एनआरआई के लिए इनकम टैक्स नियम और टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की प्रक्रिया
क्या आप जानते हैं कि नॉन- रेजिडेंशियल इंडियंस यानी एनआरआई को भारत में इनकम टैक्स देना पड़ता है?
केवल रेजिडेंशियल भारतीय ही नहीं बल्कि एनआरआई भी टैक्सेशन सिस्टम के दायरे में आते हैं। इस आर्टिकल में, हमने एनआरआई के लिए इनकम टैक्स, होने वाली डिडक्शन और मिलने वाली छूट पर चर्चा की है। बने रहें!
एनआरआई के लिए इनकम टैक्स क्या है?
जैसा कि शुरुआत में ही बताया गया है, टैक्सेशन सिस्टम भारत में रहने वाले व्यक्तियों और नॉन-रेजिडेंशियल इंडियंस यानी एनआरआई दोनों पर लागू होता है।
यहां, यह रेजिडेंशियल व्यक्तियों को कुल इनकम पर टैक्स देना पड़ता है, जिसका मतलब है कि भले ही उन्होंने इसे भारत में या देश के बाहर से क्यों न कमाया हो, आपकी इनकम टैक्स योग्य है।
दूसरी ओर, नॉन-रेजिडेंट्स के लिए, भारत में अर्जित गई इनकम को टैक्स योग्य माना जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो, एनआरआई के लिए, अन्य देशों से होने वाली इनकम भारत में टैक्स योग्य नहीं है।
ऊपर की गई चर्चा से, पाठक एनआरआई के लिए लागू इनकम टैक्स स्लेब के बारे में संक्षिप्त जानकारी ले सकते हैं। अब, आइए भारत में एनआरआई टैक्सेशन सिस्टम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
भारत में एनआरआई के लिए टैक्सेशन सिस्टम कैसे काम करता है?
फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट (फेमा) के अनुसार, किसी भी नागरिक को एनआरआई तब माना जाता है अगर उसने विदेश में कुछ तय लिमिट में दिन बिताए हों और बाद में भारत में न रहे हों।
भारत में, मुख्य रूप से दो ऐक्ट एनआरआई को कंट्रोल करते हैं। ये हैं,
- फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट ऐक्ट ,1999 (फेमा)
- इनकम टैक्स ऐक्ट , 1961
भारत में एनआरआई इनकम टैक्स टैक्सेशन पर वापस आते हैं, हालांकि भारत के बाहर/ग्लोबल स्तर पर अर्जित इनकम भारत में टैक्स योग्य नहीं है, लेकिन ऐसे कुछ मामले हैं जहां भारत में इनकम टैक्स योग्य होती है। इनमें सोर्स टर्म डिपॉज़िट के माध्यम से अर्जित, फंडामेंटल लिमिट से ज्यादा संपत्ति का किराया (जैसा कि इनकम टैक्स ऐक्ट , 1961 में बताया गया है), म्यूचुअल फंड, इक्विटी निवेश से पूंजी लाभ शामिल हैं। इन सभी मामलों में, एनआरआई के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना अनिवार्य है।
इस टैक्स इम्पोसिशन के अनुसार, टर्म डिपॉज़िट, शेयर और म्यूचुअल फंड से पूंजी लाभ पर मिले इंटरेस्ट पर टीडीएस उच्च दर पर लगता है। आमतौर पर, यह चीजें इनकम टैक्स फ़ाइल करने की जरूरत को ख़त्म कर देती हैं।
अन्य मामलों में, ऐसा हो सकता है कि पूरा टीडीएस नॉन-रेजिडेंशियल इंडियन की बेसिक टैक्स लायबिलिटी पर न जुड़े। यहां, एनआरआई के पास टैक्स रिफंड क्लेम दायर करने के लिए इनकम टैक्स फ़ाइल करने के अलावा कोई चारा नहीं होता है।
अब एनआरआई और टैक्सेशन सिस्टम की बेसिक जानकारी आपको पूरी तरह से मालूम है, आइए अब छूट, डिडक्शन, टैक्स योग्य इनकम और फायदों पर फोकस करते हैं। चलिए, शुरू करते हैं!
भारत में एनआरआई के लिए इनकम टैक्स छूट क्या हैं?
