भारत में साइक्लोन-प्रोन क्षेत्र
पिछले कुछ दशकों में, भारत ने कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया है (जैसे फ्लड, ड्राउट, साइक्लोन और भूकंप), जिनमें से फ्लड ने देश को सबसे अधिक प्रभावित किया है। साइक्लोन आमतौर पर मई-जून और अक्टूबर-नवंबर की समय अवधि के दौरान देखने को मिलते हैं। यद्यपि इन साइक्लोन के प्रभाव पूरे भारतीय कोस्ट में महसूस किए जा सकते हैं, लेकिन वेस्टर्न कोस्ट की तुलना में ईस्टर्न कोस्ट साइक्लोन से अधिक प्रभावित रहता है।
अब शायद आप यह जानना चाहते होंगे कि भारत में कौन से राज्य और डिस्ट्रिक्ट साइक्लोन-प्रोन क्षेत्र की सूची में आते हैं? निचे दिए गए लिस्ट को अच्छे से समझ कर आप भारत में साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों और डिस्ट्रिक्ट की एक स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
भारत में साइक्लोन प्रभावित क्षेत्रों की लिस्ट
नीचे भारत के सबसे अधिक साइक्लोन प्रभावित क्षेत्रों की एक लिस्ट दी गई है।
स्टेट/यूनियन टेरिटरी |
डिस्ट्रिक्ट |
वेस्ट बंगाल | हावड़ा |
वेस्ट बंगाल | कोलकाता |
वेस्ट बंगाल | नॉर्थ 24 परगना |
वेस्ट बंगाल | साउथ 24 परगना |
वेस्ट बंगाल | वेस्ट मेदिनीपुर |
आंध्र प्रदेश | ईस्ट गोदावरी |
आंध्र प्रदेश | नेल्लोर |
आंध्र प्रदेश | कृष्णा |
आंध्र प्रदेश | गुंटूर |
आंध्र प्रदेश | श्रीकाकुलम |
आंध्र प्रदेश | विशाखापट्टनम |
आंध्र प्रदेश | प्रकाशम |
आंध्र प्रदेश | वेस्ट गोदावरी |
आंध्र प्रदेश | विजयनगरम |
ओडिशा | बालासोर |
ओडिशा | कटक |
ओडिशा | भद्रा |
ओडिशा | गंजम |
ओडिशा | केंद्रपारा |
ओडिशा | पुरी |
ओडिशा | गजापति |
ओडिशा | खोरधा |
ओडिशा | जगतसिंहपुर |
तमिलनाडु | चेन्नई |
तमिलनाडु | तिरुवल्लुर |
तमिलनाडु | कांचीपुरम |
तमिलनाडु | तिरुवन्नामलाई |
तमिलनाडु | कुड्डालोर |
तमिलनाडु | नागपट्टिनम |
तमिलनाडु | रामनाथपुरम |
तमिलनाडु | कन्याकुमारी |
गुजरात | जूनागढ़ |
गुजरात | कच्छ |
गुजरात | भावनगर |
गुजरात | जामनगर |
गुजरात | पोरबंदर |
गुजरात | अमरेली |
पुदुचेरी | यानम |
पुदुचेरी | पुडुकोट्टई |
पुदुचेरी | कराईकाल |
अब जैसा की आप भारत के साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके हैं, तो चलिए अब हम उन क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले साइक्लोन के बारे में जानने की कोशिश करते है। हमारे साथ लेख को पूरा पढ़े।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आए अब तक के सभी साइक्लोन की लिस्ट
वेस्ट बंगाल
1. वेस्ट बंगाल
भोला साइक्लोन, नार्थ इंडियन ओसियन साइक्लोन का एक ट्रॉपिकल साइक्लोन है, जिसका प्रकोप 11 नवंबर 1970 को ईस्ट पाकिस्तान में देखने को मिला था जिसे वर्तमान समय में हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं। इसे सबसे घातक साइक्लोन में से एक माना जाता जिससे गंगा डेल्टा के निचले इलाकों में फ्लड भी देखने को मिले थे, जिससे तजुमुद्दीन उप जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ था और इसमें लगभग 5 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।
2. साइक्लोन अम्फान - 2020
साइक्लोन अम्फान 2020 नार्थ इंडियन ओसियन साइक्लोन का पहला ट्रॉपिकल साइक्लोन था। यह साइक्लोन श्रीलंका के कोलंबो से करीब 300 किमी ईस्ट में स्थित लो-प्रेशर वाले क्षेत्र में विकसित हुआ था। भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों को कवर करते हुए साइक्लोन अम्फान के प्रभाव के कारण करीब 128 लोग की मौत को रिपोर्ट किया गया था।
