भारत में भूकंप: इनके प्रकार और कारणों को विस्तार से जाने
भूकंप कुछ और नहीं बल्कि सिस्मिक वेव्स से उत्पन्न होने वाले झटके होते हैं।
शायद अब आप यह सोच रहे होंगे की सिस्मिक वेव्स क्या होते हैं? और इनके वजह से भूकंप कैसे आते हैं?
दरअसल, पृथ्वी की ऊपरी सतह जिसे हम क्रस्ट के नाम से जानते हैं वह 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है। ऐसे दो प्लेट जब आपस में एक-दूसरे से टकराते हैं तो इससे सिस्मिक वेव्स की उत्पत्ति होती है और जब यह वेव्स आस पास के क्षेत्रों में फैलती है, तो उन क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किये जाते हैं।
सिस्मिक वेव्स के अलावा भी भूकंप आने के कई और भी कारण होते है। हालांकि, उन पर ध्यान देने या उनके बारे में अधिक जानने से पहले, आपके लिए भूकंप के विभिन्न प्रकारों को समझना बेहद आवश्यक है, चलिए अब हम इस लेख को शुरू करते भूकंप के विभिन्न प्रकारों को एक एक कर समझने की कोशिश करते हैं।
भूकंप के विभिन्न प्रकार कौन से हैं?
पूरी दुनिया में उत्पन्न होने वाले सारे भूकंप हमेशा दो टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच मौजूद फॉल्ट लाइन के कारण ही उत्पन्न होते हैं। दुनिया भर में मौजूद टेक्टोनिक प्लेट को अच्छे से समझने के लिए आप निचे दी गयी इमेज की मदद ले सकते हैं।
इनकी उत्पत्ति को ध्यान में रखते हुए, पूरी दुनिया में होने वाले भूकंपों को चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता हैं।
टेक्टोनिक भूकंप
जो भूकंप टेक्टोनिक प्लेट की मूवमेंट के कारण उत्पन्न होते हैं उन्हें टेक्टोनिक भूकंप के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार के भूकंप दुनिया भर में काफी आम माने जाते हैं, इस भूकंप का प्रभाव ज्यादातर टेक्टोनिक प्लेट्स की सीमाओं के करीबी इलाकों में देखने को मिलता हैं।
टेक्टोनिक भूकंप की वजह से ही पूरी दुनिया में सबसे अधिक विनाश होते हैं, आमतौर पर ये टेक्टोनिक भूकंप पृथ्वी की सतह से काफी अंदर उत्पन्न होते हैं।
ज्वालामुखीय भूकंप
एक्टिव वोल्केनो द्वारा उत्पन्न होने वाले भूकंप को ज्वालामुखीय भूकंप का नाम दिया जाता है। वोल्केनो के फटने के कारण भारी भरकम मात्रा में अपने अंदर मौजूद एम्बेडेड प्रेशर को बहार की और निकालता है। इस प्रेशर की वजह से सिस्मिक वेव्स की उत्पत्ति होती है, जिस कारण पृथ्वी में हिलाव उत्पन्न होता है।
आमतौर पर ज्वालामुखीय भूकंप बाकी भूकंप जैसे टेक्टोनिक भूकंपों की तुलना में कमजोर और कम विनाशकारी होते हैं, इस प्रकार के भूकंप ज्यादातर पृथ्वी की सतह के आस-पास पाए जाते हैं। इसलिए, ज्यादातर ज्वालामुखीय भूकंपों को आमतौर पर हाइपरसेंटर के करीब महसूस किया जाता है।
प्रेरित भूकंप
जो भूकंप मानवों द्वारा अपने सुख के लिए कि जाने वाली गतिविधियों के कारण उत्पन्न होते हैं उन्हें प्रेरित भूकंप का नाम दिया जाता है। मानव के द्वारा कि जाने वाली गतिविधियां जैसै सुरंग बनाना, जिओथर्मल या फ्रैकिंग परियोजनाओं को शूरू करना, या फिर किसी प्रकार की न्यूक्लियर बॉम्बिंग करने या रेज़र्वोयरस को भरने से उत्पन्न होने वाले भुकंपों को प्रेरित भूकंप कहा जाता है।
पतन भूकंप
जो भूकंप गुफा के कारण उत्पन्न होते हैं उन भूकंपों को पतन भूकंप का नाम दिया जाता है। इस प्रकार के भूकंप आमतौर पर कार्स्ट क्षेत्रों में या जमीन में धसने के कारण माइनिंग क्षेत्र के आसपास उत्पन्न होते हैं।
जैसा की अब आप विभिन्न प्रकार के बारे में समझ ही चुके हैं, तो चलिए अब हम प्राकृतिक आपदा के उत्पन्न होने वाले मुख्य कारणों के गहराइयों को समझने की कोशिश करते हैं।
भारत में उत्पन्न होने वाले भूकंप के मुख्य कारण क्या है?