एनआरआई को नीचे दी गई विभिन्न इनकम पर टैक्स में छूट मिलती है -
- सरकार की ओर से जारीसेविंग सर्टिफिकेटऔर बॉन्ड पर मिला इंटरेस्ट।
- पूंजी लाभ (सेक्शन 54, 54F, और 54EC के अनुसार छूट)।
- सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन।
- एनआरई या एफसीएनआर खातों से मिला इंटरेस्ट।
भारत में एनआरआई के लिए लागू इनकम टैक्स डिडक्शन क्या हैं?
एनआरआई के लिए इनकम टैक्स टैक्स डिडक्शन का उल्लेख कई इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत किया गया है। यह इस प्रकार हैं:
1. सेक्शन 80C
इस सेक्शन के अनुसार, एनआरआई नीचे दिए गए मामलों में इनकम टैक्स डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं
- यूलिप
- एलईएसएस
- होम लोन पर मूल राशि का पुनर्भुगतान
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम का भुगतान
- बच्चों की ट्यूशन फीस का भुगतान
2. सेक्शन 80E
अगर कोई एनआरआई एजुकेशन लोन पर इंटरेस्ट का भुगतान करता है तो सेक्शन 80E के तहत डिडक्शन होता है।
3. सेक्शन 80TTA
सेक्शन 80TTA के तहत, एनआरआई बचत बैंक खाते में मिले इंटरेस्ट पर ₹10,000 के डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं।
4. सेक्शन 80D
सेक्शन 80D के तहत इनकम टैक्स डिडक्शन होता है। नॉन-रेजिडेंशियल इंडियंस हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम के लिए किए गए भुगतान पर डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं।
5. सेक्शन 80G
इस सेक्शन के अनुसार,एनआरआई एप्रूव्ड चेरिटेबल या धार्मिक गतिविधियों से संबंधित दान पर डिडक्शन का क्लेम कर सकते हैं।
एनआरआई के लिए टैक्स योग्य इनकम क्या हैं?
नीचे नॉन रेजिडेंशियल इंडियंस के लिए टैक्सेबल इनकम की चर्चा की गई है
1. हाउस प्रॉपर्टी से इनकम
एनआरआई के लिए, भारत में स्थित संपत्ति से कोई भी इनकम इनकम टैक्स ऐक्ट के अनुसार टैक्स योग्य है यहां, टैक्स कैलकुलेशन प्रोसेस भारतीय निवासियों के जैसे नियमों पर होता है। सही जानने के लिए, नॉन- रेजिडेंशियल इंडियंस नीचे दिए गए फायदों को उठा सकते हैं,
- प्रॉपर्टी टैक्स पर डिडक्शन
- होम लोन के मामले में इंटरेस्ट में डिडक्शन
- होम लोन की मूल रकम पर डिडक्शन इनकम टैक्स ऐक्ट सेक्शन 80C के तहत मिलता है। इसके साथ ही प्रॉपर्टी की खरीद पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज पर भी छूट मिलती है.
- एनआरआई 30% के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं।
2. सैलरी से इनकम
एनआरआई की सैलरी दो शर्तों पर टैक्स योग्य होती है। ये हैं,
- शर्त 1: अगर कोई एनआरआई भारत में सैलरी सीधे भारतीय बैंक खाते में प्राप्त करता है, तो यह एनआरआई के लिए इनकम टैक्स नियमों के अनुसार टैक्स योग्य होगी। यह शर्त किसी अन्य स्थिति में लागू होती है जब उस एनआरआई की ओर से किसी दूसरे व्यक्ति को इनकम प्राप्त होती है।
- शर्त 2: इस शर्त के अनुसार, अगर कोई एनआरआई भारत में दी गई सेवाओं के लिए सैलरी लेता है, तो इसे भारत में टैक्स योग्य इनकम माना जाएगा।
दोनों मामले एनआरआई के लिए लागू इनकम टैक्स स्लैब का पालन करना होता है।
3. अन्य स्रोतों से इनकम
इनकम (फिक्स डिपॉज़िट और बचत खाते पर इंटरेस्ट) जो भारत में मिलता है, टैक्स योग्य है।
4. पूंजी लाभ से इनकम
भारत में स्थित पूंजी लाभ संपत्तियों को ट्रांसफर करने से मिली कोई भी इनकम टैक्स योग्य होगी।
एनआरआई के लिए इनकम टैक्स फ़ाइल करने के क्या लाभ हैं?
