों का वेटिंग पीरियड होता है। वेटिंग पीरियड के साल कितने होंगे, यह आपकी उम्र और बीमारी की स्थिति पर निर्भर करता है।
भ्रम में मत पड़िए, यह PED वेटिंग पीरियड से अलग है, क्योंकि PED वेटिंग पीरियड केवल उन मेडिकल कंडीशनों पर लागू होता है जो आपको पहले से ही है; जबकि दूसरी तरफ, खास बीमारी (स्पेसिफ़िक एलमेंट) से संबंधित वेटिंग पीरियड से आशय, जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, खास बीमारियों, जैसे डाइबीटीज़, हाइपर टेंशन और हर्निया से है। ये खास बीमारियां सामान्यतः पॉलिसी के शुरूआती कुछ सालों में कवर नहीं होती है, इन्हें इन शुरूआती सालों के बाद कवर किया जाता है।
जब प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के कारण हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम पर लिमिट और रेस्ट्रीक्शन होते हैं, तो इसे प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन एक्सक्लूशन यानि अपवाद कहा जाता है।
यह प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए एक बेनेफ़िट कवर है, जो एक्सक्लूशन को खारिज करता है और प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती होने से संबंधित खर्चों को कवर करता है।
और पढ़ें: कोविड-19 इंश्योरेंस पॉलिसी के बेनेफ़िट के बारे में और जानकारी पाएं
1. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी एक दूसरे से भिन्न होती हैं: और इसलिए प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के संबंध में इनके नियम और शर्तें भी भिन्न होती हैं। आपको अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर किए गए वेटिंग पीरियड और PED की लिस्ट को हमेशा जांच-परख लेना चाहिए।
2. सभी बीमारियों या डॉक्टर के पास जाने को प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन नहीं माना जाता है। इंश्योरेंस करने वाली कंपनी केवल उन मेडिकल कंडीशन और बीमारियों को प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन मानती हैं जो व्यक्ति की सेहत पर लंबे समय से असर डालती रही है। अन्य छोटी-मोटी बीमारियां जैसे कफ, सर्दी, बुखार आदि, और इनके साइड इफेक्ट किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को निर्धारित नहीं करते हैं।
3. प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन को छुपाने की सोच कभी सही नहीं होती: हम अक्सर ये सोचते हैं कि हमें प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन जैसी असलियत छुपा लेनी चाहिए जिससे हेल्थ इंश्योरेंस लेने में अड़चन ना आए। जबकि, इसका उल्टा असर हो सकता है, क्योंकि अगर आप PED छुपा के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, और बाद में आपके PED का पता चलता है, तो आपका क्लेम खारिज हो सकता है। इसलिए, बेहतर यही होगा कि आप शुरू में ही PED का ब्यौरा दे दें।
4. आप प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए कवर पा सकते हैं: हम अक्सर ये गलत सोचते हैं कि PED कवर नहीं हो सकती। जबकि, बहुत सी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां “वैवर ऑफ़ प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन” बेनेफ़िट ऑफर करती हैं जिसमें PED और इससे जुड़े खर्चों का कवरेज होता है।
5. वैवर ऑफ़ प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ का एक वेटिंग पीरियड होता है: PED कवर करने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए, इंश्योरेंस कंपनी अक्सर 2 साल का वेटिंग पीरियड रखती हैं। इसलिए, आपको जल्द से जल्द हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी शुरू कर देनी चाहिए।
6. अगर आपको कोई प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन है, तो हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनी आपके क्लेम को खारिज कर सकती है। लेकिन अगर आपने PED कवर वैवर को लिया है, तो आपकी प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन भी पॉलिसी में कवर हो जाएगी। अधिकतर इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए 2-4 साल का वेटिंग पीरियड रखती हैं। इसका मतलब है कि इंश्योरेंस देने वाली कंपनी द्वारा आपके PED कवर को शुरू करने तक आपको वेटिंग पीरियड तक का लंबा इंतजार करना होगा!
हेल्थ इंश्योरेंस में आपकी प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन भी कवर होती है अगर आप इसे कवर करने वाला बेनेफ़िट उठाते हैं, जैसे वैवर ऑफ़ प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन। इसलिए, इंश्योरेंस देने वाली कंपनी को अपनी सभी प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन का ब्यौरा देना ना भूलें।
इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले, यह जरूरी है कि आप छोटे अक्षरों में लिखी बातों और शर्तों को भी सही से पढ़ लें, और जान लें कि इन सभी का वेटिंग पीरियड कितने समय का है। और यहाँ कुछ अच्छी खबर भी है!
इंश्योरेंस रेग्युलेटरी और डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) ने हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी को स्वीकृत किया है। इसका मतलब है कि अपनी इंश्योरेंस देने वाली कंपनी को बदलने का फैसला करने पर, आपको फिर से प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन वेटिंग पीरियड से नहीं गुजरना पड़ेगा- आप इसे एक इंश्योरेंस कंपनी से दूसरी कंपनी में जारी रख सकते हैं।
हम इस इंश्योरेंस को इतना आसान तरीके से समझा रहे हैं,कि इसे 5 साल का बच्चा भी समझ सकता है।
एक स्कूल में साइक्लिंग प्रतियोगिता रखी गई है। इसमें भाग लेने वाले सभी छात्रों से पहले मेडिकल चेक-अप करवाने को कहा गया है। इसमें पाया गया कि एक छात्र को 10 दिन पहले एड़ी में मोच आ गई थी। इसलिए, स्कूल ने उससे कहा कि इस महीने वह प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता है- लेकिन वह अगले महीने दोबारा आकर इसमें भाग ले सकता है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उस छात्र को एक प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन थी!
Please try one more time!
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अस्वीकरण #1: *ग्राहक बीमा लेते समय विकल्प चुन सकता है। प्रीमियम राशि तदनुसार भिन्न हो सकती है। बीमाधारक को प्रस्ताव फॉर्म में पॉलिसी जारी करने से पहले किसी भी पूर्व-मौजूदा स्थिति या चल रहे उपचार का खुलासा करना आवश्यक है।
अस्वीकरण #2: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए जोड़ी गई है और इंटरनेट पर विभिन्न स्रोतों से एकत्र की गई है। डिजिट इंश्योरेंस यहां किसी भी चीज का प्रचार या सिफारिश नहीं कर रहा है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले जानकारी की पुष्टि करें।
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closeAuthor: Team Digit
Last updated: 25-10-2024
CIN: U66010PN2016PLC167410, IRDAI Reg. No. 158.
गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड (पहले ओबेन जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) - पंजीकृत कार्यालय का पता - 1 से 6 मंजिल, अनंता वन (एआर वन), प्राइड होटल लेन, नरवीर तानाजी वाडी, सिटी सर्वे नंबर 1579, शिवाजी नगर, पुणे -411005, महाराष्ट्र | कॉर्पोरेट कार्यालय का पता - अटलांटिस, 95, 4थ बी क्रॉस रोड, कोरमंगला इंडस्ट्रियल लेआउट, 5वां ब्लॉक, बेंगलुरु-560095, कर्नाटक | ऊपर प्रदर्शित गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड का व्यापार लोगो गो डिजिट इन्फोवर्क्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का है और लाइसेंस के तहत गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड द्वारा प्रदान और उपयोग किया जाता है।