प्रतिवर्ष भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का लगभग 50 मिमी हिस्सा यूरेशियन प्लेट की तरफ खिसक रहा है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले भूकंप का मुख्य कारण है। इस खिसकाव की वजह से कॉमन टेक्टोनिक भूकंपों का जन्म होता है।
भारत में होने वाले भूकंप के अन्य कारणों में मानवीय गतिविधियों और केव-इन भी शामिल हैं, जिनके बारे में हमने पहले ही प्रेरित भूकंप प्रकारों के तहत विस्तार में चर्चा की है।
भारत में आज तक के हुए 10 प्रमुख भूकंप
पिछली कुछ सदियों में भारत ने कई विनाशकारी भूकंप का सामना किया है। उनमे से कुछ सबसे विनाशकारी भूकंप नीचे लिखे गए हैं।
जगह और तारीख | एपीसेंटर और मैग्नीट्यूड | मृतकों की संख्या |
हिंद महासागर, 26 दिसंबर 2004 | सुमात्रा (वेस्ट कोस्ट), इंडोनेशिया - 9.3 | > 283,106 |
कश्मीर, 8 अक्टूबर 2005 | मुजफ्फराबाद,कश्मीर (पाकिस्तान) - 7.6 | 130000 |
बिहार, नेपाल, 15 जनवरी 1934 | माउंट एवरेस्ट का सदर्न पार्ट - 8.7 | > 30,000 |
गुजरात, 26 जनवरी 2001 | कच्छ, गुजरात - 7.7 | 20000 |
काँगड़ा, 4 अप्रैल 1905 | हिमालय - 7.8 | > 20,000 |
लातूर, 30 सितंबर 1993 | किल्लारी, लातूर - 6.4 | > 9,748 |
असम, 15 अगस्त 1950 | रीमा, तिब्बत - 8.6 | 1526 |
असम, 12 जून 1897 | अज्ञात - 8.1 | 1500 |
उत्तरकाशी, 20 अक्टूबर 1991 | गढ़वाल, उत्तराखंड | >1,000 |
कोयनानगर, 11 दिसंबर 1967 | कोयना - 6.5 | 180 |
द हिंदू कुश, 26 अक्टूबर 2015 | अफगानिस्तान, 7.5 | > 260 |
नेपाल, 25 अप्रैल 2015 | ईस्ट गोरखा डिस्ट्रिक्ट, नेपाल - 7.8 | > 8,790 |
सिक्किम, 18 सितंबर 2011 | भारत-नेपाल सीमा, सिक्किम - 6.8 | > 114 |
भारत को भूकंप के कारण क्या प्रभाव पड़ता है?
भूकंप अपने पीछे हमेशा विनाशकारी प्रभाव ही छोड़ते हैं। इन विनाशकारी भूकंप के आने की स्थिति में दो प्रकार के प्रभाव ही देखे जा सकते हैं - प्राथमिक और द्वितीयक प्रभाव।
प्राथमिक प्रभाव: कई सारे स्ट्रक्चर जैसे कि शिक्षण संस्थानों, चिकित्सा प्रतिष्ठानों, ऐतिहासिक मूर्तियों और स्मारकों जैसे कई स्ट्रक्चर भूकंप के कारण ढह जाते हैं। भूकंप के विनाशकारी प्रभाव से एक पूरा गांव, कस्बा या पूरा शहर भी बर्बाद या नष्ट हो सकता है।
मौत और जख्मों का सामना करने के अलावा, भूकंप के कारण लोग अपने पैसे और संपत्ति भी खो देते हैं, जिस कारण नतीजे में भूकंप से जूझते हुए लोग भावनात्मक रूप से बेहद कमजोर हो जाते हैं।
द्वितीयक प्रभाव: दिव्तीयक प्रभावों में मुख्य रूप से पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया जाता है। भूकंप अक्सर टेकटोनिक अपलिफ्ट और अवतलन, सरफेस फोल्डिंग, सॉइल लिक्विफैक्शन, सुनामी, लैंडस्लाइड, भूमि संवेदना आदि के कारण उत्पन्न होते हैं, जिस कारण लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
भूकंप के कुछ सकारात्मक प्रभावों में हम कोस्ट लाइन में परिवर्तन, वॉटरफॉल, झीलों, लैंडफार्म्स, खाड़ियों आदि के निर्माण को शामिल कर सकते हैं।
भूकंप के दौरान सुनिश्चित किये जाने वाले सेफ्टी मेज़र्स
भूकंप के कारणों को समझने के अलावा, अब आपके लिए भूकंप के दौरान अपनाए जाने वाले सेफ्टी मेज़र्स को समझना भी बेहद ज़रूरी है जिन्हे फॉलो करके भूकंप जैसी स्थिति में आप अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे।