3. साइक्लोन BOB 03 - 2002
12 नवंबर 2002 को एक विनाशकारी साइक्लोनिक स्टॉर्म वेस्ट बंगाल में देखने को मिला था। इस साइक्लोन के कारण लगभग 173 लोगों की मौत हुई थी।
4. साइक्लोन ऐला - 2009
वेस्ट बंगाल के कई क्षेत्रों पर 23 मई 2009 को इस साइक्लोन प्रभाव देखने को मिला था, जिसमें करीब 1 लाख लोग प्रभावित हुए थे।
वेस्ट बंगाल में साइक्लोन को प्रभावित करने वाले कारक
स्थान की जिओ-फिजिकल और टोपोग्राफिकल स्थिति।
बे ऑफ़ बंगाल के ऊपर बना कम प्रेशर वेस्ट बंगाल के कोस्टल भागों के साथ आसपास के शहरों में भी साइक्लोन का कारण बनता है।
- हाल ही में की गयी एक स्टडी के अनुसार, इस बात की जानकारी मिली है की सन 2001 से लेकर 2019 के बीच बे ऑफ़ बंगाल से उत्पन्न होने वाले साइक्लोन की संख्या में 8 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
वेस्ट बंगाल में साइक्लोन की फ्रीक्वेंसी
वेस्ट बंगाल के कोस्टल क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले साइक्लोन की फ्रीक्वेंसी काफी अधिक होती है।
- 2018 के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश के कोस्ट पर एवरेज 1.15 ट्रॉपिकल साइक्लोन आते हैं, जो ईस्टर्न इंडियन स्टेट पर भी भी अपना प्रभाव डालते हैं।
वेस्ट बंगाल में लिए गए प्रिवेंटिव मेज़र्स
सरकार ने सैटेलाइट इमेज और कंप्यूटर विधियों का उपयोग करके वेदर फोरकास्टिंग सिस्टम को मजबूत करने पर काफी बल दिया है।
इसके अलावा, उन्होंने सूचना मीडिया और टेलीविजन के माध्यम से साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों में रहने वाले अधिक लोगों तक पहुंचने का विस्तार किया है।
उन्होंने स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर डिजास्टर मैनेजमेंट को कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट ब्यूरो की स्थापना की है।
वेस्ट बंगाल की राज्य सरकार ने कोस्टल क्षेत्रों से लोगों को निकालने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।
वेस्ट बंगाल की राज्य सरकार ने स्थितियों पर नजर बनाए रखने के लिए कंट्रोल रूम की भी स्थापना की है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने SDRF और NDRF जैसे टीमों को वेस्ट बंगाल के तटीय इलाकों में स्थापित किया गया है ताकि वे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
आंध्र प्रदेश
5. सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म BOB 01 - 1990
सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म BOB 01 का निर्माण 4 मई 1990 को शुरू हुआ था। इस चक्रवात का प्रभाव 9 मई 1990 को आंध्र प्रदेश में देखने को मिला था, जिसने कैटेगरी 3 ट्रॉपिक साइक्लोन में प्रवेश किया था। इस साइक्लोन के कारण लगभग 967 लोग मारे गए थे, और इसे प्री-मानसून सीजन में साउथ इंडिया को प्रभावित करने वाला सबसे विनाशकारी साइक्लोन माना गया था।
6. साइक्लोन प्यार - 2005
साइक्लोन प्यार ने सितंबर में बंगाल की खाड़ी में साउथ-ईस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर का रास्ता अपनाया अपनाया था जिस कारण आंध्र प्रदेश के कलिंगपटनम में लैंडफिल भी देखने को मिला था। इस साइक्लोन के कारण आंध्र और ओडिशा में कुल 65 लोगों के मारे जाने की खबर प्राप्त हुई थी।
7. साइक्लोन हुडहुड - 2014
