इनकम टैक्स ऐक्ट का सेक्शन 154: विशेषताएं और सुधार प्रक्रिया
भारत में, टैक्सपेयर अपना इनकम टैक्स फ़ाइल करते समय गलतियां कर सकते हैं। आंकलन के दौरान संबंधित प्राधिकारी रिकॉर्ड से ऐसी गलतियों को उजागर करते हैं। टैक्सपेयर इन गलतियों को इनकम टैक्स ऐक्ट 1961 सेक्शन 154 के तहत सुधार सकते हैं।
इनकम टैक्स ऐक्ट का सेक्शन 154 क्या है?
कभी-कभी टैक्स निर्धारण अधिकारी की ओर से पारित किसी आदेश में गलती हो सकती है। ऐसी स्थिति में रिकॉर्ड से स्पष्ट होने वाली गलतियों को सेक्शन 154 के तहत सुधारा जा सकता है। इस लेख में सेक्शन 154 के तहत गलतियों के सुधार से संबंधित प्रावधानों पर चर्चा की गई है।
इनकम टैक्स के सेक्शन 154 की विशेषताएं क्या हैं?
नीचे इस सेक्शन के कुछ प्राथमिक बिंदु दिए गए हैं।
- आईटी विभाग विसंगतियों से बचने के लिए गलत जानकारी के संबंध में आदेश जारी करने के लिए उत्तरदायी है।
- टैक्स रकम में वृद्धि या टैक्सपेयर के लिए कम छूट के लिए कोई भी कार्रवाई करने से पहले आईटी विभाग के लिए रजिस्टर आईडी पर एक ईमेल या रजिस्टर आवासीय पते पर पत्र भेजना अनिवार्य है।
- आईटी विभाग देय टैक्स को जोड़ने या छूट रकम में डिडक्शन से संबंधित सेक्शन 154 के तहत की गई किसी भी कार्रवाई के बारे में टैक्सपेयर को सूचित करने के लिए उत्तरदायी है। इसके अलावा, आईटी विभाग को टैक्सपेयर को ऐसी गलतिओं का वर्णन करने की अनुमति देनी चाहिए।
- अगर किसी टैक्सपेयर के खाते में अतिरिक्त रकम जमा की जाती है, तो इसे सेक्शन 154 के तहत माना जा सकता है।
- टैक्सपेयर को अतिरिक्त रिफंड आईटी विभाग को वापस करना होगा।
- आईटी विभाग को आवेदन प्राप्त होने वाले महीने के अंत से 6 महीने के भीतर मूल्यांकनकर्ताओं की ओर से किए गए आवेदनों का निपटान करना होगा।
- स्वत: संज्ञान के आधार पर, सेक्शन 154 के तहत सुधार की समय सीमा उस फाइनेंशियल ईयर के अंत से 4 वर्ष तक है जिसमें आदेश पारित किया गया है।
- अगर आईटी आयुक्त कोई आदेश पारित करता है, तो वह गलतिओं को 2 तरीकों से सुधारने के लिए अधिकृत है-
- अपने तरीके से
- टैक्सपेयर की ओर से किया गया एक आवेदन
फिर भी, इनकम टैक्स ऐक्ट, 1961 के सेक्शन 154 के तहत टैक्सपेयर की ओर से सुधारी जा सकने वाली गलतिओं की सूची सीमित है।
इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 154 के तहत सुधार दाखिल करने के लिए कौन पात्र है?
सीपीसी से सेक्शन 143(1) के तहत आदेश या नोटिस प्राप्त होने पर, निम्नलिखित पक्ष ई-फाइलिंग पोर्टल पर सुधार का अनुरोध फ़ाइल कर सकते हैं।
- रजिस्टर टैक्सपेयर
- ईआरआई (केवल वे जिनमें ग्राहक पैन शामिल है)
- अधिकृत प्रतिनिधि और हस्ताक्षरकर्ता
इसके अलावा, इनकम टैक्स अधिकारी केवल निम्नलिखित गलतियों के विरुद्ध सुधार की अनुमति देते हैं।
- गलत जानकारी
- गलत तथ्य
- अरिथमैटिकल गलतियां
- टैक्स में विसंगतियां
- टैक्स क्रेडिट में विरोधाभास
- गलत लिंग बताना
- मामूली लिपिकीय गलतियां
- कानून के अनिवार्य प्रावधानों के प्रति ढिलाई
- पूंजीगत फ़ायदे के लिए अतिरिक्त क्रेडेंशियल जमा नहीं करना
इनकम टैक्स विभाग इनमें से किसी भी गलती के होने पर संबंधित टैक्सपेयर को सूचित करेगा।
सेक्शन 154 के तहत सुधार ऑनलाइन कैसे फ़ाइल करें?