कुछ उपाय निचे निम्नलिखित है -
भूकंप की स्थिति में खुद को शांत रखें और दूसरों को भी शांत रखने की कोशिश करें।
भूकंप के दौरान आपको हमेशा ही इमारतों और बिजली की तारों से दूर किसी खुले स्थान में चले जाना चाहिए।
भूकंप के समय यदि आप अपने घर के अंदर हैं तो ऐसी स्थिति में आपको किसी डेस्क या टेबल के नीचे खुद को छुपा लेना चाहिए।
यदि आप अपने घर के अंदर हैं तो आपको कांच की खिड़कियों और दरवाज़ों से निश्चित दूरी बनाये रखनी चाहिए
भूकंप के दौरान यदि आप कार में हैं तो आपको अपनी कार को रोक कर अंदर ही रहना चाहिए।
भूकंप की स्थिति में आपको अपने पालतू जानवरों को आज़ाद कर देना चाहिए ताकि वे किसी सुरक्षित स्थान में जाकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
भूकंप की स्थिति में आपको सभी प्रकार की खुली आग को बुझा देना चाहिए।
भूकंप के कारण हुए नुकसान से निपटने के लिए इंश्योरेंस विकल्प
भूकंप की भविष्यवाणी करना या तो उसे रोकना ही हमारे बस में नहीं है, क्योंकि भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसका पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। हालांकि, भूकंप के कारण होने वाले अपनी प्रॉपर्टी के नुकसान के कवर को प्राप्त करने के लिए आप अपने घर के लिए एक होम इंश्योरेंस पॉलिसी का विकल्प चुन सकते हैं। एक वैध होम इंश्योरेंस पॉलिसी आपके घर को पहुंचे नुकसान की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्निर्माण के खर्चों से निपटने के लिए आपको एक वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है।
भारत ने पिछली सदी में कई भूकंपों का सामना किया है। काफी खोज से यह पता चला है कि पुरे भारत के क्षेत्रफल का 59% से अधिक भूभाग भूकंप प्रोन ज़ोन के अंदर आता है। वास्तव में, हिमालयन बेल्ट के साथ ही पूरे नॉर्थ-ईस्टर्न क्षेत्र में भी 8.0 से ऊपर के मैग्नीट्यूड वाले भूकंप का खतरा हमेशा ही बना रहता है।
सुरक्षा उपायों और इंश्योरेंस विकल्पों के साथ-साथ भूकंपों के प्रभावों और उनके उत्पन्न होने वाले कारणों को विस्तार से समझने के बाद, हमें उम्मीद है कि अब आप भूकंप से बेहतर तरीके से निपटने के लिए तैयार होंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या माइनिंग से भूकंप की संभावना बढ़ जाती है?
हाँ, माइनिंग भूकंप के मानव निर्मित कारणों में से एक है जिसकी वजह से आस-पास के क्षेत्रों में लगातार भूकंप के झटकों को महसूस किया जा सकता है, और कई मामलों में इस प्रकार के भूकंप अत्यधिक विनाशकारी भी साबित होते हैं।
भारत के किन क्षेत्रों को भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील माना जाता है?
भारत के सबसे अधिक भूकंप-प्रोन जोन में कश्मीर, नॉर्थ और मिडिल बिहार, वेस्टर्न और सेंट्रल हिमालय, रण का कच्छ, नॉर्थ-ईस्टर्न भारतीय क्षेत्र और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह भी शामिल हैं।
क्या तीव्र भूकंप के बाद किसी प्रकार का प्रभाव पड़ता है?
हाँ, तीव्र भूकंप के बाद के कई प्रभाव देखने को मिलते हैं। नेपाल में आए 2015 के भूकंप के बाद अगले कुछ दिनों बाद ही दो बड़े झटके को महसूस किया गया था, जो कई बार उस क्षेत्र में होने वाले किसी बड़े विनाश का कारण भी बनते हैं।