तेज ट्रॉपिकल साइक्लोन हुडहुड ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में भारी नुकसान का कारण बना था। यह साइक्लोन 12 अक्टूबर 2014 को विशाखापट्टनम में 215-240 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा रफ्तार के साथ भूमि से टकराया था। विशाखापट्टनम या विज़ाग के अलावा, ओडिशा भी इस साइक्लोन से बहुत अधिक प्रभावित हुआ था। तेज़ हवाओं और भारी बारिश से हुई हादसों के कारन लगभग 124 लोगों ने अपनी जान गवाई थी ।
आंध्र प्रदेश में साइक्लोन पर प्रभाव डालने वाले कारक
जब अक्टूबर-नवंबर के महीने में समुद्र का तापमान ठंडा हो जाता है, तो यह ऊपरी वायु स्तर में उतार-चढ़ाव का कारण बनता है, जिससे साइक्लोन का निर्माण होता है।
जलवायु परिवर्तन एक अन्य फैक्टर है जो ट्रॉपिकल साइक्लोन को अधिक तीव्र बनाने वाले साइक्लोन के पैटर्न को बदलने का काम करता है।
बे ऑफ़ बंगाल के तापमान में वृद्धि।
आंध्र प्रदेश में साइक्लोन की फ्रीक्वेंसी
हर दो से तीन साल में आंध्र प्रदेश में मध्यम से गंभीर तीव्रता वाले साइक्लोन आते हैं। आंध्र प्रदेश ने 1975 के बाद से अब तक लगभग 60 साइक्लोन का सामना किया हैं।
आंध्र प्रदेश में किये गए प्रिवेंटिव मेज़र्स
केंद्र सरकार ने नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स को प्रभावित क्षेत्रों में साइक्लोनिक स्थितियों और उसके बाद के उत्पन्न होने वाली स्थिति से निपटने के लिए बनाया है।
राज्य सरकार ने साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों में स्थितियों पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम की स्थापना की है।
साइक्लोन और फ्लड सेंटर का निर्माण किया गया जिससे अपने घर को खाली करने वाले लोगों को रहने का स्थान मिल सके।
आंध्र प्रदेश में आने वाले साइक्लोन के बारे में सही जानकारी जुटाने के लिए राज्य सरकार ने इससे सम्बंधित आवश्यक कदम उठाए हैं।
8. साइक्लोन वरदा - 2016
बे ऑफ़ बंगाल से उत्पन्न, साइक्लोन वरदा भारत में आने वाला दूसरा सबसे शक्तिशाली तूफान है। इस साइक्लोन ने भारी बारिश के साथ आंध्र प्रदेश के आंतरिक क्षेत्रों को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया था। 110 किमी प्रति घंटे से अधिक की हवा की गति के साथ, इस साइक्लोन के कारण आंध्र प्रदेश के सदर्न कोस्ट पर लैंडस्लाइड भी देखने को मिला था।
9. साइक्लोन तितली - 2018
आंध्र प्रदेश अक्टूबर 2018 में साइक्लोन तितली नाम के एक और घातक और गंभीर साइक्लोनिक स्टॉर्म की चपेट में आ गया था, जिससे लगभग 3 लाख लोग प्रभावित हुए थे। यह साइक्लोन अंडमान तट से उत्पन्न हुआ था और बंगाल की खाड़ी के चारों ओर एक डिप्रेशन के रूप में विकसित हुआ, जिससे स्टेट में एक लैंडस्लाइड भी देखने को मिला था।
ओडिशा
10. ओडिशा साइक्लोन - 1999
1999 में आया ओडिशा साइक्लोन नार्थ इंडियन ओसियन में सबसे घातक रिकॉर्ड किए गए ट्रॉपिकल साइक्लोन (260-270 किमी प्रति घंटे की गति के साथ) में से एक था। इस विनाशकारी साइक्लोन ने 29 अक्टूबर 1999 को लैंडस्लाइड को भी उत्पन्न किया था। रिपोर्टों के अनुसार, इस साइक्लोन के कारण लगभग 9887 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और साथ ही हजारों लोगों ने अपने घर को भी खो दिया था। इस स्टॉर्म के परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों में डायरिया और हैजा जैसे रोग फैल गए थे।
11. साइक्लोन फैलिन - 2013
साइक्लोन ओडिशा के बाद, यह सबसे तीव्र साइक्लोन है जिसने 2013 में ओडिशा स्टेट के कई हिस्सों को प्रभावित किया था। लैंडस्लाइड और इसके प्रभाव के कारण लगभग 45 लोगों की मौत हुई थी।
