भारत में प्राकृतिक आपदाएं: प्रकार और कारणों की जानकारी
प्राकृतिक आपदाएं बिना किसी पूर्वानुमान के अचानक से घटित होती हैं जो व्यक्तियों के जीवन और उनकी संपत्ति को बड़ी क्षति पहुँचाने का काम करती है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसानों को वापस से पहले जैसा करने में वर्षों लग जाते हैं।
इसलिए, प्राकृतिक आपदाएं किन प्रकार की होती हैं और उनके कारण होने वाले नुकसान से खुद को अपडेट रखना आपके लिए अत्यधिक आवश्यक है।
भारत में होने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस लेख को पूरा पढ़ें।
प्राकृतिक आपदा क्या होती है?
प्राकृतिक आपदाएं प्रकृति में होने वाली विनाशकारी घटनाएं हैं जो एक समुदाय की सुरक्षा और उनके कार्यों को भी खतरे में डालने का काम करती है। प्राकर्तिक आपदाएं सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार की संपत्तियों को काफी भारी नुकसान पहुँचती हैं।
ये आपदाएं हरिकेन, फ्लड से लेकर सुनामी और अवलंचेस तक हो सकती हैं। हालांकि आपको यह भी पता होना चाहिए कि प्राकृतिक कारणों के अलावा ऐसे कई मानव जनित कारण भी हैं जिनके कारण कोई बड़ी एवं भयानक दुर्घटना घट सकती है।
डीफॉरेस्टेशन, कृषि प्रथाओं, माइनिंग आदि जैसी गतिविधियां भी कुछ स्थानों में कुछ अवसरों में लैंडस्लाइड का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, जंगल की आग से उस क्षेत्र के पौधों और जानवरों के प्राकृतिक आवास को भी काफी भारी नुकसान पहुंचा सकती है।
इसलिए, इस अवस्था को बेहतर ढंग से समझने के लिए आपके लिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि प्राकृतिक आपदाएं कितने प्रकार की होती है।
प्राकृतिक आपदा के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
मुख्य रूप से प्राकृतिक आपदाओं के 5 प्रकार होते हैं। जो नीचे निम्नलिखित हैं -
जियोलॉजिकल डिज़ास्टर
पृथ्वी की सतह या नीचे होने वाले बदलाव के कारण जियोलॉजिकल डिजास्टर का जन्म होता है। टेक्टोनिक प्लेटों के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव अपूर्व होते हैं और ये पूर्ण रूप से मानव के नियंत्रण के बाहर होते हैं। भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, लैंडस्लाइड, बर्फानी अवलंचेस आदि आपदाएं जियोलॉजिकल डिज़ास्टर के प्रमुख उदाहरण हैं।
हाइड्रोलॉजिकल डिज़ास्टर
हाइड्रोलॉजिकल डिज़ास्टर भूमि के नीचे जल के गुणवत्ता या वितरण में अचानक परिवर्तन या वातावरणीय स्थितियों के कारण होती हैं। फ्लड और ड्राउट दोनों ही हयड्रोलॉजिकल डिज़ास्टर के अंतर्गत आते हैं। ये आपदाएं कृषि और संपत्ति को भी बहुत नुकसान पहुंचा सकती हैं। लिम्निक विस्फोट, सुनामी, ज्वालामुखी आदि हाइड्रोलॉजिकल डिज़ास्टर के प्रमुख उदाहरण में शामिल हैं।
मेटेओरोलॉजिकल डिज़ास्टर
मेटेओरोलॉजिकल डिज़ास्टर मुख्य रूप से ड्राउट, बर्फबारी और बारिश जैसी अत्यधिक मौसमी स्थितियों के कारण पैसा होती हैं। ये आपदाएं मौसम निर्माण प्रक्रिया और वातावरणीय स्थितियों पर भी काफी असर डालती हैं। ब्लिज़र्ड, ड्राउट, ठंडी लहरें, टॉर्नेडो, साइक्लोनिक तूफान आदि मेटेओरोलॉजिकल डिज़ास्टर के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
स्पेस डिज़ास्टर
स्पेस डिजास्टर में क्षुद्रग्रहों, उल्काओं और सौर ज्वालाओं के कारण होने वाली आपदाएं शामिल हैं।
जंगली आग
ड्राउट और लाइटनिंग जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण जंगल में आग लग सकती है, जिसे वाइल्डफायर के नाम से जाना जाता है। हालाँकि कई मौकों पर ह्यूमन को भी जंगलों को जलाकर एग्रीकल्चरल लैंड बनाते हुए देखा जा सकता है, जो हमारे वातावरण को अनेक तरीकों से प्रभावित कर सकता है।
तो चलिए अब अब हम इन प्राकर्तिक आपदाओं के घटित होने के कारणों के ऊपर चर्चा करते हैं। यह आपको आवश्यक डिजास्टर मैनेजमेंट तकनीकों को फॉलो कर खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं का क्या कारण है?
