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भारत में कार इंश्योरेंस प्रीमियम कैसे कैलकुलेट करें
आसान शब्दों में, इंश्योरेंस प्रीमियम वो धनराशि है जिसका भुगतान आप इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी के कॉन्ट्रैक्ट के बदले समय समय पर करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि कॉन्ट्रैक्ट क्या है? और आप भुगतान क्यों कर रहे हैं? है न? आम तौर पर, कार इंश्योरेंस पॉलिसी के एग्रीमेंट के मुताबिक, इंश्योरेंस करने वाली कंपनी तभी आपकी कार रिपेयर के खर्च का वहन करेगी, जब आपने तय समय में तय प्रीमियम का भुगतान किया हो। ये बात ध्यान में रखें कि कवरेज के नियम पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट में दिए जाते हैं।
अगर आपके पास कार है, तो उस कार को गैराज में ले जाने की संभावना भी हमेशा बनी रहती है। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि पूरी प्रक्रिया के बाद गैराज आपको एक लंबा चौड़ा बिल थमा देगा। ऐसे में समय पर प्रीमियम अदा करने पर इंश्योरेंस कंपनी आपके इस बिल का भुगतान करती है। प्रीमियम की राशि कई बातों पर निर्भर करती है।
कार इंश्योरेंस प्रीमियम पर क्या बातें असर डालती हैं?
कार इंश्योरेंस प्रीमियम कई बातों से प्रभावित होता है, जैसे :
कुछ कार का इंश्योरेंस प्रीमियम दूसरी कारों से ज्यादा होता है। आपकी कार की इंजन क्यूबिक कैपेसिटी थर्ड पार्टी कवर का प्रमियम तय करती है। जितनी ज्यादा कार की cc (क्यूबिक कैपेसिटी) होगी उतना ज्यादा TPI (थर्ड पार्टी इंश्योरेंस) का प्रीमियम होगा। अगर आप दूसरे पैकेज और एड-ऑन चुनते हैं, तो मेक मॉडल की जानकारी को अहमियत दी जाती है।
आपकी कार का पंजीकरण होने वाली जगह आपके कार के प्रीमियम को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाती है। अगर आप बहुत घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र या शहर में रहते हैं तो आपका प्रीमियम ज्यादा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, भारी ट्रैफिक, जाम, तोड़फोड़ और अन्य कारणों से क्लेम की संभावना बढ़ जाती है।
नए वाहन के लिए, आप ज्यादा कवरेज तलाशते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर नई कार को नुकसान होता है, तो रिपेयर की कीमत भी ज्यादा होती है। वहीं, पुराने वाहन के लिए, रिपेयर की कीमत कम होती है साथ ही उसके पार्ट्स को बदलना आपके लिए कम खर्चीला होता है। इसलिए, वाहन की उम्र उसके प्रीमियम को तय करती है।
अगर आप सीएनजी (CNG) कार खरीदते हैं तो उसका प्रीमियम डीजल या पेट्रोल वाली कार की तुलना में ज्यादा होगा क्योंकि सीएनजी कार के रखरखाव (मेंटिनेंस) की कीमत ज्यादा होती है।
अगर आप अच्छे ड्राइवर नहीं हैं और आपका एक्सिडेंट का रिकॉर्ड बहुत ज्यादा है तो खुद के नुकसान की संभावना भी ज्यादा होती है। साथ ही, आपको नो क्लेम बोनस डिस्काउंट नहीं मिलता है, और इस कारण आपको ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता है।
कार की आईडीवी वो धनराशि होती है जिसे हिसाब से आप क्लेम के समय इंश्योरेंस पॉलिसी से भुगतान का आश्वासन चाहते हैं। आईडीवी की कीमत डेप्रिसिएशन के हिसाब से तय होती है। ज्यादा आईडीवी के लिए, प्रीमियम भी ज्यादा होगा।
क्लेम के दौरान जितनी कीमत आपको अपनी तरफ से अदा करनी होती है उसे डिडक्टिबल्स कहते हैं। कार इंश्योरेंस में लागू होने वाले स्टैंडर्ड डिडक्टिबल्स के अलावा आप इंश्योरेंस करने वाली कंपनी को अपने डिडक्टिबल्स बढ़ाने के लिए कह सकते हैं। डिडक्टिबल्स ज्यादा होने पर आपके प्रीमियम की कीमत कम हो जाती है।