इनकम टैक्स फ़ाइल करने से एनआरआई को कई तरह के फायदे मिलते है। ये हैं,
- इनकम टैक्स ऐक्ट देश के भीतर बैंक जमा पर एनआरआई के लिए प्रॉपर्टी टैक्स से छूट देता है।
- एनआरई और एफसीएनआर खातों के माध्यम से दिए गए उपहार भारत में गिफ्ट टैक्स से मुक्त हैं।
एनआरआई के लिए इनकम टैक्स के डिडक्शन और छूट के बारे में जानने के बाद, संबंधित व्यक्ति अगले भाग में की गई चर्चा की चरणबद्ध गाइडलाइन का पालन कर सकते हैं।
भारत में एनआरआई इनकम टैक्स रिटर्न कैसे फ़ाइल करें?
सबसे पहले एनआरआई को हर साल निवास का अधिकार तय करना होगा जो कि भारत में उनके रहने के दिनों की संख्या पर आधारित है। फिर फ़ॉर्म 26एएस में बताए अनुसार टैक्स रिटर्न पर भुगतान किए गए टीडीएस की तुलना करें और टैक्स योग्य इनकम और टैक्स लायबिलिटी की जांच करें।
अगर एनआरआई की अर्जित इनकम पर विदेश और भारत दोनों जगह टैक्स लगता है, तो उन्हें डीटीएए (डबल टेक्सेशन ट्रीटी ) के तहत छूट मिल सकती है। एनआरआई के लिए सही आईटीआर फ़ॉर्म फ़ाइल करके प्रोसेस को आगे बढ़ाएं।
फिर आईटीआर फ़ाइल करने वाले एनआरआई को अपने बैंक खाते के विवरण का उल्लेख करना होगा। जिन लोगों का भारत में खाता है, उन्हें ऑफशोर बैंक खातों के विवरण देने की जरूरत नहीं है। जिन लोगों का भारत में खाता नहीं है, वह अपने विदेशी बैंक खाते का विवरण दे सकते हैं। आईटीआर में संपत्ति और लायबिलिटी आदि से जुड़ी जानकारी देना भी उतना ही जरूरी है।
एक बार आईटीआर अपलोड हो जाने के बाद, उसके संबंध में वेरिफिकेशन 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।
ऑफलाइन प्रोसेस
- स्टेप 1 - आईटीआर फ़ॉर्म लाएं और उसमें जरूरी जानकारी भरें।
- स्टेप 2 - एक्नॉलेजमेंट फ़ॉर्म के साथ इस फ़ॉर्म को इनकम टैक्स अधिकारी के पास जमा करें। इनकम टैक्स रिटर्न और फ़ाइलिंग को भारत के बाहर किसी अधिकृत व्यक्ति की ओर से वेरिफाई और अटेस्ट किया जाना चाहिए।
ऊपर दिए गए सेक्शन एनआरआई के लिए इनकम टैक्स के विभिन्न पहलुओं के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। विवरण को ध्यान से पढ़ें और अगर यह टैक्स योग्य इनकम है तो इनकम टैक्स रिटर्न के लिए आवेदन करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या एनआरआई को एनआरओ खाते पर मिले इंटरेस्ट पर टैक्स देना पड़ता है?
हां, एनआरआई को एनआरओ खाते पर मिले इंटरेस्ट पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है।
एनआरआई के लिए इक्विटी से संबंधित पूंजी लाभ पर कितना टीडीएस लागू है?
इक्विटी से संबंधित पूंजी लाभ पर 10% टीडीएस लागू है।
एनआरआई की ओर से किए गए नॉन-इक्विटी संबंधी निवेश पर कितना टीडीएस लागू है?
नॉन-इक्विटी से संबंधित निवेश (जैसे डेट फंड) पर 30% टीडीएस लागू होता है।
एनआरआई इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की अंतिम तिथि कब है?
एनआरआई इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने की अंतिम तिथि फाइनेंशियल ईयर की 31 जुलाई है।