प्राकृतिक आपदाओं के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित चीज़ें शामिल हैं -
प्राकृतिक घटनाएं
मून एक्टिविटी
टेक्टोनिक मूवमेंट
सॉइल इरोजन
डिफॉरेस्टेशन
ओसियन कर्रेंट्स
एयर प्रेशर
सिस्मिक वेव्स
पोलुशन
ग्लोबल वार्मिंग
माइनिंग
तो चलिए अब हम भारत में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों पर एक नज़र डालते हैं।
भारत में प्राकृतिक आपदाओं के क्या प्रभाव हैं?
प्राकृतिक आपदाओं के सामान्य प्रभावों में निम्नलिखित चीज़ें शामिल हैं -
इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान
खाना और पानी की कमी
सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे और बीमारियां
पर्यावरण समस्याएं
आर्थिक प्रभाव
मृत्यु
घायली और भावनात्मक प्रभाव
भारत उन तीन देशों में से एक है जिसने हाल के वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं के अत्यधिक प्रभाव को झेला है। 2021 में इस प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं में लगभग 108 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 79,732 लोगों ने इन हादसों के कारण अपनी जान को गवाया है।
चलिए अब भारत में साल भर में हुई प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं की सूची और उनके प्रभाव के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
भारत में अब तक की हुई प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं की सूची
निचे हमने भारत में अब तक की हुई प्रमुख प्राकर्तिक आपदाओं की एक सूचि को आपके साथ साझा किया है।
1. केरल फ्लड
- घटना - 2018
- घातक परिणाम - 483
केरल में पहले 48 घंटों में 310 मिमी भारी वर्षा दर्ज की गई थी, जिस कारण बांध में पानी का ओवरफ्लो हो गया और पूरा केरल फ्लड की चपेट में आ गया।
2. कश्मीर फ्लड
- घटना - 2013
- घातक परिणाम - 550 से अधिक
लगातार बारिश और झेलम नदी के उफान के कारण कश्मीर में एक बड़ी फ्लड आयी थी। इससे कुल 6000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था।
3. उत्तराखंड फ्लड
- घटना - 2013
- घातक परिणाम - 5700+
14 जून से 17 जून तक उत्तराखंड में भारी बादल फटने से लैंडस्लाइड के कारण फ़्लैश फ्लड भी देखने को मिला था। जिस कारण केदारनाथ धाम में एक लाख से भी अधिक तीर्थयात्री फंसे गए थे।
4. सुनामी
- घटना - 2004
- घातक परिणाम - 227,898 से अधिक
9.1 से 9.3 के मैगनीट्यूड का भूकंप इस आपदा का कारण बना था। सुनामी लोगों के जीवन पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। भारत, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और श्रीलंका के अधिकतर घरों पर इसका असर देखने को मिलता है।
5. गुजरात भूकंप
- घटना - 2001
- घातक परिणाम - 20,000 से अधिक
रिक्टर स्केल ने इस भूकंप के लिए 7.6 तीव्रता दिखाई थी। इससे करीब 4 लाख घरों को नुकसान पहुंचा था, और पुरे राज्य में इस भूकंप का प्रभाव 120 सेकंड तक रहा था।
6. ओडिशा सुपर साइक्लोन
- घटना - 1999
- घातक परिणाम - 15,000 से अधिक
इसे नार्थ इंडियन ओसियन में सबसे खतरनाक ट्रॉपिकल सीक्लोने के रूप में जाना जाता है। यह साइक्लोन 260 किमी/घंटे की तीव्रता आगे की और बढ़ रहा था। इस साइक्लोन से लगभग 2.57 लाख घर नष्ट हो गए थे।
7. लातूर भूकंप
- घटना - 1993
- मृत्यु - लगभग 10,000