12. साइक्लोन फानी - 2019
मई 2019 में आए साइक्लोन फानी को बेहद भीषण साइक्लोनिक स्टॉर्म माना जाता है। इस तूफान की तीव्रता कैटेगरी-4 के तूफान के बराबर थी। इस साइक्लोन के कारण लगभग 40 लोगों के मारे जाने की रिपोर्ट मिली थी।
13. साइक्लोन यास - 2021
साइक्लोन यास ने 26 मई, 2021 को ओडिशा के भद्रक जिले में दस्तक दी थी। इस तूफान ने ओडिशा और वेस्ट बंगाल के कुछ हिस्सों को 130-145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से प्रभावित किया था। साइक्लोन यास के कारण कुल 20 लोगों की मौत हुई थी।
ओडिशा में साइक्लोन को प्रभावित करने वाले कारक
- क्लाइमेट चेंज के कारण तापमान में वृद्धि हुई है, जिसने ओडिशा को भारत में विशेष रूप से ईस्ट कोस्ट पर साइक्लोन-प्रोन स्टेट में से एक बना दिया है।
ओडिशा में साइक्लोन की फ्रीक्वेंसी
ओडिशा में किए गए प्रिवेंटिव मेज़र्स
ओडिशा की राज्य सरकार ने साइक्लोन कद प्रभावों को कम करने के लिए पेड़ों की छंटाई पर जोर दिया है।
इसके अलावा, उन्होंने साइक्लोन के रुकने के बाद निरंतर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए बालासोर, भद्रक सहित कई क्षेत्रों में एक इमरजेंसी रेस्टोरेशन सिस्टम को स्थापित किया गया है।
राज्य सरकार ने भारत में निचले इलाकों और चक्रवात संभावित क्षेत्रों में निकासी प्रणाली शुरू की है।
ओडिशा सरकार ने राज्य के साइक्लोन-प्रोन डिस्ट्रिक्ट और कोस्टल क्षेत्रों में भारत की पहली अर्ली वार्निंग प्रसार सिस्टम भी स्थापित की भी की है, जिससे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
तमिलनाडु
14. साइक्लोनिक स्टॉर्म निशा - 2008
दिसंबर 2008 में, साइक्लोनिक स्टॉर्म निशा ने कुड्डालोर पर लैंडफॉल का निर्माण किया था जिससे तमिलनाडु और श्रीलंका के प्रमुख हिस्सों को काफी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। इस स्टॉर्म में करीब 200 लोगों की मौत हुई थी। इंडियन ओसियन के बेसिन में यह स्टॉर्म 10वें स्थान पर है।
15. साइक्लोन फ़ायन-2009
16. साइक्लोन वरदा - 2016
साइक्लोन वरदा ने अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह पर भारी बारिश की वजह से बुरी तरह से प्रभावित किया, और बाद में अपने मार्ग को बदलते हुए, यानी ईस्टर्न कोस्ट को पार करते हुए, इस साइक्लोन ने कांचीपुरम, चेन्नई और विशाखापत्तनम जैसे क्षेत्रों को प्रभावित किया था। इस साइक्लोन ने लगभग 38 लोगों की जान ली थी।
17. साइक्लोन ओखी - 2017
साइक्लोन ओखी 2017 के नार्थ इंडियन ओसियन साइक्लोन के मौसम के सबसे शक्तिशाली साइक्लोन में से एक था। यह साइक्लोन अरेबियन सी में बना था और इसने भारत के मेनलैंड और कोस्टल क्षेत्रों (जैसे केरल, तमिलनाडु, गुजरात) दोनों को ही प्रभावित किया था। इस स्टॉर्म में करीब 245 लोगों की मौत हुई थी।
तमिलनाडु में साइक्लोन को प्रभावित करने वाले कारक
श्रीलंका की फीसिओग्रफिक लोकेशन के कारण बे ऑफ़ बंगाल में विकसित अधिकतर साइक्लोन को नॉर्थ दिशा की ओर रुख करना पड़ता है। इसके बाद, तमिलनाडु सहित भारतीय राज्यों के साथ-साथ श्रीलंका के नार्थ कोस्ट पर साउथर्न पार्ट की तुलना में साइक्लोन का अधिक खतरा रहता है।
तमिलनाडु में साइक्लोन की फ्रीक्वेंसी
तमिलनाडु में किए जाने वाले प्रिवेंटिव मेज़र्स
सरकार ने कई राहत शिविर स्थापित किए हैं और साथ निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए इन शिविरों में स्थानांतरित भी किया है।