रिटर्न का आंकलन करने के बाद, इनकम टैक्स ऐक्ट विभाग संबंधित टैक्सपेयर को स्व-निर्मित सुधार आदेश या नोटिस जारी करता है।
नीचे दिया गया खंड उन लोगों को कॉम्प्रिहेंसिव जानकारी प्रदान करता है जो सेक्शन 154 के तहत ऑनलाइन सुधार फाइल करने की तलाश में हैं।
- चरण 1: इनकम टैक्स की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं।
- चरण 2: रजिस्ट्रेशन के लिए लॉग इन करें या साइन अप करें।
- चरण 3: 'मेरा खाता' पर जाएं और 'सेक्शन 143(1)/154 के तहत सूचना के लिए अनुरोध' पर क्लिक करें।
नोट: एक छोटा डायलॉग बॉक्स दिखाई देगा जहां आपको पैन नंबर भरना होगा।
- चरण 4: प्रासंगिकअसेसमेंट ईयर चुनें और सुधार दर्ज करने के लिए सीपीसी संचार संख्या प्रदान करें और 'जारी रखें' पर क्लिक करें।
- चरण 5: 3 अनुरोध प्रकारों में से चुनें- 'रिटर्न डेटा सुधार', 'टैक्स क्रेडिट बेमेल और टैक्स या इंटरेस्ट कैलकुलेशन' और 'केवल रिटर्न को दोबारा संसाधित करें', जो भी लागू हो।
- चरण 6: 'रिटर्न डेटा सुधार' चुनने पर, सुधार के लिए 4 कारण चुनें, रिटर्न में शेड्यूल शामिल करें जिन्हें ठीक करने की जरुरत है और एक्सएमएल अपलोड करें।
नोट: 'ओनली रीप्रोसेस द रिटर्न' का चयन करने पर, टैक्सपेयर को अपना इनकम टैक्स रिटर्न अपलोड करने की जरुरत नहीं है।
- चरण 7: फॉर्म 26एएस में टीडीएस विवरण जांचें, अपने सभी इनपुट दोबारा जांचें और 'जमा' पर क्लिक करें।
टैक्सपेयर की ओर से आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के बाद आईटी विभाग एक रिफरेंस नंबर जेनेरेट करेगा। यह नंबर आगे की प्रक्रिया के लिए सीपीसी बेंगलुरु को भी भेजा जाएगा।
सुधार करने के आवेदन करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया
कोई भी सुधार आवेदन करने से पहले टैक्सपेयर को निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
- टैक्सपेयर को उस आदेश का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए जिसके विरुद्ध वह सुधार के लिए आवेदन फ़ाइल करना चाहता है।
- कई बार टैक्सपेयर को लग सकता है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से पारित आदेश में कोई गलती है लेकिन वास्तव में टैक्सपेयर की कैलकुलेशन गलत हो सकती है और सीपीसी ने इन गलतियों को सुधार लिया होगा। उदाहरण के लिए टैक्सपेयर ने इनकम के रिटर्न में गलत इंटरेस्ट का कैलकुलेशन किया होगा और सूचना में इंटरेस्ट का कैलकुलेशन सही ढंग से किया गया होगा।
- इसलिए, ऊपर चर्चा किए गए मामलों में सुधार के आवेदन से बचने के लिए टैक्सपेयर को आदेश का अध्ययन करना चाहिए और अगर कोई हो, तो सूचना में गलती होने की पुष्टि करनी चाहिए।
- अगर उसे आदेश में कोई गलती दिखे तो ही उसे सेक्शन 154 के तहत सुधार के लिए आवेदन करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
- इसके अलावा, उसे यह पुष्टि करनी चाहिए कि गलती वह है जो रिकॉर्ड से स्पष्ट है और यह ऐसी गलती नहीं है जिसके लिए बहस, विस्तार, जांच आदि की जरुरत है। टैक्सपेयर गलती में सुधार के लिए ऑनलाइन आवेदन फ़ाइल कर सकता हैं। सुधार के लिए ऑनलाइन आवेदन करने से पहले टैक्सपेयर को ऑफिशियल वेबसाइट पर निर्धारित सुधार प्रक्रिया देखनी चाहिए।
- सेक्शन 200ए(1)/206सीबी के तहत सूचना के सुधार के लिए ऑनलाइन करेक्शन स्टेटमेंट फ़ाइल करना होगा; इसकी प्रक्रिया वेबसाइट पर दी गई है।
- कोई संशोधन या सुधार जिसका प्रभाव मूल्यांकन को बढ़ाने या रिफंड को कम करने या अन्यथा टैक्सपेयर (या डिडक्टर) की देनदारी को बढ़ाने पर होता है, तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि संबंधित प्राधिकारी ने टैक्सपेयर या डिडक्टर को ऐसा करने के अपने इरादे के बारे में नोटिस नहीं दिया हो। इसलिए टैक्सपेयर (या डिडक्टर) को सुनवाई का उचित अवसर दिया गया।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या मैं इनकम टैक्स सुधार आदेश के विरुद्ध अपील फ़ाइल कर सकता हूं?
हां, आप सीपीसी की ओर से जारी सूचना आदेश के खिलाफ सीधे सीआईटी (ए) में अपील फ़ाइल कर सकते हैं।
क्या मुझे भुगतान करने के बाद सीपीसी की ओर से उठाई गई मांग को रद्द करने के लिए सुधार फ़ाइल करना होगा?
नहीं, भुगतान करते ही मांग अपने आप समायोजित हो जाएगी।
सुधार अनुरोध फ़ाइल करते समय, किस नंबर की जरुरत होती है?
सुधार अनुरोध दाखिल करते समय नवीनतम दाखिल इनकम टैक्स रिटर्न का सीपीसी आदेश संख्या या सूचना संख्या या डीआईएन जरुरी है।