महाराष्ट्र के लातूर और उस्मानाबाद के जिलों को इसका प्रभाव देखने को मिला था, जिसका केंद्र किल्लारी में था, 1993 लातूर भूकंप को रिक्टर स्केल पर 6.4 मापा गया था। इसे 'गंभीर' के रूप में वर्गीकृत किया गया था क्योंकि इस भूकंप के झटकों का केंद्र ज़मीन में 10 किमी गहरा था।
8. महामारी
- घटना - 1876-78
- घातक परिणाम - लगभग 5.85 करोड़
1876 में साउथ और साउथ-वेस्टर्न भारत में बंबई (वर्तमान में मुंबई) और मद्रास (वर्तमान में चेन्नई) में शुरू हुआ था, यह भीषण अकाल गंभीर ड्राउट के बाद का प्रभाव थ, जिससे दक्कन के प्लेटयु में की साड़ी फसल खराब हो गई थी। बाद में 1877 में, इसने भारत के सेंट्रल और नार्थ-वेस्टर्न भागों को भी प्रभावित किया था।
9. कोरिंगा साइक्लोन
- घटना - 1839
- घातक परिणाम - 3 लाख से अधिक
यह दुनिया के चौथे सबसे घातक ट्रॉपिकल साइक्लोन के रूप में भी जाना जाता है, जिसने आंध्र प्रदेश के साउथ ईस्टर्न कोस्ट पर स्थित कोरिंगा शहर को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। इस विपदा के अलावा, इस 40 फीट की ऊँचे साइक्लोन की लहरों ने लगभग 20,000 जहाजों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था।
10. कलकत्ता साइक्लोन
- घटना - 1737
- घातक परिणाम - 3.5 लाख
यह गंगा नदी डेल्टा में कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) के साउथ में स्थित निम्नलिखित क्षेत्रों को काफी बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाया था। इस साइक्लोन में 6 घंटे में 381 mm बारिश के साथ लगभग 40 फीट की एक तूफान लहर को देखा गया था, जिसे पृथ्वी की सतह से लगभग 330 किमी के अंदर ट्रेस किया गया था।
11. बंगाल अकाल
- घटना - 1770
- घातक परिणाम - लगभग 1 करोड़
यह अकाल 1769 में असफल मॉनसून के कारण हुआ था जो लगातार दो सदियों तक चला था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शोषणकारी पॉलिसी और मौसमी स्थितियों ने इस आपदा को और कष्टदायक बनाया था।
प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पालन करने के लिए प्रिवेंटिव मेज़र्स
प्राकृतिक आपदाओं को रोकना संभव नहीं हैं जिस कारण, उनके दुष्प्रभावों को कम करने के तरीकों को समझना आपके लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
भारत में प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए ये कुछ उपाय निम्नलिखित हैं -
आपातकालीन उपाय तैयार करना- मेडिकल किट, मौसम के अपडेट पर नजर रखना आदि खुद को सुरक्षित रखने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है
रीफॉरेस्टेशन
जोखिम कम करने के तरीके - आश्रय बनाना और फ़ूड सप्लाई को स्टॉक करें
जानकारी साझा करना
बारिश की सटीक भविष्यवाणियों के लिए टेक्नोलॉजी में निवेश करना
आर्थिक समर्थन
आपदा के करीबी क्षेत्रों से लोगों को बचाने की कोशिश करें
प्राकृतिक आपदाओं के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
किये जाने वाले कार्य के बारे में हमने आपको प्रिवेंटिव मैसर्स में बता दिया गया है। इसलिए, अब हम देखते हैं कि क्या नहीं करना चाहिए।
इधर-उधर जाना या किसी आपदा से बचना
लाइव तार या टुकड़ों के पास न जाएँ
कमजोर स्ट्रक्चर के नीचे शरण न लें
वृक्षों के नीचे खड़े न हों
साइक्लोन और फ्लड के दौरान नदी या समुद्र के किनारों से दूर रहें
आपदा के दौरान गैस स्टोव या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का उपयोग न करें।
