भारत में कितने सिस्मिक जोन मौजूद हैं, इस सवाल को पूछने वाले या इसके बारे जानने की जिज्ञासा रखने वाले सभी लोग हमारे लेख के इस भाग को पढ़कर इस विषय से सम्बंधित पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
हमें उम्मीद है की आप सभी हमारे देश भारत के नक्शे से बहुत अच्छे से वाकिफ होंगे, इस नक्शे के अनुसार भारत के सिस्मिक जोन को पुरे चार क्षेत्रों में बांटा गया है। इस सिस्मिक जोन को भूकंप जोन के नाम से भी जाना जाता है, इसके बनने के भी बहुत से कारण होते हैं, जिनमे से कुछ वैज्ञानिक इनपुट के आधार पर बनते हैं जो निचे दिए गए चीज़ों से संबंधित हैं:
जब किसी जोन में भूकंप की सिस्मीसिटी या आवृत्ति होती हैं तो उस क्षेत्र को सिस्मिक जोन बना दिया जाता हैं।
पिछले कई सालों में हुए भूकंप जिसकी वजह से हमारा देश प्रभावित हुआ है उन्हें भी सिस्मिक जोन के रूप में देखा जाता है।
भारत में होने वाले भूकंप को कुल चार जोन में बाटा गया हैं, जिसके विषय में हमने नीचे आपको काफी विस्तार से समझाने का प्रयत्न किया है:
सिस्मिक जोन II: जोन II को कम जोखिम वाले जोन के रूप में जाना जाता है जिसका मतलब यह है कि सिस्मिक जोन II सिस्मिकली सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है, जिसका अर्थ यह है कि भारत के इन जोन के अंदर आने वाले क्षेत्रों में भूकंप आने की संभावना बेहद कम होती है। भारत के 41% भूकंप-प्रोन जोन को सिस्मिक जोन II कवर करता है। यहां, इंडियन स्टैण्डर्ड (IS) कोड 0.10 से एक जोन फैक्टर को बांटता है।
सिस्मिक जोन III: सिस्मिक जोन 3/III को मध्यम-क्षति जोखिम क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जिसका मतलब यह है कि इस जोन में भूकंप आने की संभावना न तो बहुत ज्यादा होती है, और न तो बहुत कम ही होती है। यहां, IS कोड इस क्षेत्र को 0.16 आवंटित करता है। जोन III, जिसे हम मध्यम भूकंप जोन के नाम से जानते हैं, यह भारत के 30% क्षेत्र को कवर करता है।
सिस्मिक जोन V: जोन V में भूकंपों से होने वाले नुकसान का सबसे अधिक खतरा बना रहता है क्योंकि यहाँ भूकंप आने की संभावना जोन II, जोन III और जोन IV, की तुलना में काफी अधिक होता है। IS कोड ने इस हाई-रिस्क डैमेज जोन करार किया है और इस क्षेत्र के लिए 0.36 का फैक्टर अलॉट किया है। पुरे देश का लगभग 11% हिस्सा सिस्मिक जोन V के अंतर्गत आता है।
नोट: पुरे भारत देश में ऐसा कोई भी शहर या क्षेत्र नहीं है जो कि सिस्मिक जोन I के अंतर्गत आता हो इसका अर्थ यह है की हमारे देश में ऐसा कोई शहर नहीं हैं जहाँ भूकंप का प्रभाव देखने को न मिलें।
ऊपर दी गयी सूचि भारत के विब्भिन क्षेत्रों के कुल भूकंप जोन तथा यह अलग अलग जोन पुरे देश के क्षेत्रफल का कितना हिस्सा कवर करते हैं इसकी जानकारी देता है। इसी के साथ चलिए अब हम ऐसे 10 शहरों पर अपनी नज़र डालते हैं जो अर्थक्वेक से सबसे ज्यादा प्रभावित रहते हैं।