थर्ड पार्टी प्रीमियम भारत सरकार तय करती है और इसे कवर करना अनिवार्य होता है। लेकिन अगर आप कॉमप्रिहेंसिव (व्यापक) कवर लेते हैं अलग अलग इंश्योरेंस करने वाली कंपनी के हिसाब से बदलता रहता है और उनके दिए डिस्काउंट और कीमत पर निर्भर करता है। अगर आप कॉमप्रिहेंसिव कवर के साथ एड-ऑन भी खरीदते हैं तो उसके मुताबिक प्रीमियम भी बढ़ता जाएगा।
भारत की ज्यादातर इंश्योरेंस करने वाली कंपनियां अभी तक प्रीमियम गिनते वक्त उम्र को नजरअंदाज करती रही हैं। लेकिन भविष्य में वो इस बात को भी ध्यान में रख सकती हैं, क्योंकि कम उम्र के ड्राइवर में दुर्घटना (एक्सिडेंट) करने की संभावना ज्यादा होती है।
कार इंश्योरेंस प्रीमियम के अंश
कार इंश्योरेंस प्रीमियम वो धनराशि है जिसे आप इंश्योरेंस करने वाली कंपनी को पॉलिसी खरीदने के बदले अदा करते हैं। कार इंश्योरेंस प्रीमियम कई ऐसी बातों को ध्यान में रखते हुए गिना जाता है जो उसे सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं। आप किस तरह का कवर चुनते हैं, इस बात से भी प्रीमियम प्रभावित होता है। तो आप समझ सकते हैं कि कार इंश्योरेंस के प्रीमियम में ये खर्च शामिल होते हैं:
ये प्रीमियम का वो हिस्सा है जिसे आपको कार में होने वाले नुकसान का कवरेज पाने के लिए अदा करना पड़ता है। ये नुकसान प्राकृतिक आपदाओं, टक्कर, चोरी या तोड़फोड़ के कारण हो सकते हैं। हर इंश्योरेंस करने वाली कंपनी की ओन डैमेज प्रीमियम गिनने की अपनी दर होगी। इसके बाद, उनके प्रोडक्ट लॉस रेश्यो (अनुपात) के हिसाब से, वो डिस्काउंट देते हैं। इस तरह के इंश्योरेंस का प्रीमियम अलग अलग इंश्योरेंस करने वाली कंपनी के हिसाब से बदलता रहता है।
ये वो अतिरिक्त कवर हैं जिन्हें आप कार इंश्योरेंस पॉलिसी कवर की लिमिट को बढ़ाने के लिए चुनते हैं। आप किस तरह का एड-ऑन कवर चुनते हैं, इस आधार पर प्रीमियम बढ़ जाता है। आप इनमें से अपने लिए एड-ऑन चुन सकते हैं, इंजन एंड गियर प्रोटेक्शन, जीरो डेप्रिसिएशन, कंस्यूमेबल कवर, पीए कवर फॉर पैसेंजर्स , और वगैरह।
कार मालिक/ड्राइवर के एक्सिडेंट और चोटों के बढ़ते मामलों को देखते हुए बाद में सरकार ने व्यक्तिगत दुर्घटना कवर को अनिवार्य बना दिया। इस खतरे को कवर करने की न्यूनतम इंश्योरेंस कीमत 15 लाख रुपए तय की गई है। आप 1 लाख से 5 लाख रुपए तक कवर को और बढ़ा सकते हैं।
भारत सरकार ने थर्ड पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाया है। आपकी कार का थर्ड पार्टी प्रीमियम कार के इंजन की क्यूबिक कैपेसिटी के हिसाब से गिना जाता है।
इनके अलावा, आपको नो क्लेम बोनस पर मिलने वाला डिस्काउंट आपके कार इंश्योरेंस प्रीमियम को प्रभावित करता है।
कार इंश्योरेंस प्रीमियम गिनने का उदाहरण
यहां देखते हैं कि डिजिट आपकी उस कार का प्रीमियम कैसे गिनता है जिसे आपने आज खरीदा है। मान लीजिए कि आपने एयर बैग्स वाली पेट्रोल की नई मारुति ऑल्टो 1.1 एलएक्सआई खरीदी है जिसकी कीमत ₹ 276675 है।
इंश्योरेंस की कीमत/ आईडीवी | ₹276675 |
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ओन डैमेज प्रीमियम | ₹6261 |
थर्ड पार्टी प्रीमियम | ₹5286 |
ज़ीरो डेप कवर एड-ऑन | ₹1338 |
इंजन प्रोटेक्शन एंड गियर बॉक्स प्रोटेक्शन एड-ऑन | ₹176 |
कंस्यूमेबल कवर एड-ऑन | ₹88 |
पर्सनल एक्सिडेंट कवर | ₹330 |
ओडी प्रीमियम पर अतिरिक्त डिस्काउंट | ₹1445 |
नेट प्रीमियम | ₹12034 |
जीएसटी GST@18% | ₹2165 |
ग्रॉस प्रीमियम | ₹14,199 |
कार इंश्योरेंस पॉलिसी आपकी ज़रूरत बन चुकी है, जिससे आप अनचाहे खर्च के कारण अपनी बचत को प्रभावित होने से रोक सकते हैं। पॉलिसी रिन्यू करवाना भी उतना ही ज़रूरी होता है जितना कि नए वाहन के लिए नई पॉलिसी खरीदना।