प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले बड़े प्रभाव से खुद को बचाने के लिए इन उपायों का पालन करे। हालांकि, आपदा से संपत्ति और पशुओं को अत्यधिक नुकसान पहुँचता है। ऐसे क्षति के मरम्मत की लागत और धन का प्रबंधन करना कई लोगों के लिए समस्या पूर्ण कार्य हो सकता है।
इस संबंध में कीमती सामान का इंश्योरेंस कराने से आपके होने वाले नुकसान की भरपाई इंश्योरेंस क्लेम से हो जाएगी।
इंश्योरेंस प्रोडक्ट जो प्राकृतिक आपदा संभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खरीदना चाहिए
निचे कुछ ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसीयाँ हैं जिन्हें प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के झोंकों में रहने वाले व्यक्तियों को जांचना चाहिए।
- होम इंश्योरेंस: अपने घर का इंश्योरेंस कराना आपदाओं के दौरान आपके लिए बेहद सहायक सिद्ध हो सकता है। यह पॉलिसी फ्लड, साइक्लोनऔर तूफान जैसी प्राकृतिक घटनाओं द्वारा होने वाले नुकसान को कवर करती है। इसके अलावा, यह चोरी और डकैती के लिए भी कवर प्रदान करती है।
- लाइफ इंश्योरेंस: लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पॉलिसीधारक और इंश्योरेंस कंपनी के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जो बीमित व्यक्ति की मृत्यु के बाद राशि का भुगतान करने का वादा करता है। यह एक बीमित व्यक्ति और उसके परिवार को अप्रत्याशित घटनाओं के दौरान वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है। आप कुछ ऐसी पॉलिसी भी देख सकते हैं जो एक्सीडेंटल डेथ बेनिफिट, क्रिटिकल इल बेनिफिट आदि जैसे अतिरिक्त एड ऑन विकल्प प्रदान करती हो।
- व्हीकल इंश्योरेंस: व्हीकल इंश्योरेंस प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं से बचाव प्रदान करती है। यह एक्सीडेंट और चोरी से होने वाले नुकसान को भी कवर करती है। व्यक्ति अपने व्हीकल को पहुँची क्षति के लिए एक पॉलिसी प्राप्त कर सकता है और प्राकृतिक आपदाओं द्वारा होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा भी प्राप्त कर सकता है।
इसके अलावा, व्यक्ति एक दीर्घकालिक समाधान के लिए आपदा विशिष्ट इंश्योरेंस पॉलिसी की जांच कर सकते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के होने की गणना करने के लिए आज के समय में काफी तकनीकी उन्नति हुई है। हालाँकि, इन आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोकना भी असंभव है।
इसलिए, प्राकृतिक आपदाओं के प्रकार और आपदा प्रबंधन के तरीकों के विस्तृत ज्ञान से आप इन स्थितियों से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं। इसके अलावा, भारत में आपदाओं से जुड़ी अपडेट के लिए मौसम विज्ञान विभाग या रेडियो से हमेशा खुद को अपडेट रखें।
भारत में प्राकृतिक आपदाओं के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
भारत की डिजास्टर मैनेजमेंट बॉडी कौन सी है?
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी भारत के डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए ज़िम्मेदार है।
सुनामी के दौरान क्या हमें किसी ऊंचे स्थान पर जाना चाहिए?
जी नहीं, आपको समुद्र से दूर किसी शेल्टर या इमारत में रहना चाहिए।
कौन से भारतीय शहर भूकंप के प्रति संवेदनशील हैं?
श्रीनगर, पोर्ट ब्लेयर और गुवाहाटी जैसे भारतीय शहर भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। अन्य शहर जैसे अमृतसर, कोलकाता, गाजियाबाद, नैनीताल, शिमला, दिल्ली और चंडीगढ़ भी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में शामिल किये जाते हैं।