आपातकालीन स्थितियों में नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की टीम भी ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैनात रहती हैं।
इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स जो भारत के साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खरीदने चाहिए
होम इंश्योरेंस पॉलिसी- भारत में साइक्लोन-प्रोन स्टेट्स में रहने वाले लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से अपनी अचल संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए होम इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदनी चाहिए। होम इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत, साइक्लोन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का क्लेम किया जा सकता है। आप घर के स्ट्रक्चर और सामग्री के लिए दोनों के लिए होम इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते हैं। इन पॉलिसियों की अवधि आपके द्वारा चुने गए इंश्योरेंस के प्रकार पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, आप 1-30 वर्ष के लिए घर की स्ट्रक्चर और कंटेंट के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते हैं, 1-5 वर्ष के लिए स्ट्रक्चर और कंटेंट के लिए खरीद सकते हैं, और केवल कंटेंट के लिए 1-5 वर्ष की इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते हैं।
इसके साथ ही हम भारत में साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों की चर्चा के अंत में पहुंच गए हैं। आप जिस क्षेत्र में रहते हैं, उसका पता लगाएं, साइक्लोन के पिछले इतिहास के बारे में जानें और अपने घर की सुरक्षा के लिए एक होम इंश्योरेंस पॉलिसी ख़रीदे।
भारत में साइक्लोन-प्रोन क्षेत्रों पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या जाजपुर एक साइक्लोन-प्रोन डिस्ट्रिक्ट है?
हाँ, जाजपुर ओडिशा के साइक्लोन-प्रोन डिस्ट्रिक्ट में से एक है जो हर साल साइक्लोन और फ्लड से प्रभावित होता है। प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए, सरकार ने जाजपुर डिस्ट्रिक्ट में 11 और (पहले 26 शेल्टर थे) मल्टी-पर्पस साइक्लोन शेल्टर स्थापित करने का निर्णय लिया है।
क्या 2009 में साइक्लोन फ़ायन ने महाराष्ट्र स्टेट को भी प्रभावित किया था?
हाँ, 2009 में साइक्लोन फ़ायन ने महाराष्ट्र स्टेट को भी प्रभावित किया था। यह साइक्लोन इस चक्रवात ने महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग, ठाणे, रत्नागिरी, रायगढ़ और पालघर सहित कोस्टल डिस्ट्रिक्ट में चार लोगों की जान ले ली थी और साथ ही इसने कई लोगों की संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचाया था।
भारत में साइक्लोन का जीवनकाल क्या होता है?
साइक्लोन का जीवनकाल स्रोत से एकत्रित हीट की तीव्रता पर निर्भर करता है। सामान्यतः, भारत में साइक्लोन कुछ दिनों तक ही चल सकते हैं। 2019 में, साइक्लोन फनी ने अब तक का सबसे लंबा जीवनकाल दर्ज किया है, जो की 11 दिन तक का था।
भारत में साइक्लोन की पूर्वानुमान करने वाला डिपार्टमेंट कौन सा है?
इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट नार्थ इंडियन ओसियन के स्रोत से उत्पन्न होने वाले साइक्लोन का पूर्वानुमान करने और साइक्लोन की निगरानी करने का काम करता है।
साइक्लोन के दौरान सबसे अच्छी और सुरक्षित जगह कौन सी है?
साइक्लोन के दौरान सबसे अच्छी और सुरक्षित जगह किसी ऊँची जमीन पर बने एक घर के अंदर होती है।